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हरिओम को मिला राष्ट्रीय बाल हृदय योजना से नया जीवनदान ( छह साल के मासूम के दिल में था छेद)

हरिओम को मिला राष्ट्रीय बाल हृदय योजना से नया जीवनदान

छह साल के मासूम के दिल में था छेद
जिले के 4 बच्चों को अबतक मिल चुका है योजना का लाभ
मरीज तथा परिजन को रहने खाने तथा हवाई यात्रा का खर्च वहन करती है सरकार

समस्तीपुर,
संतान सबको प्रिय होती है। चाहे वह अमीर हो या गरीब चाहे उच्च जाति का हो या निम्न जाति का। वह उन्हें सब कुछ देना चाहते हैं जो उनकी संतान चाहती है ,पर रोसड़ा प्रखंड के बैजनाथपुर गांव के रामदयाल राम की बेचैनी कुछ अलग ही थी। उनके छह साल के बेटे हरिओम के दिल में छेद था। यह बात उन्हें चार वर्ष की उम्र में ही पता लग गया था । जब वह शहर के एक नामी चिकित्सक के यहां उपचार करवा रहे थे। वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे। हरिओम के इलाज में बहुत अधिक खर्च था। वह एक दैनिक मजदूर हैं । अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने बेटे का इलाज कहीं-कहीं करवा रहे थे पर ऐसे उपचार का कोई फायदा नहीं मिल रहा था। दिन-ब-दिन हरि ओम बहुत ही कमजोर और बीमार रह रहा था। निजी अस्पताल वाले ऑपरेशन करने हेतु लाखों रुपए की मांग कर रहे थे। .एक दिन उनके गांव में आरबीएसके का कैंप लगा और डॉक्टर साहब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में लोगों को जानकारी दी। उनको यह बताया कि इस योजना के तहत उनके बेटे का इलाज मुफ्त में हो सकता है। उन्होंने वहां के आरबीएसके टीम के डॉक्टर को अपने बेटे के बारे में बताया। डॉक्टर साहब तुरंत उसके घर पर आए उसकी जांच की । डॉक्टरों की टीम में डॉ. सौरव गांगुली, डॉ. रोजी गांगुली व सुमन कुमारी इत्यादि थे। उन्होंने सदर अस्पताल समस्तीपुर जाने हेतु सलाह दी । समस्तीपुर सदर अस्पताल में उनकी प्राथमिक जांच के बाद उच्च स्तरीय जांच हेतु आईजीआईसी पटना भेजा गया। जहां हरिओम की स्क्रीनिंग हुई व बाद में उच्च स्तरीय चिकित्सा एवं जांच हेतु श्री सत्य साईं चैरिटेबल अस्पताल अहमदाबाद हेतु भेजा गया। समस्तीपुर से उन्हें एंबुलेंस के माध्यम से पटना एयरपोर्ट तथा पटना एयरपोर्ट से 18 अप्रैल 2022 को फ्लाइट के माध्यम से श्री सत्य साईं चैरिटेबल अस्पताल पहुंचाया गया। जहां कुशल चिकित्सकों की देखरेख में 20 अप्रैल 2022 को उसका सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। जिसके बाद वह पूर्ण रूप से ठीक है। आह्मदाबाद में रहने खाने सभी चीजें की सुविधा आने जाने का खर्चा भी राष्ट्रीय बाल हृदय योजना के अंतर्गत प्रदान होता है। अब उनका बच्चा खुशहाल जीवन जी रहा है। उनके माता-पिता भी सरकारी संस्थानों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। , रामदयाल राम ने बताया कि उस अस्पताल में मेरे साथ और अन्य जिलों के बच्चे भी थे। न जाने राष्ट्रीय बाल हृदय योजना ने कितने ही बच्चों की हंसी फिर से उसे वापस कर दी है।

4 बच्चों को अबतक मिल चुका है लाभ-
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डा. विजय कुमार ने बताया जिले से अबतक कुल 4 बाल हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का सफल ऑपरेशन करवाया जा चुका है। सभी बच्चे बिल्कुल स्वस्थ्य हैं। समय समय पर उनका चेकअप राज्य की राजधानी आई0 जी0 आई0 सी0 पटना में कुशल चिकित्सकों द्वारा की जाती है। यह योजना गरीब अभिभावकों के लिए वरदान से कम नहीं है। उन्होंने बताया बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के
तहत अन्य कई प्रकार के गंभीर जन्मजात रोगों से ग्रसित बच्चों का सफल चिकित्सा करवाया जा चुका है।

एंबुलेंस की सुविधा नि:शुल्क:

सिविल सर्जन डॉ एस के चौधरी ने कहा कि बाल हृदय योजना के तहत बच्चों को नि:शुल्क एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करायी जाती है। बच्चों को घर से अस्पताल या अहमदाबाद जाने के लिए एयरपोर्ट, या अस्पताल से घर तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करायी जाती है। जिसका खर्च विभाग की तरफ से वहन किया जाता है। आर.बी.एस.के.कार्यक्रम मुख्य रूप से शून्य से 18 वर्ष के बच्चों की बीमारी दूर करने का कार्यक्रम है। इसके तहत कुल 44 प्रकार के बीमारी का इलाज किया जा रहा है। आर.बी.एस.के. दल प्रतिदिन सभी प्रखंडों के किसी ना किसी आंगनबाड़ी या सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय में जा कर बच्चों की स्वास्थ्य जाँच करती है । साथ ही उक्त दल के सदस्य सोमवार से शुक्रवार तक रोगग्रस्त पाए बच्चों की सूची तैयार कर गांव में पीड़ित परिवार से जाकर मिलते हैं। उन्हें सरकारी कार्यक्रम की जानकारी देते हैं। इसके बाद बच्चों का इलाज होता है।

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