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पृथक मिथिला राज्य के गठन के लिए अभियान चलाने के संकल्प के साथ संपन्न हुआ 48 वां मिथिला विभूति पर्व समारोह।

पृथक मिथिला राज्य के गठन के लिए अभियान चलाने के संकल्प के साथ संपन्न हुआ 48 वां मिथिला विभूति पर्व समारोह  भाषा,

एडिटर अजित कुमार सिंह DN 24 LIVE

लिपि, क्षेत्र, जनसंख्या और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सरीखे सभी मानकों पर खरा उतरते हुए मिथिला पूर्ण राज्य बनने का अधिकार रखता है। मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन न सिर्फ जरूरी है बल्कि इसके लिए सक्रिय अभियान चलाया जाना समय की मांग है। इसी संकल्प के साथ विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में 28 से 30 नवंबर तक कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस पर आयोजित तीन दिवसीय 48 वां मिथिला विभूति पर्व समारोह संपन्न हुआ। मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि समारोह के दौरान साहित्य, संस्कृति एवं राजनीतिक मंच से जुड़े प्रतिभागियों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित किया कि आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन होना जरूरी है और इसके लिए सक्रिय अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्दी ही इसे लेकर क्रमिक अभियान की घोषणा की जाएगी।
मौके पर उपस्थित समारोह के आयोजन की सलाहकार समिति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के संयोजक पं कमला कांत झा ने आयोजन में सहभागी बने सभी मिथिला वासी, जिला प्रशासन, समाजसेवी, राजनीतिक नेता एवं सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों से जुड़ी संस्थाओं के साथ ही मीडिया का धन्यवाद करते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में कार्यक्रम की सफलता ने मिथिला वासी के दिल में बसे अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति अगाध प्रेम को एकबार फिर से साबित कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि त्रेता काल से ही मिथिला राज्य का अपना गौरवशाली अस्तित्व रहा है। इसलिए पृथक मिथिला राज्य का गठन न सिर्फ प्रासंगिक है बल्कि इसके गठन के लिए जरूरी मानकों पर पूरी तरह खरा भी उतरता है। संस्थान के सचिव प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक राज्य के गठन की प्रासंगिकता अब जगजाहिर हो चुकी है और इसके गठन को अब कोई रोक नहीं सकता। वरिष्ठ साहित्यकार एवं आयोजन के संगोष्ठी संयोजक मणिकांत झा ने कहा कि मिथिला के गौरवशाली संस्कृति और मर्यादा की सदा से अपनी अलग पहचान रही है। 48 वें समारोह में समारोह में मिथिला के जन-जन ने इसे पुनः साबित कर दिखाया है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मैथिली में शुरू किए जाने की अनिवार्यता पर भी जोर डाला।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि कोरोना महामारी के आपदा की स्थिति में भी तीन दिवसीय आयोजन के दौरान दर्शकों ने व्यक्तिगत दूरी रखते हुए सामाजिक नजदीकी कायम कर लोगों को दिखा दिया है कि सदियों से मिथिला की सभ्यता और संस्कृति विश्व स्तर पर यूँ ही विख्यात नहीं रही है। उन्होंने समारोह से जुड़ी खबरों के उम्दा प्रसारण व प्रकाशन के लिए मीडिया के बंधुओं के प्रति आभार जताया।
प्रेस वार्ता के दौरान डॉ बैजू ने इस आयोजन को सफल बनाने में भागीदारी देने वाले सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट करते हुए बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधान पार्षद डॉ मदन मोहन झा के प्रति विद्यापति चौक एवं पं सुरेंद्र झा सुमन की प्रतिमा स्थल के सुंदरीकरण के लिए अपने कोष से15 लाख रूपये का अनुदान देने की घोषणा करने एवं लनामिवि के कुलपति प्रो सुरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में स्थित बाबा नागार्जुन एवं ललित बाबू के प्रतिमा स्थल के सौन्दर्यीकरण एवं इन प्रतिमाओं पर छतरी लगाए जाने की घोषणा के लिए विशेष रूप से कृतज्ञता ज्ञापित की। उन्होंने विभिन्न सदनों में मातृभाषा मैथिली में शपथ ग्रहण करने वाले मिथिला के जनप्रतिनिधियों के प्रति भी आभार प्रकट किया। उन्होंने आयोजन समिति के विभिन्न सदस्यों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मिथिला एवं मैथिली के सर्वांगीण विकास के लिए अपने इस तेवर को आगे भी बरकरार रखने का आह्वान किया। मौके पर शोभा यात्रा प्रभारी द्वय प्रो विजय कांत झा एवं विनोद कुमार झा, कवि गोष्ठी प्रभारी हरिश्चंद्र हरित, मिथिला पेंटिंग प्रतियोगिता के संयोजक आशीष चौधरी एवं मणि भूषण कुमार राजू,प्रो चन्द्रशेखर झा बूढाभाई, महानंद ठाकुर, चौधरी फूल कुमार राय, मिथिलेश झा आदि उपस्थित थे।

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