जीविका दीदियों ने रेड डॉट चैलेंज लेकर मनाया ‘विश्व मासिक धर्म स्वच्छता सप्ताह
जीविका दीदियों ने माहवारी से जुड़े मिथक,भ्रांतिया को दरकिनार कर स्वास्थ्य एवं स्वचछता से संबधित दी जानकारी
दरभंगा ‘विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ यानी ‘वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे ’हर साल 28 मई को मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसका मकसद महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सफाई के महत्व को समझाना है।
गांव और शहरों में रहने वाली लाखों महिलाएं आज भी इससे जुड़ी कई ज़रूरी जानकारियों से अंजान हैं और उन्हें पता भी नहीं कि उनकी थोड़ी सी लापरवाही उन्हें हेपेटाइटिस बी, सर्वाइकल कैंसर, आदि जैसे गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाती है।
उन्होंने कहा कि इसका असर महिलाओं पर शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी लंबी उम्र तक परेशान करने वाला हो सकता है। इन्ही विषयों पर सभी को जागरूक करने के मकसद से दरभंगा की जीविका दीदियों ने मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर गर्व से रेड डॉट चैलेंज लेकर मासिक धर्म सप्ताह के रूप में मनाया गया।
दरभंगा जिले के स्वास्थ्य और पोषण कैडर में 49 एमआरपी (मास्टर रिसोर्स पर्सन), 252 सीएनआरपी (सामुदायिक पोषण रिसोर्स पर्सन) के साथ-साथ जीविका के ग्राम संगठन व संकुल संघ के हजारों स्वास्थ्य समिति सदस्यों ने भागीदारी निभायी।
उन्होंने कहा कि पीरियड्स महिलाओं को होने वाली चार से पाँच दिन की एक प्राकृतिक प्रकिया है,जिससे एक उम्र के बाद हर महिला को इससे होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को साफ-सफाई का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है, जिसकी अनदेखी करने पर महिलाओं को कई बार कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वछता विषय के युवा पेशेवर रिंकू ने बताया माहवारी को लेकर अभी तक लोगों में अनेकों भ्रांतियाँ फैली हुई है। अभी भी माहवारी के दौरान कई जगह महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है।उन्हें रसोई घर, मंदिर आदि जगह पर नहीं जाने दिया जाता कई जगह यह मान्यता है कि माहवारी के दौरान महिलाओं को नहाना या बाल नहीं धोना चाहिए। इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। बल्कि सच तो यह है कि माहवारी के दौरान अपने शरीर की सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। समय नियमित रूप से स्नान करना जरूरी है। ऐसा करने से अनावश्यक संक्रमण से बचाव होता है।
रिंकू ने बताया हर साल 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है क्योंकि मासिक धर्म चक्र औसतन 28 दिनों का होता है और आमतौर पर पांच दिनों तक यह होता है। इसलिए वर्ष के पांचवें महीने के 28 वें दिन को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में चुना गया।
उन्होंने कहा कि माहवारी कोई सामाजिक कलंक नहीं है, माहवारी की बात होते ही लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव की तस्वीर उभरने लगती है इसलिए जरूरी है कि माहवारी से जुड़ी मिथक, भ्रांतिया को दरकिनार कर स्वास्थ्य, स्वच्छता से संबधित जानकारी को अग्रसारित कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
संचार प्रबंधक राजा सागर ने कहा माहवारी स्वच्छता दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर जितनी चर्चा हो, उतनी ही इस विषय पर झिझक खत्म होगी। इस दिशा में सभी को एक कदम आगे बढ़ाने और माहवारी से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात करने की जरूरत है।
माहवारी न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह समाज में जागरूकता और स्वीकृति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। माहवारी शर्म नहीं सम्मान है, औरत की पहचान है। महिलाओं के साथ पुरुषों को भी इस विषय पर जानकारी देकर जागरूक किए जाने की आवश्यकत्ता है जिससे वो मुश्किल दिनों में अपने परिजनों को अपेक्षित सहयोग कर पाने में सक्षम हो।
दरअसल, दुनियाभर में अभी भी कई ऐसे समाज हैं जहां महिलाएं इस पर खुलकर बात नहीं कर पातीं. ऐसे में पीरियड्स के दौरान किन बातों को ध्यान रखना है या किसी तरह की समस्या का कारण क्या है, साफ- सफाई के सहारे किन बीमारियों से बचा जा सकता है आदि जानकारियां उन्हें कभी मिल ही नहीं पाती।
ऐसे में इस दिवस के मौके पर एक माहौल बनाने की कोशिश की जाती है कि लोगों को ये बताया जा सके कि मासिक धर्म कोई अपराध नहीं, बल्कि ये एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। जिस पर घर और समाज में खुलकर बात करने की ज़रूरत है, जिससे महिलाओं और बच्चियों को गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके।