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ओआरएस और जिंक की जोड़ी शिशु के लिये जीवनदायी- डॉ अशोक

ओआरएस और जिंक की जोड़ी शिशु के लिये जीवनदायी- डॉ अशोक

चिकित्सकों ने शिशु विभाग में ओआरएस पैकेट बनाने की बतायी विधि
-सघन दस्त पखवाड़ा के तहत ओआरएस सप्ताह का किया आगाज

दरभंगा इंडियन एकेडमी आफ पेडियाट्रिक्स की ओर से सोमवार को डीएमसीएच के शिशु विभाग के वार्ड में मरीजों के बीच ओआरएस के पैकेट बांटकर ओआरएस सप्ताह का आगाज किया गया. आईएपी के अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार, सचिव डॉ सलीम अहमद, डीएमसी के प्राचार्य सह शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ एके मिश्रा एवं सामुदायिक कार्यक्रम के प्रभारी डॉ कामोद झा के नेतृत्व में आईएपी के सदस्यों ने परिजनों से मिलकर माताओं व परिजनों को ओआरएस का महत्व और बनाने का तरीका समझाया. डॉ के एन मिश्रा ने कहा कि दस्त से होने वाले मृत्यु को शून्य तक ले जाना है और इसमें ओआरएस का महत्वपूर्ण योगदान है. कार्यक्रम के संयोजक डॉ कामोद झा ने बताया कि पूरे ओआरएस सप्ताह में आईएपी के सदस्य अपने क्लीनिक में ओआरएस की महत्ता मरीज व परिजनों को बताएंगे. साथ ही जरूरतमंद मरीजों को ओआरएस का पैकेट और जिंक दिया जायेगा. सचिव डॉ सलीम अहमद ने बताया अगला कार्यक्रम वृहस्पतिवार को डीएमसीएच के आउटडोर में किया जाएगा. बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिये सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा संचालित किया जा रहा है. यह कार्यक्रम 30 जुलाई तक चलाया जायेगा.
सही तरीके से बना घोल लाभदायक–
डॉ एनपी गुप्ता ने कहा कि ओआरएस का घोल सही ढंग से बनाना जरूरी है. तभी वह उपयोगी होगा. उन्होंने कहा कि एक साफ बर्तन में एक बड़े पैकेट को एक लीटर या एक छोटे पैकेट को 200 एमएल पीने योग्य शुद्ध पानी में एक ही बार में घोलना है. इसे ढककर 24 घंटा रख सकते हैं. दस्त शुरू होते ही लगातार बच्चे को पिलाते रहना है. डॉ अशोक कुमार ने ओआरएस और जिंक की जोड़ी को बलवान बताया. कहा कि ओआरएस के साथ जिंक देने से दस्त ठीक होने का समय कम जाता और मरीज की जान बच जाती है. डॉ रिजवान हैदर ने कहा कि ओआरएस की महत्ता भारतवर्ष में 1971 के बांग्लादेश के युद्ध के समय चिह्नित हुई और उस दिन से दस्त उपचार में इसकी उपयोगिता हम सब महसूस कर रहे हैं. डॉ मणि शंकर ने कहा कि सिर्फ आईएपी के सदस्य ही नहीं यह सभी डॉक्टरों का कर्तव्य बनता है कि निर्जलीकरण के लक्षणों को पहचानें और दस्त शुरू होते ही ओआरएस और जिंक शुरू करें. ऐसा करने से एक प्रीवेंटेबल मृत्यु को रोक सकते हैं.
शिशु के माताओं को दी गयी ओआरएस की पैकेट-
इधर शिशु विभाग के सीनियर रेजिडेंट और पीजी छात्रों ने माताओं को दिखाया कि ओआरएस का घोल कैसे बनाया जाता है. उन्होंने दस्त वाले बच्चों को चिह्नित कर उनकी माताओं को दो- दो पैकेट ओआरएस और जिंक दवा दी. बता दें कि बिहार सरकार के निर्देश के अनुसार पांच साल तक के सभी बच्चों को घर- घर जाकर आर एस का पैकेट देना है. जिन बच्चों को दस्त नहीं हो रहे हैं उन्हें एक और जिन्हें दस्त हो रहा है उन्हें दो पैकेट ओआरएस और जिंक की गोली देना सुनिश्चित करना है.
अंत में डॉ ओम प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

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