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मिथिलाक्षर सीखने सिखाने के प्रति बढ़ी है लोगों में जागृति Edit ;- Ajit kumar singh

मिथिलाक्षर सीखने सिखाने के प्रति बढ़ी है लोगों में जागृति

कार्यशाला के तीसरे दिन सिखायी गयी मिथिलाक्षर की बारीकियां

 

Edit by ajit kumar singh

 

दरभंगा:मिथिलाक्षर में कई अक्षर संयुक्त होने के बाद एक नये स्वरूप में सामने आता है। यह इस लिपि की खासियत हैजो इसे विशेष बनाता है।जिससे इसे सीखने रोचक बनाता है। मैथिल फिल्म अकादमी और रमेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में चल रही मिथिलाक्षर प्रशिक्षण कार्यशाला के तीसरे दिन रविवार को प्रतिभागियों को मिथिलाक्षर की बारीकियों से अवगत कराया गया । प्रशिक्षक कौशल कुमार ने विस्तार से प्रतिभागियों के समक्ष प्रकाश डाला।
कार्यशाला में अतिथि के रूप में पहुँचे एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा ने कहा कि इस लिपि को सीखने सिखाने के प्रति लोगो मे फिर से जागृति बढ़ी है,यह स्वागत योग्य है। युवाओं को इसे अभियान बनाकर जुट जाना चाहिए।विद्यापति की रचनाओं से लेकर तमाम साहित्य एवं मिथिला की धर्म और दर्शन का ज्ञान पांडुलिपियों के रूप मिथिलाक्षर में ही संग्रहित है।जिसे जन मानस के सामने लाना समय की मांग है।
वही कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए प्रसिद्ध रंगकर्मी और साहित्यकार डॉ मंजर सुलेमान ने कहा कि अपनी सभ्यता संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए अपनी लिपि का सम्वर्धन आवश्यक है। कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों की संख्या और उत्साह काबिले तारीफ है।उन्होंने हिब्रू लिपि का उदाहरण देते हुए उसी की भांति मिथिलाक्षर के विकास के लिए सरकारी प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया।
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत प्रतीक चिन्ह और पुष्प गुच्छ देकर किया गया। वही अंकित कुमार और दीपक कुमार ने मैथिली अभियान गीत प्रस्तुत कर शामाबान्धा।
इस मौके पर डॉ अबधेश मिश्रा,डॉ विजय कुमार मिश्रा,राखी कुमारी,शशि भूषण चौधरी सहित कई लोगो ने भी अपने विचार रखे। प्रशान्त कुमार प्रसून ने धन्यवाद ज्ञापन किया।मैथिली फिल्म अकादमी के संयोजक शशि मोहन भारद्वाज कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे।

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