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दरभंगा कोरोना की तीसरी लहर को लेकर डीएमसीएच प्रशासन अलर्ट मोड पर दरभंगा से अजित कुमार सिंह की रिपोर्ट

कोरोना की तीसरी लहर से बचाव को लेकर डीएमसीएच तैयार

-प्लांट के इंस्टालेशन से ऑक्सीजन की नहीं होगी कमी
-अस्पताल में संभावित मरीज़ों के लिए बढ़ाये जा रहे बेड
-कोरोना की तीसरे लहर से बचाव के लिए पूर्व तैयारी व योजना ज़रूरी: डीएमसी प्राचार्य डॉ के एन मिश्रा

दरभंगा कोरोना की तीसरी लहर को लेकर डीएमसीएच प्रशासन अलर्ट मोड पर है। खासकर शिशु विभाग में इसे लेकर पूरी तैयारी की जा रही है। इसके अंतर्गत सभी वार्डों के बेडो पर ऑक्सीजन पाइप लाइन से डायरेक्ट ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी। इसके अलावा विभाग में बेड बढ़ाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा कोरोना आइसोलेशन के डेढ़ सौ बेड को पाइप लाइन से जोड़ने का काम चल रहा है। आपातकालीन विभाग में भी पाइपलाइन की सहायता से मरीजों तक ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी। इसे लेकर अंतिम प्रक्रिया जारी है। परिणामस्वरूप कोरोना की सम्भावित तीसरी लहर में मरीज़ों को ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी।
अभी से ही सतर्कता ज़रूरी:
चिकित्सकों की ओर से अभी से सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञों ने कोरोना के मामले फिर से बढ़ने से पहले तैयारियों के लिए सात बिंदुओं पर काम करने की बात कही है। दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ के एन मिश्रा के अनुसार यह सात बिंदु हैं। इस पर अमल कर हम बेहतर ढंग से कोरोना की तीसरी लहर से लड़ सकते है।
1. आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। सभी के लिए एक ही तरह के उपाय ठीक नहीं हैं क्योंकि ज़िला स्तर पर कोरोना के मामले और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अलग-अलग होती है।
2. सभी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे एंबुलेंस, ऑक्सीजन, ज़रूरी दवाओं और अस्पताल में इलाज की कीमत पर सीमा निर्धारित होनी चाहिए और एक पारदर्शी राष्ट्रीय मूल्य नीति बनानी चाहिए। अस्पताल में इलाज कराना लोगों की जेब पर भारी नहीं पड़ना चाहिए और सभी के लिए इसका खर्च मौजूदा स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को उठाना चाहिए।
3. कोविड-19 के प्रबंधन से जुड़ी स्पष्ट, साक्ष्य आधारित जानकारी को लोगों तक पहुंचाने का दायरा और बढ़ाना चाहिए और इन्हें लागू करना चाहिए। इस जानकारी में घर पर देखभाल व इलाज, प्राथमिक देखभाल और ज़िला अस्पतालों में देखभाल के लिए स्थानीय भाषाओं में अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश शामिल होने चाहिए, जिसमें स्थानीय परिस्थितियां और क्लीनिकल प्रैक्टिस शामिल हों।
4. निजी क्षेत्र सहित स्वास्थ्य प्रणाली के सभी क्षेत्रों में मौजूद सभी मानव संसाधनों को कोविड-19 से लड़ाई के लिए तैयार करना चाहिए। इस लड़ाई के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन भी होने चाहिए। जैसे अपनी सुरक्षा के लिए उपकरण, क्लीनिकल हस्तक्षेप के इस्तेमाल के लिए मार्गदर्शन, बीमा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहयोग।
5. मौजूदा वैक्सीन की डोज़ का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए कोरोना वायरस के टीके के लिए अलग-अलग समूहों की प्राथमिकता तय करनी चाहिए। वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ने के साथ इसका दायरा और बढ़ाया जा सकता है। वैक्सीनेशन सार्वजनिक हित के लिए है। इसे बाज़ार तंत्र पर नहीं छोड़ना चाहिए।
6. कोविड-19 से लड़ाई में सामुदायिक मेलजोल के साथ काम करने और सार्वजनिक भागीदारी पर ध्यान देना चाहिए। ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे नागरिक समाज की स्वास्थ्य देखभाल और अन्य विकास गतिविधियों में लोगों की भागीदारी में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
7. कोरोना के मामले बढ़ने की आशंका को देखते हुए जिलों को सक्रिय रूप से तैयार करने के लिए सरकारी डेटा संग्रह और मॉडलिंग में पारदर्शिता होनी चाहिए। स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 मामलों में अलग-अलग आयु और लिंग के आंकड़ों, अस्पताल में भर्ती होने की दर और मृत्यु दर, वैक्सीनेशन की सामुदायिक स्तर पर कवरेज, उपचार प्रोटोकॉल की प्रभावशीलता की समुदाय-आधारित ट्रैकिंग और दीर्घकालिक परिणामों पर डेटा की आवश्यकता होती है।

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