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अनिवार्य सेवा निवृत अभियंताओ को अविलंब सेवा में वापस ले सरकार :बेसा दरभंगा News 24 live -ajit kumar singh

अनिवार्य सेवा निवृत अभियंताओ को अविलंब सेवा में वापस ले सरकार :बेसा

लघु जल संसाधन विभाग के दो कार्यपालक अभियंताओ को बिना किसी वाजिब कारण के जबरन रिटायर किये जाने के सरकार के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ के महासचिव डा सुनील कुमार चौधरी ने इसे प्रशासनिक अत्याचार बताया है।

उन्होने सरकार से जबरन रिटायर किये गये लघु जल संसाधन विभाग के दो कार्यपालक अभियंता एवं भवन निर्माण विभाग के छः अभियंताओ को अविलंब सेवा में वापसी की मांग की है।अगर सरकार का अभियंताओ के प्रति इस तरह का अवैज्ञानिक दृष्टीकोण एवं अड़ियल रवैया जारी रहा तो संघ आर-पार की लड़ाई लड़ने को मजबूर होगा। अभियन्त्रण विभागों में जहां एक तरफ 64 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त रहने के कारण अभियंता कार्य बोझ तले दबे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ जिम्मेवारियो के बोझ तले दबे अभियंता अनिवार्य सेवा निवृत्ति के डर के साये में जी रहे हैं। 50 वर्ष से ऊपर आयु के अभियंता जीवन काल के इस पड़ाव पर खड़े रहते है जहाँ जिम्मेवारिया मुंह बाये खड़ी रहती है। ऐसे में अभियंताओ को जबरन रिटायर कर देना मानवता के साथ क्रूर मजाक है। इस प्रकार की नीति को अपनाकर राज्य को विकसित राज्यों की कतार में खड़ा करना केवल काल्पनिक सोच साबित हो सकता है। उन्होने आगे कहा कि एक तरफ प्रगति के पथ पर बढते बिहार को विकास की नई ऊँचाई पर पहुंचाने को कटिबद्ध अभियंताओ की जायज मान्गो एवं ज्वलंत समस्याओ पर सरकार थ्यान नही दे रही है। वही दूसरी तरफ सरकार नये नये प्रयोग कर अभियंताओ के सामने नयी नयी समस्याये खड़ी कर रही है।50 वर्ष से ऊपर एवं अक्षमता का कोई स्थापित सम्बन्ध नहीं है।सरकार के इस तरह के निर्णय से ऐसा प्रतीत होता है कि अक्षमता की शुरुआत 50 वर्ष से ऊपर के आयु मे ही शुरू होती है एवं केवल सरकारी कर्मियों मे ही परिलक्षित होती है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।इस प्रकार का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे सरकारी तंत्र मे भयादोहन के माहौल को बढ़ावा मिलेगा।इस तरह की नीति से प्रशासनिक चाटुकारिता बढेगी, अभियंताओ के आत्मविश्वास एवं मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पडेगा,भय के साये मे जीने से कार्यक्षमता प्रभावित होगी जो अन्ततःबिहार के विकास को प्रभावित करेगा।

डा चौधरी ने सरकार से अनिवार्य सेवा निवृत्ति के नीति की समीक्षा की भी मांग की है।उन्होने राज्य हित में यह भी समीक्षा करने की मांग की कि अनिवार्य सेवा निवृत्ति को लागू करने के उपरांत सरकारी सिस्टम कितना इफेक्टिव एवं इफिसिएन्ट हुआ है ? डा चौधरी ने कहा कि सरकार एक कल्याणकारी संस्था है एवं सरकार को ऐसी नीतियों का निर्माण करनी चाहिए जो पदाधिकारी,कर्मचारी एवं आम आदमी के हित मे हो।ऐसी नीति जिससे राज्य अथवा देश के किसी वर्ग के लोगों का अहित होता है,उसकी समीक्षा होनी चाहिए एवं समाज के हित मे व्यापक बहस एवं बहुमत के आधार पर नीतियों की वापसी/संशोधन पर गंभीरता से विचार करनी चाहिए। 50 वर्ष से ऊपर के सरकारी कर्मियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति ऐसा ही कानून है जो लोक कल्याणकारी एवं राज्य हित में नही है। इस तरह की अवैग्यानिक एप्रोच वाली नीति को अमलीजामा पहनाने से पहले “50 वर्ष से ऊपर अक्षम सरकारी नौकर”जैसे वाक्य की विस्तृत व्याख्या होनी चाहिए , सामाजिक अनुसंधान होनी चाहिये एवं किसी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले समाज के विभिन्न वर्गों में एक बडी बहस करायी जानी चाहिए । अन्यथा सरकारी कर्मियों के आक्रोश की आग में प्रशासनिक अकड़ स्वाहा हो जायेगा।

डा चौधरी ने कहा कि संघ सरकार के साथ हमेशा रचनात्मक सहयोग करता रहा है एवं बिहार के विकास को नई ऊँचाई तक पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित है। संघ का मानना है कि अभियंता जो आधुनिक बिहार के निर्माता हैं के साथ सरकार प्रिवेन्टिव एण्ड करेक्टिव एप्रोच अपनाये,न कि पनिशिन्ग एप्रोच।अगर अभियंता के परफोर्मेंस मे कोई कमी परिलक्षित होता है तो उसके क्षमता वर्धन के समुचित उपाय किए जाने चाहिए,न कि अनिवार्य सेवा निवृत्ति जैसी दमनकारी नीतियों एवं जाँच के नाम पर प्रताड़ना। अगर इस तरह मनमाने तरीके से अभियंता जबरन रिटायर किये जाते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब बिहार का अभियंत्रण विभाग अभियंता विहीन हो जायेगा एवं राज्य के विकास का चक्का जाम हो जायेगा। संघ को पूरे राज्य से अभियंताओ के आक्रोश की लगातार सूचना मिल रही है एवं आन्दोलन की राह पकड़ने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं। आक्रोशित एवं भय के साये में जी रहे अभियंताओ से आत्मनिर्भर बिहार की संकल्पना को साकार नहीं किया जा सकता है।संघ कर्मचारी संगठन (गोप गुट) द्वारा आहूत विरोध प्रदर्शन का नैतिक समर्थन करता है। अगर संघ के विरोध के बावजूद सरकार द्वारा अभियंताओ की सेवा वापसी की दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई तो संघ गहन समीक्षा के बाद चरणबद्ध आन्दोलन की रूपरेखा तैयार करने को मजबूर होगा।

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