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दरभंगा अजित कुमार सिंह राजू सिंह

चेतना (प्रज्ञा प्रवाह) जिला दरभंगा द्वारा संस्कृत भाषा का भारतीय संस्कृति में योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में किया गया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर आरएसएस क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर जी, कुलपति प्रो. सर्वनारायन झा, कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह , विधान परिषद दिलीप चौधरी, प्रो. कन्हैया चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सर्वनारायन झा ने किया इस अवसर पर उन्होंने संस्कृत के भाषायी महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार जल के बिना मत्स्य के जीवन की कोई कल्पना नही है, उसी प्रकार संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति की कोई परिकल्पना नही हो सकती , क्योकि दुनिया की सबसे प्राचीन व समृद्ध भाषा संस्कृत भाषा है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में संस्कृत भाषा मानो कही गुम सी होती जा रही है, भारतीय संस्कृति की एक विरासत के रूप में हमे संस्कृत भाषा मिली है,आज आवश्यकता है ,पुनः इस भाषा को दुनिया मे प्रचार प्रसार करने की इसके लिए आवश्यकता है, हमे संस्कृत भाषा को अपने संस्कृति में योगदान को जानने व उसको बढ़ावा देकर कार्य करने की है,।
वही इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस.के. सिंह ने कहा कि गौरवशाली भारतीय संस्कृति की परंपरा रही है लेकिन विगत कुछ समय से हमारे समाज में इस प्राचीन भाषा को लेकर एक शून्यता सी उत्पन्न हुई है, जबकि संस्कृत भाषा दुनिया के किसी भी अन्य भाषाओं से समृद्ध रही है ,और यही वह भाषा है जिससे सभी भाषाएं दुनिया भर में जन्म ली है, आज चेतना प्रज्ञा प्रवाह का कार्यक्रम इस कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय में हो रही है, जिसकी अपनी एक अलग गौरव पूरे भारतवर्ष में है आज आवश्यकता है , हमें संस्कृत की इस ऐतिहासिक विरासत को पुनः समाज के सामने पेश करने का यह भाषा आज भी इस आधुनिक दौर में किसी अन्य भाषा से अधिक प्रासंगिक है।
वही इस अवसर पर चेतना प्रज्ञा प्रवाह के विशिष्ट अतिथि आर एस एस के क्षेत्र प्रचारक माननीय रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति दोनों किसी भी देश की पहली पूंजी होती है, अगर हम संस्कृत भाषा की बात करें तो हम जानते हैं, आज भी इस भाषा की तीन लाख से अधिक पांडुलिपि उपलब्ध है, जो दुनिया मे किसी अन्य भाषा से अधिक है , हमारी संस्कृत की यह भाषा कल्पो से चली आ रही है, जबकि एक कल्प लाखों वर्षों का होता है, एक समय में संस्कृत भाषा पूरे दुनिया के लिए सिरमौर का कार्य करती थी, भारत की सभ्यता संस्कृति इतनी विशाल रही है, की जिस समय शब्दों का प्रचलन भाषाई माध्यम से नहीं हुई थी, उस वक्त भी हमारे यहां विभिन्न वेद लिखी जा चुकी थी, यह कहीं ना कहीं हमारे गौरवशाली अतीत को दिखा रहा है, हमारा गौरवशाली अतीत ऐसा रहा है जो वेद से गणित के सोलह सूत्रों पर विश्व के गणितज्ञ लोग शोध किये हैं, मेरा संस्कृत विज्ञान इतना समृद्ध था जो उस समय ब्रह्मास्त्र का निर्माण हुआ, उसमे ऐसा यांत्रिकी था जो मारके पुनः वापस भी आ जाता था, आज के विज्ञान भी मनो उसके आगे बौनी थी, फिर भी आज के युवा अपने गौरवशाली अतीत को भूल रहे हैं, खासकर उस वक्त दुनिया की बहुत सी धर्मो का जन्म भी नही हुआ था, जब संस्कृत दुनिया को प्रकाशित करने का कार्य किया, खासकर किसी भी संस्कृति का समाज में एक व्यापक प्रभाव पड़ता है, हमें आवश्यकता है, कि आधुनिकता के दौर में अपने संस्कृति को बचाकर चलने व अपने समाज को हर दिशा से सांस्कृतिक रूप से मजबूत करने की।
इस आधुनिक दौर में भी संस्कृत भाषा रोजगार के दृष्टिकोण से भी हमारे समाज के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह न सिर्फ सम्पूर्ण समाज को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य करती है, बल्कि इतनी विविधता के बावजूद यह भाषा हजारों वर्ष पुरानी परंपरा को जीवित रखे हुए है।
वही इस अवसर पर उत्तर बिहार के चेतना प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक विजय साहि ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा है, समय के साथ इसमें भी उतार-चढ़ाव आया फिर भी इस भाषाई संस्कृति को खत्म कोई नहीं कर पाया। मौजूदा दौर में जरूर इस भाषा के शिक्षा से समाज का युवा वर्ग दूर हुए लेकिन जब हम अपने स्वर्णिम काल को याद करेंगे तो हमें इस भाषा का और अपने समाज का स्वर्णिम युग विश्व पटल पर कृति गाथा देखने को मिलेगा।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक अभिषद सदस्य प्रो. डॉ कन्हैया चौधरी ने किया।
इस कार्यक्रम का संचालन श्रीपद त्रिपाठी ने किया।
इस कार्यक्रम का संचालन श्रीपति त्रिपाठी ने किया।
इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य हेतु विभिन्न लोगो को सम्मानित किया गया, जो इस प्रकार है डॉ अशोक कुमार सिंह, श्रीमती अनुराधा, श्रीमती प्रतिभा झा, सुमित सिंह, आशीष सोनू, अनु कुमारी हेरंब शर्मा ,उज्जवल कर्ण, आदित्य कुमार, सुश्री अस्मिता वर्षा झा, रचना विभा जा ,,सुषमा, पूजा, संतोष राम ,संजय महतो , संगीत शाह , को सम्मानित किया गया , इस कार्यक्रम में 250 से अधिक समाज के सभी वर्गों से लोग सम्मलित हुए।

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