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 दरभंगा महोत्सव आयोजन समिति द्वारा भव्य सांस्कृतिक सामागम का आयोजन किया गया ।

मिथिला के सांस्कृतिक रंगों से सजी दरभंगा महोत्सव की शाम दरभंगा महोत्सव द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज….

 

दरभंगा महोत्सव आयोजन समिति द्वारा भव्य सांस्कृतिक सामागम का आयोजन किया गया । इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डा मृदुल शुक्ला , डॉक्टर अभिषेक सराफ , डॉक्टर उत्सव राज , अध्यक्ष अभिषेक कुमार झा , MSU के राष्ट्रीय महासचिव गोपाल चौधरी , संयोजक विद्या भूषण राय , CA नवल किशोर मिश्रा उपस्थित हुए । कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया । ततपश्चात प्रतिभा चौधरी के मांगलिक व स्वागत गीत से कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ ।

इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम में आकर मन गदगद हो रहा है। यहां के कलाकार कला साधना में जुटे हैं। पर यहां की कला को सहेजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां हमलोग आगे बढ़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ हमारी संस्कृति पीछे भी जा रही है।सांस्कृतिक चेतना के अभाव में यहां की संस्कृति अब विलुप्त हो रही है। मिथिलांचल में साहित्यकार, शिल्पकार, कलाकार हर क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं। पर जागरुकता, चेतना, जागरण के अभाव में संरक्षण और ख्याति नहीं मिली। भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए सभी को आगे आना होगा। संस्कृति के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। जो चीजे परंपरागत हैं, उसे परंपरागत ही रहने देना चाहिए।
दरभंगा की संस्कृति और सभ्यता को लेकर एक कहावत काफी प्रचलित है- “पग-पग पोखरी, माछ, मखान, सरस बोली मुस्की मुख पान, विद्या वैभव शांति प्रतीक ललित नगर दरभंगा थिक”

दरभंगा को बिहार की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है. यह शहर सदियों से समृद्ध संगीत कला के क्षेत्र में, लोक कला और परंपरा के रूप में, उत्कृष्टता रखता है । दरभंगा एक अद्भुत पर्यटन स्थल है ।मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा विद्या, वैभव, खानपान, मधुर मुस्कान और अपनी मीठी बोली के लिए दुनियाभर में मशहूर है। ध्रुपद गायन, मिथिला पेंटिंग, सिक्की और सुजनी लोककला के साथ अपनी गौरवशाली संस्कृति पर मिथिला के लोग नाज़ करते हैं। इन गौरवशाली अतीत और आसपास सैकड़ों पर्यटक स्थल होने के बावजूद मिथिला का ह्रदय स्थल दरभंगा आज़ादी के बाद से ही उपेक्षित है। मछली, मखान, आम, ठेकुआ, अरिकंचन की सब्जी और तिलकौर के तरुआ के अद्भुत स्वाद के लिए दरभंगा दुनियाभर में प्रसिद्ध है। मिथिला के पोखर, तालाब की मछली का स्वाद आपको दुनिया के किसी इलाके की मछली में नहीं मिल पाएगा। जट-जटिन, नटुआ नाच, छठ, मधुश्रावणी, सामा चकेवा के साथ सदियों से संगीत और लोककला का केंन्द्र होने पर भी यहाँ गिनती के पर्यटक पहुँचते हैं।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अभिषेक कुमार झा ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मिथिला समेत दरभंगा का सांस्कृतिक विरासत को सहेजना है। अगर इसी प्रकार दरभंगावासी का सहयोग मिला तो यह महोत्सव बारम्बार होगा ।

इस अवसर पर प्रतिभा चौधरी ,माधव राय , आलोक भारती , दीप्ति कश्यप , रचना झा , स्वाती मिश्रा समेत दर्जनों से अधिक प्रख्यात मैथिली कलाकार ने इस कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दिया । बालकलाकार ऋषव एवं प्रणव ने भी कार्यक्रम में अपना प्रस्तुति दिया । कार्यक्रम का संचालन प्रख्यात उद्घोषक राकेश रौशन व राधे भाई ने किया ।

वहीं दरभंगा व मिथिला से जुड़े मैथिली संगीत से उपस्थित दर्शकों का मनमोहा ।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अमित मिश्रा , अनीश चौधरी , सुधांशु झा , नीरज चौधरी , उदय नारायण झा , विक्रम सिंह शैलेश चौधरी , ऋतु राज , समेत दर्जनों कार्यकर्ता के बलबूते इस कार्यक्रम का सफल आयोजन हो सका ।

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