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दरभंगा नवाह का प्रतीक बने अष्टयाम का सोमवार को हुआ समापन। अजित कुमार सिंह DN 24 LIVE

नवाह का प्रतीक बने अष्टयाम का सोमवार को हुआ समापन

32 साल पहले भीषण बाढ़ एवं विध्वंसकारी भूकंप जैसी आपदा की स्थिति से संपूर्ण मिथिला को निजात दिलाने के लिए मां श्यामा को गोहराने के उद्देश्य से वर्ष 1988 में शुरू किए गए नवाह के प्रतीक स्वरूप कोरोना महामारी की वर्तमान विपदा की स्थिति में 24 घंटे का श्यामा नामधुन संकीर्तन सोमवार को पूर्णाहुति हवन एवं कुमारी भोजन के साथ समाप्त हुआ। जानकारी देते हुए मां श्यामा न्यास समिति के उपाध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने बताया कि अष्टयाम में रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण जहां पुरुष श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक थी। वहीं, सोमवार को महिलाओं की भारी भीड़ जुटी।
उन्होंने बताया कि अष्टयाम के दौरान कोरोना के सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए न्यास समिति के सदस्यों ने अधिकतम 50 लोगों की विभिन्न टोलियां बनाकर अष्टयाम को भक्ति से सराबोर शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोमवार को अपराहन 12 बजकर आठ मिनट पर अष्टयाम संकीर्तन संपन्न हुआ। इसके बाद मैथिली मंच के कलाकारों डाॅ ममता ठाकुर, डॉ सुषमा झा, ओमप्रकाश सिंह, पारस पंकज, विभा झा, अनुपमा मिश्र आदि ने भजन एवं भक्ति गीतों की भक्तिपूर्ण महफिल सजाई। उनके साथ तबला पर हीरा कुमार झा व मयंक एवं कैसियो पर राम बहादुर ने जमकर अपनी उंगलियों का जादू बिखेरा। कार्यक्रम के आयोजन में न्यास समिति के डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ रमेश झा, दया कांत मिश्र, मैनेजर चौधरी हेम चंद्र राय, प्रवीण कुमार झा आदि की उल्लेखनीय भूमिका रही।

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