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यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई खत्म, देश की उच्च-तकनीकी शिक्षा पर होगा सिंगल रेगुलेटर:- सरकार ने देश की नई नेशनल एजूकेशन पाॅलिसी को मंजूरी दे दी है।

यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई खत्म, देश की उच्च-तकनीकी शिक्षा पर होगा सिंगल रेगुलेटर:-

सरकार ने देश की नई नेशनल एजूकेशन पाॅलिसी को मंजूरी दे दी है।

सरकार ने देश की नई नेशनल एजूकेशन पाॅलिसी को मंजूरी दे दी है
अब केंद्रीय, राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालयों में एक जैसे मानक लागू होंगे
चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद अब एमफिल प्रोग्राम खत्म हो गया है
केंद्र सरकार ने आज एक एतिहासिक फैसले के जरिए देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही उच्च शिक्षा के लिए गठित यूजीसी, तकनीकी शिक्षा के लिए एआईसीटीई और टीचर एजूकेशन के लिए एनसीटीई को समाप्त कर दिया गया है। कानूनी और मेडिकल को छोडकर अब देश की पूरी उच्‍च, तकनीकी व व्‍यावसा‍यिकू शिक्षा, प्रणाली और व्यवस्था का एक सिंगल रेगुलेटर होगा। इसे हायर एजूकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) के नाम से जाना जाएगा। साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस काॅन्फ्रेंस के जरिए नई शिक्षा नीति की मंजूरी की घोषणा की। उनके साथ उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया कि अभी तक UGC, ऑल इंडिया काउंसिल फाॅर टेक्निकल एजूकेशन (AICTE) और नेशनल काउंसिल फाॅर टीचर एजूकेशन (NCTE) संचालित थे लेकिन अब पूरी शिक्षा प्रणाली को एक ही रेगुलेटर संभालेगा। इसके बाद अब देश में संस्थानों के बार-बार निरीक्षण करने वाली व्यवस्था खत्म कर दी गई है।

देश को अब 34 साल के बाद नई शिक्षा नीति मिली है। टीएसआर सुब्रमण्यम कमेटी की 27 मई 2016 और डाॅ के. कस्तूरीरंजन की 31 मई 2019 की रिपोर्ट पर ड्राफ्ट तैयार किया गया। इसका 22 भाषाओं में अनुवाद किया गया, जिस पर देश की शिक्षा प्रणाली से जुड़े लाखों हितधारकों से सुझाव लेकर इसे अं‍तिम रूप दिया गया।

नेशनल एजूकेशन पाॅलिसी में हुए अहम बदलाव –

+ मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।

+ कानूनी शिक्षा और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर देश की पूरी शिक्षा प्रणाली को अब सिंगल रेगुलेटर संभालेगा।

+ पब्लिक या प्राइवेट अब सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में एक जैसे नियम और मानक लागू होंगे।

+ तीन साल का डिग्री प्रोग्राम पहले की तरह ही रहेगा।

+ चार साल का डिग्री प्रोग्राम में सीधे पीएचडी की व्यवस्था होगी। इस प्रक्रिया में एमफिल खत्म कर दिया गया है।

+ मेजर और माइनर प्रोग्राम की व्यवस्था होगी। आर्थिक कारण या समय के कारण वापस पढ़ाई में आना आसान होगा।

+ यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को मल्टी-डिसिप्लिनरी बनाया जाएगा। इंजीनियरिंग के साथ म्यूजिक की पढ़ाई की जा सकेगी।

+ केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय और डीम्ड यूनिवर्सिटी में एक जैसे मानक लागू होंगे। फीस नियंत्रित करने के लिए फीस निर्धारण कमेटी तय करेगी।

+ नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बड़े प्रोजेक्ट की फंडिंग करेगा। रिसर्च और पेटेंट में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा और ये प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

+ टेक्नोलाॅजी का व्यापक इस्तेमाल किया जाएगा लेकिन समावेशी तरीके से इसे लागू किया जाएगा।

मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू –

अब तक तीन या चार साल के कोर्स को बीच में छोड़ने का विकल्प नहीं था लेकिन अब मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसके तहत एक साल बाद कोर्स छोड़ने पर सर्टिफिकेट दिया जाएगा। दूसरे साल में डिप्लोमा और तीसरे साल में डिग्री मिलेगी। ये सभी मल्टी-डिसिप्लिनरी प्रोग्राम के तहत लागू किया जाएगा।

उच्च संस्थानों में एडमिशन के लिए होगा काॅमन एंट्रेंस-

नई एजूकेशन पाॅलिसी में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है। अब उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए अब काॅमन एडमिशन टेस्ट कराया जाएगा। 12वीं के बाद छात्रों के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए अलग एग्जाम देने की जरूरत नहीं होगी। एक जैसे कोर्स के लिए एक प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी। ये अनिवार्य नहीं होगी। एनटीए की ओर से ये ऑफर की तरह होगा। संबंधित यूनिवर्सिटी चाहे तो एनटीए की प्रवेश परीक्षा को अडाॅप्ट कर सकेगी।

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