अतिश दीपंकर
पटना 09.07.2017
राजद विधायकों से भाजपा की अपील है कि कल होने वाली विधायक दल की बैठक में वे लालू प्रसाद और राबड़ी देवी पर एक हजार करोड़ की बेनामी सम्पति के मामले में आरोपित उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस्तीफा दिलाने और राजद के वरीय सदस्य जैसे अब्दुल बारी सिद्दीकी, ललित यादव आदि में से किसी को उनकी जगह उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए दबाव बनाये।
जदयू विधायक भी 11 जुलाई को होने वाली कोर कमिटी की बैठक में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोपित मंत्री तेजस्वी और तेजप्रताप से इस्तीफा लेने और इस्तीफा नहीं देने पर मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के लिए दबाव डालें।
भाजपा की पल-पल की स्थिति पर निगाह है और वह ‘वेट एंड वाच’ कर रही है। भाजपा को मटियामेट करने का मंसूबा पालने वाले लालू प्रसाद चारा घोटाले के दौर से ही विरोध करते रहे हैं और आज भाजपा केन्द्र में दो-तिहाई बहुमत के साथ तथा देश के 17 राज्यों में सरकार चला रही है। भाजपा लालू प्रसाद की किसी गिदड़भड़की से डरने वाली नहीं है।
चारा घोटाले में जब जेल जाने की नौबत आई तो लालू प्रसाद ने धमकी दिया था कि अगर मुझे गिरफ्तार किया गया तो खून की नदी बहेगी। जेल भी गए और सजा भी हुई मगर खून की नदी बहने की बात दूर, एक पत्ता भी नहीं हिला। नोटबंदी का सबसे मुखर विरोध लालू प्रसाद ने ही किया क्योंकि उन्हें मालूम था कि नरेन्द्र मोदी इसके बाद बेनामी सम्पति पर सख्त कार्रवाई करेंगे। मगर बिहार के गरीबों ने लालू प्रसाद के आह्वान को नजरअंदाज कर नरेन्द्र मोदी का साथ दिया।
नोटबंदी के बाद नीतीश कुमार ने भी बेनामी सम्पति पर कठोर कार्रवाई की मांग की थी। लालू परिवार की बेनामी सम्पति के खुलासे पर सीएम ने कहा था कि अगर सबूत है तो केन्द्र कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री अब अपना स्टैंड बदल नहीं सकते हैं। दरअसल गेंद सत्ता और सिद्धांत की कशमकश में फंसे नीतीश कुमार के पाले में है।
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