कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम को ले दरभंगा मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में कार्याशाला का आयोजन
-कार्यशाला में
प्राचार्य, अधीक्षक, विभागाध्यक्ष, नर्स व कर्मियों ने लिया हिस्सा
-खुद सावधानी बरतकर कोरोना से कर सकते बचाव
-कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये जागरूकता जरूरी
दरभंगा. मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में कोरोना वायरस की जागरूकता को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इसके तहत डॉ पीके लाल ने कोरोना की विस्तृत जानकारी दी.उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस कई वायरस (विषाणु) प्रकारों का एक समूह है, जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग के कारक होते हैं. यह आरएनए वायरस होते हैं, मानवों में यह श्वास तंत्र संक्रमण के कारण होते हैं, जो अधिकांश रूप से मध्यम गहनता के लेकिन कभी- कभी जानलेवा होते हैं. गाय और सूअर में यह अतिसार और मुर्गियों में यह ऊपरी श्वास तंत्र के रोग के कारण बनते हैं. इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या वायररोधी अभी उपलब्ध नहीं है। और उपचार के लिए व्यक्ति की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है. एवं रोगलक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे. कहा कि चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोना वायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण सन 2019-20 काल में तेज़ी से उभरकर 2019–20 वुहान कोरोना वायरस प्रकोप के रूप में फैलता जा रहा है. डब्लयूएचओ ने इसका नाम कोवीड- 19 रखा है. अभी तक भारत में 166 कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है. इसमें 141 भारतीय व 25 विदेशी नागरिक हैं. अभी तक 170 देशों में यह संक्रमण फैल चुका है.
दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति को बनाता संक्रमित:
डॉ लाल ने बताया जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं. इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं. संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर अनजान वस किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं, और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो वहीं कण दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में पहुंचते हैं. इससे वह व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है.
कोरोनो वायरस संक्रमण के लक्षण क्या हैं:
कार्यशाला के दौरान डॉ लाल ने कोरोना संक्रमण के लक्षण को बताते हुये कहा कि इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है. इस कारण सबसे पहले बुख़ार, उसके बाद सूखी खांसी आती है. बाद में सांस लेने में समस्या हो सकती है. वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पाँच दिन लगते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत दिन बाद में भी देखने को मिल सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है. हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है. कोरोना वायरस उन लोगों के शरीर से अधिक फैलता है जिनमें इसके संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं. लेकिन कई जानकार मानते हैं कि व्यक्ति को बीमार करने से पहले भी ये वायरस फैल सकता है. बीमारी के शुरुआती लक्षण सर्दी और फ्लू जैसे ही होते हैं जिससे कोई आसानी से भ्रमित हो सकता है। संक्रमण से बचाव का सुझाव :
डॉ लाल ने बताया कि अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तो कुछ दिनों के लिए ख़ुद को दूसरों से दूर रहने की सलाह दी जा सकती है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा है कि जिन्हें लगता है कि वो संक्रमित हैं वो डॉक्टर, फार्मेसी या अस्पताल जाने से बचें. अपने इलाक़े में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से फ़ोन पर या ऑनलाइन जानकारी लें. बताया कि जो लोग दूसरे देशों की यात्रा कर के यूके लौटे हैं, उन्हें सलाह दी गई है कि वो कुछ दिनों के लिए ख़ुद को दूसरों से अलग कर लें. इसके अलावा भीड़- भाड़ वाले इलाकें में जाने से बचें. अनजान लोगो से दूरी बनाये रखें. इससे बचने के लिए आप नियमित रूप से और अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं. अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं. ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. कार्यशाला में दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एचके झा, अधीक्षक डॉ आरआर प्रसाद, विभागाध्यक्ष, वरीय चिकित्सक, हैल्थ मैनेजर, नर्स व स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।