पढ़ाई-कमाई-दबाई के लिए राज्य स्तर पर होगा आंदोलन तेज – आइसा
नई शिक्षा नीति भारत के संघीय ढांचा पर हमला है- संदीप सौरभ विधायक
वर्तमान सरकार विज्ञान के तघ्हो को दरकिनार करके मिथ्या को बढ़ावा दे रही है- प्रो सुरेंद्र सुमन।
आइसा का दो दिवसीय राज्य परिषद की बैठक शुरू।
बैठक से पहले हुआ कन्वेंशन का आयोजन।
दरभंगा
आइसा बिहार राज्य परिषद की दो दिवसीय बैठक आज स ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर में शुरू हुई है। बैठक से पहले शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार व किसान आंदोलन जैसे मुद्दे पर कन्वेंशन का आयोजन किया गया।
कन्वेंशन से पहले बाबा नागार्जुन की प्रतिमा, भीम राव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ कन्वेंशन की शुरुआत की गई।
छात्र-युवा कन्वेंशन को संबोधित करते हुए आइसा के राष्ट्रीय महासचिव व भाकपा माले के पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने कहां कि वर्तमान समय में आइसा ने पढ़ाई, कमाई, दवाई राष्ट्रीय अभियान लिया है. मोदी सरकार शैक्षणिक संस्थानों को बर्बाद कर देने पर तूली हुई है, ज्ञान, विज्ञान, तार्किकता पर विश्वास न करकर मिथ्या को बढ़ावा दे रही है.
सरकार ने देश के शैक्षणिक संस्थानों में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति का केवल एक ही प्रयोजन है और वह है निजी संस्थानों को बढ़ावा देना। इस नीति द्वारा सरकार अपने इस मंसूबे को स्कूल तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी तथा सार्वजनिक-परोपकार की साझेदारी का चोंगा ओढ़ा रही हैl एनईपी निजी कंपनियों और सरकार को सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए उनकी जवाबदेह नहीं ठहराती है।
एनईपी संविधान के संघीय ढांचे पर भी हमला हैl शिक्षा समवर्ती सूची में है तथा परामर्श और समन्वय की मांग करता है, एकरूपता की नहीं। इसी तरह, नीति का प्रारूप ऑनलाइन शिक्षा और शिक्षण में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की बात करता है, लेकिन छात्रों के लिए इस प्रौद्योगिकी की पहुंच और सामर्थ्य का विस्तार कैसे होगा यह सुनिश्चित करने में विफल है ।
सरकार स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों स्तर पर स्व-नियमन को बढ़ावा देकर शिक्षा क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी त्याग कर निजी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है। एनईपी बड़े स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पक्ष में छोटे स्कूलों और कॉलेजों को बंद करना प्रस्तावित करता है, जो सार्वजनिक वित्त पोषित शिक्षा को नष्ट करने के अलावा कुछ भी नहीं है ।
कोविड के दौर में सरकार ने आपदा को अवसर में बदल दिया है लगातार मोदी सरकार देश के छात्र-नौजवान व किसान विरोधी क़ानूनों कानूनों को लागू कर रही है.
जब इन तमाम कानूनों व शिक्षा नीति के खिलाफ छात्र-नौजवान व किसान सड़कों पर उतर विरोध का स्वर तेज़ कर रहे है. इस विरोध स्वर को मज़बूत करने के लिए गोलबंद होना होगा।
जसम के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य सह हिंदी विभाग के प्रधायपक प्रो सुरेंद्र सुमन ने कहां सत्ता की गुलामी करनी वाली शिक्षा नीति बनाई जा रही है, फर्क बस इतना है कि पहले एकलव्य का अंगूठा काटा जाता था, आज एकलव्य का सर काटा जा रहा है.
वर्तमान सरकार विज्ञान के तथ्यों को दरकिनार करके मिथ्य को बढ़ावा दे रही है.
छात्र-नौजवानों के भविष्य को बर्बाद करने वाली सरकार के खिलाफ एकताबद्ध होकर प्रतिरोध तेज़ करना होगा।
इनौस के जिला अध्यक्ष
केशरी कुमार यादव ने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार शैक्षणिक संस्थानों को बर्बाद करने पर आमादा है, देश के पुराने कलकारखानों को बर्बाद कर कॉरपोरेट घरानों को बढ़ावा दे रहीं है. हम सभी छात्र-नौजवानों को मोदी सरकार के कंपनी राज के खिलाफ गोलबंद होकर प्रतिरोध का स्वर तेज करना होगा.
आइसा राज्य सह सचिव प्रियंका प्रियदर्शिनी ने सभा को संबोधित करते हुए कहां कि वर्तमान समय मे मोदी सरकार देश के सार्वजनिक संस्थाओं को कॉरपोरेट घरानों के हाथों बेच रही है, अपने सार्वजनिक संस्थाओं को बचाने के लिए हम छात्र- नौजवानों को आगें आना होगा।
इस मौके पर मिथिला शोध संस्थान पूर्व निदेशक प्रो देव नारायण यादव, आइसा राज्य सचिव सबीर कुमार, आइसा राज्य अध्यक्ष मोख्तार, आइसा राज्य सह सचिव पूनम कुमारी, आइसा राज्य कमिटी सदस्य मनीषा कुमारी, कर्मचारी नेता डॉ संतोष कुमार यादव, आइसा जिला अध्यक्ष प्रिंस राज, आइसा जिला सचिव विशाल कुमार माझी, वतन कुमार, विकास यादव, खुशबू कुमारी, संदीप कुमार, शम्स तबरेज, सुफियान, आमिर एकलाख, दिलीप कुमार सहित सैकड़ो छात्र-नौजवान शामिल थे। कन्वेंशन की संचालन आइसा राज्य सह सचिव संदीप कुमार चौधरी ने किया वही धन्यवाद ज्ञापन आइसा नेता मयंक कुमार यादव ने किया।
कन्वेंशन के बाद दो दिवसीय राज्य परिषद की बैठक शूरु हुई। बैठक कल देर रात चलेगी।
प्रिंस राज- जिला अध्यक्ष, आइसा