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 नवजात मृत्यु दर में कमी लाना अभी भी एक चुनौती है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के अनुसार राज्य में प्रति एक 1000 जीवित जन्म में 28 नवजात की मौत जन्म के 28 दिनो के भीतर हो जाती है.

नवजात मृत्यू दर को कम करने के लिये दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्य शुरू

-वंडर एप के सही कार्यान्वयन से नवजात की मृत्यू दर में आयेगी कमी- सीएस

– सूबे में प्रति एक हजार जीवित जन्म में 28 नवजात की मौत 28 दिनों के भीतर

– एनएमआर संबंधी आकड़ा को कम करने के लिये चिकित्सकों को दी जा रही ट्रेनिंग

नवजात मृत्यु दर में कमी लाना अभी भी एक चुनौती है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के अनुसार राज्य में प्रति एक 1000 जीवित जन्म में 28 नवजात की मौत जन्म के 28 दिनो के भीतर हो जाती है. इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने न्यू नेटल मोरटेलिटी रेट (एनएमआर)को इकाई अंक में करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसे लेकर नवजात के सही देख- रेख संबंधी चिकित्सयीय सुविधा देने को लेकर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्य गुरूवार से शुरू किया गया है. सिविल सर्जन डॉ एएन झा की मौजूदगी में केयर के प्रतिनिधियों ने ट्रेनिंग कार्यक्रम में विभिन्न प्रखंडों से आये चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया.

बतौर प्रशिक्षक केयर के डॉ पंकज मिश्रा, प्रशांत कुमार ने नवजात मृत्यु दर में कमी लाने के लिए विभिन्न चिकित्सयीय सुविधा प्रदान करने को लेकर विस्तार से जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार ने नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिये कृतसंकल्पित है. इसके लिये मातृ- शिशु के स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है. ताकि मां व नवजात के मृत्यू दर को कम किया जा सके. खासकर जन्म से पहले गर्भवती मां व पल रहे बच्चों के पोषण पर विशेष रूप से ध्यान देने की बात कही. साथ ही जन्म के बाद नवजात की देख- रेख को लेकर चिकित्सयीय पहलू पर विस्तार से बताया.

प्रशिक्षण के बाद चिकित्सकों ने कार्यक्रम से लाभान्वित होने की बात कही. कार्यक्रम में विभिन्न प्रखंडो से आये चिकित्सा पदाधिकारियो ने भाग लिया.
नवजात के जन्म के बाद एक मिनट होता महत्वपूर्ण समय
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया गया कि नवजात के जन्म के बाद का पहला मिनट बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस मिनट को गोल्डेन मिनट भी कहा जाता है. इस दौरान नवजात को विशेष रूप से देखभाल करने की जरूरत होती है. सबसे पहले उसके सांस प्रक्रिया की जांच की जाती है. इस दौरान चिकित्सकों को देखना चाहिये कि नवजात को सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हो. श्वसन में किसी प्रकार की समस्या होने पर उसे चिकित्सयीय सुविधा देकर उसके सांस की गति को सामान्य करनी होती है. उसके बाद बच्चे को मां के छाती से लगाकर गर्म रखना श्रेष्ठ होता है. डॉ पंकज मिश्रा ने बताया कि अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मे नवजात को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है।

जन्म के बाद नवजात को संक्रमण से बचाना जरूरी:

प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सकों को बताया गया कि जन्म के बाद नवजात को किसी प्रकार के संक्रमण से बचाने के लिये घरों में स्वच्छता बहुत आवश्यक होती है. नवजात को मां का दूध देना चाहिये. आसपास साफ रखना चाहिये. खासकर मां को स्वच्छता रखना परम जरूरी होता है. नवजात को गंदगी से कई प्रकार के इंफेक्शन होने का खतरा रहता है. इसलिये नवजात, मां व घर को स्वच्छ व साफ रखना चाहिये. ताकि नवजात को किसी प्रकार का संक्रमण होने से बजाया जा सके.

वंडर एप के कार्यान्यवन से नवजात की मौत में लायी जा सकती कमी:
प्रशिक्षण् कार्यक्रम में मौजूद सीएस डॉ एएन झा ने चिकित्सकों को वंडर एप की जानकारी दी. बताया कि डीएम डॉ त्यागराजन एसएम के निर्देश से पूरे जिले में वंडर एप को लागू किया गया है. इसके आशातीत परिणाम आने की पुरी संभवना है. एप के सही कार्यान्वयन से गर्भवती मां व नवजात को ससमय बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है. इसके जरिये नवजात के मृत्यू दर को कमी लाने में मदद मिलेगी.

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