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 जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा निर्देशित कैच द रेन कार्यक्रम के तहत नेहरू युवा केंद्र, दरभंगा द्वारा मानव संस्कार के तत्वावधान में जल संरक्षण विषय पर सेमिनार का आयोजन

जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा निर्देशित कैच द रेन कार्यक्रम के तहत नेहरू युवा केंद्र, दरभंगा द्वारा मानव संस्कार के तत्वावधान में जल संरक्षण विषय पर सेमिनार का आयोजन संस्कृत विश्वविद्यालय के बहूद्येशिया भवन में किया गया।

Edit by – अजित कुमार सिंह

उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० शशि नाथ झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर अपने संबोधन में कहा कि जल संपूर्ण विश्व में मानव, पशु, पक्षी एवं प्रकृति के लिए बहुत ही आवश्यक है। जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है। अगर जल सुरक्षित हैं तो हमारा कल भी सुरक्षित है।
वहीं इन्होने कहा कि जल के महत्ता को हम सभी जानते और समझते हैं। जल के संचयन को कई तरीकों से किया जा सकता है। वर्षा जल का संग्रहण कर हम अपने घरो व गांवों के जलस्रोत को पुनर्जीवित कर सकते हैं। गांवों में तालाब, कुंआ एवं जल संग्रहण संरचनाओं का जीर्णोद्धार व स्वच्छ रख कर कर सकते है। हम सभी विभिन्न अन्य संरचनाओं के माध्यम से भी भूजल तथा वेस्ट वाटर का पुनरुपयोग भी कर सकते हैं।
वहीं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित जल संरक्षण पर काम कर रहे नारायण जी चौधरी ने कहा कि अन्य ग्रहों पर जीवन सिर्फ पानी के अभाव की वजह से संभव नहीं है। पृथ्वी अन्य ज्ञात खगोलीय पिंडों के बीच सबसे महत्वपूर्ण ग्रह मानी जाती है। पृथ्वी का लगभग तीन-चौथाई क्षेत्र पानी से घिरा हुआ है और आवासीय विश्व का लगभग 60-70% भाग को पानी घेरे हुये है। यह दिखाता है कि, पानी पृथ्वी पर नवीनीकृत स्रोत है क्योंकि यह पृथ्वी पर वाष्पीकरण और बारिश के माध्यम से पुनःउत्पादित और पुनःवितरित किया जाता है। यह हमारे दिमाग में एक सवाल को जन्म देता है कि यदि पानी नवीनीकृत स्रोत है तो फिर क्यों हम पानी के लिए चिन्तित हो रहे हैं और इसको संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। परंतु जल को हम तभी नवीनीकरण कर सकते है जब जल को व्यर्थ ना करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हुए अपने अध्यक्षीय संबोधन में जिला युवा अधिकारी रोशन कुमार ने कहा कि इन दिनों बढ़ रहे जलप्रदूषण का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे शरीर में वभिन्न तरह की बीमारियां घर बना रही हैं।स्वस्थ्य शरीर के लिए स्वच्छ जल मिलना जरूरी है। कई विशेषज्ञों ने जल संरक्षण और प्रदूषण के दुष्प्रभावों को बताते हुए जल संरक्षण के उपायों और आवश्यकताओं पर विचार व्यक्त किए है। इन्होंने कहा कि जल संचयन हेतु सोख्ता गड्ढा का निर्माण एवं पौधारोपण कर हम जल संरक्षण कर सकते है।
वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित शिक्षा शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ ० राम नंदन झा ने कहा कि वर्तमान के समय में जल संरक्षण एक संजीदा मुद्दा है जबकि हम इसे स्वयं को नियंत्रण में रखकर आसानी से संरक्षण कर सकते हैं।
इस अवसर पर जल संरक्षण पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सीएम कॉलेज दरभंगा के अदिति कुमारी, द्वितीय स्थान नीली रानी एवं तृतीय स्थान मारवाड़ी महाविद्यालय के सृष्टि कुमारी ने प्राप्त किया। जिन्हें अतिथियों ने प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
वहीं उक्त कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रचारित पोस्टर का विमोचन आगंतुक अतिथियों के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का संचालन प्रेरणा कुमारी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन मानव संस्कार के अध्यक्ष मणिकांत ठाकुर ने किया।
कार्यक्रम में कार्यक्रम संयोजक मानव संस्कार के सचिव मुकेश झा, धीरज कुमार, पिंटू भंडारी, बृजेश्वर पाठक ,मुकुल शर्मा, अरविंद कुमार, प्रिया सिंह,अपूर्वा, पूजा, कायनात समेत कई युवा उपस्थित थे।

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