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कोविड संक्रमित मरीजों के आरटीपीसीआर जांच के लिए सैम्पल नहीं भेजना होगा

कोविड संक्रमित मरीजों के आरटीपीसीआर जांच के लिए सैम्पल नहीं भेजना होगा मधुबनी मेडिकल कॉलेज व आरएमआई पटना
•पारा मेडिकल इंस्टिट्यूट में इंस्टॉल हुआ आरटी पीसीआर लैब
•पीएम केयर्स फंड से सदर अस्पताल को मिला 1000 लीटर/मिनट क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट
•दवा भंडार व आई वार्ड के बीच में स्थापित होगा ऑक्सीजन प्लांट

मधुबनी कोरोना के बढ़ते मामलो के बीच एक राहत दिलाने वाली खबर है। जल्द ही जिले में रियल टाइम पेरीमिरेज चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) जांच होने लगेगी। जिला मुख्यालय के रामपट्टी स्थित पारा मेडिकल इंस्टिट्यूट में आरटीपीसीआर लैब स्थापित किया गया है। जिसके लिए मशीन अधिष्ठापित कर दी गई है। बीएमएसआईसीएल द्वारा लैब की आधारभूत संरचना तैयार की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि 10 से 15 दिनों में लैब से जांच शुरू हो जाएगी। कोरोना से लड़ाई जीतने के लिए सरकार द्वारा अब जिला स्तर पर ही कोरोना की अंतिम जांच की व्यवस्था की जा रही है। जिले में आरटीपीसीआर जांच सुविधा शुरू होने के बाद किसी भी प्रकार के सैंपल को परीक्षण के लिए मधुबनी मेडिकल कॉलेज तथा आरएमआई पटना नहीं भेजना पड़ेगा। वर्तमान में जिले के सरकारी संस्थानों में एंटीजन और ट्रूनाट जांच ही हो रही है। लैब मैं जांच शुरू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। जल्द ही जिले में ही जांच की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। वहीं सदर अस्पताल में पीएम केयर्स फंड से 1000 लीटर/मिनट क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया है। जिसके लिए स्थल चयन कर सिविल सर्जन द्वारा डीएम को भेजा गया है।

रिपोर्ट मिलने में होगी सहूलियत-

आरटी-पीसीआर मशीन लग जाने के बाद अब जांच रिपोर्ट के लिए लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वर्तमान में आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन का समय लग जाता है। यहां लैब स्थापित हो जाने के बाद तीन से चार घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट उपलब्ध हो जाएगी। सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कि आरटीपीसीआर जांच कोरोना की अंतिम जांच होती है। इसमें आने वाली रिपोर्ट को ही सबसे बेहतर माना जाता है।

एंटीजन की निगेटिव रिपोर्ट की होती है क्रास चेकिंग

एंटीजन किट से जांच में रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद लक्षण वाले मरीजों के कन्फर्मेशन के लिए आरटीपीसीआर जांच कराई जाती है। जिले में ही इसकी सुविधा हो जाएगी तो लोगों को राहत मिलेगी। वर्तमान में ट्रूनाट और एंटीजन किट से जांच कराने के बाद लोग बाहर घूमते रहते हैं। अगर तीन से चार दिन बाद आरटीपीसीआर की जांच में रिपोर्ट पाजिटिव आती है तो आइसोलेट होते हैं। इस कारण कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

सदर अस्पताल में 1000/मिनट लीटर क्षमता का लगेगा ऑक्सीजन प्लांट:

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच देश ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहा है। ऑक्सीजन की कमी से टूट रही सांसों की डोर को बचाने के लिए सरकार ने जिले में पीएम केयर्स फंड से 1000/मिनट लीटर क्षमता वाले ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाने का निर्णय लिया है जिसके लिए सदर अस्पताल में दवा भंडार तथा आई वार्ड के बीच में स्थल भी चयन कर लिया गया है। जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट स्थापित करने के पीछे मूल उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि जिले की दिन-प्रतिदिन मेडिकल ऑक्सीजन जरूरतों को पूरा करना है। यह सुनिश्चित करना कि जिलों के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक किसी भी तरह के व्यवधान का सामना न करना पड़े।

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