महाशिवरात्रि के अवसर बाबा सिद्धेश्वरनाथ के दरबार में बहेगी धर्म, संस्कृति व साहित्य की रसधार

शिवरात्रि के पावन अवसर पर मिथिला के सभी शिवालयों में जलाभिषेक को लेकर जहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। वहीं, इसके आयोजन को लेकर उनका उत्साह देखते बनता है मनीगाछी प्रखंड अंतर्गत टटुआर पंचायत के बिशौल गांव में अवस्थित अति प्राचीन बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर काफी प्रसिद्ध है।मंदिर में प्रवेश करते ही यहां स्थापित शिवलिंग भक्तों को विशेष रूप से आकर्षित करता है। समय के प्रवाह में खंडहर में तब्दील हो चुके इस प्राचीन मंदिर का वर्ष 1982 में ग्रामीणों ने एकजुट होकर जीर्णोद्धार कराया और तब से बड़े ही धूमधाम के साथ यहां तीन दिवसीय महा शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
सिद्धेश्वर नाथ महादेव के प्रति बिशौल और टटुआर सहित आसपास के पड़ोसी गांव के लोगों में आस्था का भाव इस कदर है कि शिवरात्रि के अवसर पर सैकड़ों कांवड़िया सिमरिया से पैदल गंगाजल लाकर यहां जलाभिषेक करते हैं।
सिद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रो जीवकांत मिश्र व सचिव विद्यानंद झा ने मंदिर के बारे में बताया कि निर्मल मन से बाबा सिद्धेश्वरनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने वालों के मन की मुराद निश्चय ही पूरी होती है।
मंदिर में लगे शिलापट्ट के अनुसार नर्मदा कुंड से प्राप्त शिव दंपति व गणेश की मूर्ति के साथ शिवलिंग की स्थापना 1763 शाके की चैत्र शुक्ल दशमी बृहस्पति को महान शिव उपासक व प्रकांड विद्वान सिद्धेश्वर नाथ मिश्र ने किया था।
जानकार बताते हैं कि यहां स्थापित तीनों मूर्तियों में से दो मूर्तियां गिरिजापति भगवान शिव की सायुज्य मुक्ति की प्राप्ति के लिए और तीसरी गणेश की मूर्ति के साथ शिवलिंग की स्थापना सकल अभिलाषित मनोकामना की शीघ्र प्राप्ति के लिए की गई है।
बीते साल मंदिर में माता पार्वती की स्थापना होने के साथ-साथ बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में प्रवेश के लिए इन्द्रकान्त झा की स्मृति में भव्य द्वार का निर्माण होने से स्थानीय लोगों सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में महाशिवरात्रि महोत्सव की भव्यता विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
प्रबंधन समिति की ओर से महाशिवरात्रि के मौके पर इस वर्ष लगातार नौ दिनों तक कथा वाचक पं भोगी झा के श्रीमुख से देवी भागवत कथा का भक्तिमय आयोजन किया जा रहा है। यह कथा आगामी 17 मार्च तक चलेगी।
प्रो जीवकांत मिश्र बताते हैं कि बृहस्पतिवार की सुबह गांव के मध्य विद्यालय स्थित पोखर से भव्य कलश यात्रा की शक्ल में कच्चा जल लाकर सबसे पहले 108 कुंवारी कन्याएं बाबा सिद्धेश्वरनाथ पर जलाभिषेक करेंगे। तदुपरांत प्रबंधन समिति के सदस्य रंग- बिरंगी झांकियों एवं ढोल-नगाड़े के साथ सिमरिया से पैदल गंगाजल का कांवर लेकर आने वाले यात्रियों का गांव की सीमा पर अगवानी करेंगे और हर हर महादेव के जयघोष के साथ मंदिर के प्रांगण में पहुंचेंगे। उन्होंने बताया की परंपरा के अनुरूप शिवरात्रि के अवसर पर रात्रि में चारों पहर शिव विवाह की पूजन रस्म की अदायगी की जाएगी। साथ ही, महाशिवरात्रि महोत्सव के दौरान कथावाचक पं भोगी झा के श्रीमुख से लगातार नौ दिनों तक देवी भागवत कथा वाचन यज्ञ के साथ ही सांस्कृतिक व साहित्यिक रसधार बहेगी। इस दौरान स्मारिका विमोचन सहित सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।
सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश भी दे रहे बाबा सिद्धेश्वर नाथ!
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मंदिर समिति के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार झा बताते हैं कि बाबा सिद्धेश्वरनाथ का दरबार धार्मिक आस्था का केंद्र बिंदु होने के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द का अद्भुत उदाहरण भी पेश कर रहा है। मंदिर प्रबंधन की बागडोर जहाँ गांव के हिंदूओं ने थाम रखी है। वहीं, इस परिसर के साफ-सफाई की जवाबदेही गांव के समसुल मियां ने स्वेच्छा से ले रखी है। इसी तरह, मंदिर परिसर मे नवनिर्मित ‘इन्द्रकांत झा स्मृति द्वार’ भी न केवल भक्त-जनों के विशेष आकर्षण मे है, बल्कि गंगा-जमुनी हुनर का नायाब मिसाल भी बना है। मंदिर के बरामदा की अनुकृति के रूप मे निर्मित इस द्वार का ढांचा जहां, लोक आस्था के महान पर्व छठ में सालों-साल से सूर्य भगवान को अर्घ्य देने वाले अदलपुर गांव के बुजुर्ग राजमिस्त्री सागर के हाथ ने तैयार किया है। वहीं इसकी कसीदाकारी जुम्मा और ईद की नमाज मे दुआ के लिए उठने वाले गांव के युवा राजमिस्त्री मो0 फिरोज के हाथों ने किया है।
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