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कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक बुराई ही नहीं अभिशाप है: डॉ. एसएस झा

कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक बुराई ही नहीं अभिशाप है: डॉ. एसएस झा
•पीएनडीटी एक्ट को लेकर सदर अस्पताल सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला
•जिले के अल्ट्रासाउंड संचालक व चिकित्सा पदाधिकारी हुए शामिल

 

मधुबनी बालिकाओं का प्रति वर्ष गिरता लिंगानुपात एक जटिल समस्या है। भारत सरकार ने इसकी ओर धयान देते हुए “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” अभियान की शुरुआत की है। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” कार्यक्रम के तहत पीसीपीएनडीटी एक्ट को लेकर सदर अस्पताल के सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में जिले के अल्ट्रासाउंड संचालक तथा चिकित्सा पदाधिकारी उपस्थित थे। प्रशिक्षण संचारी रोग पदाधिकारी डॉ आर के सिंह, केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी, यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा के द्वारा दिया गया। कार्यशाला का आयोजन समेकित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) के द्वारा किया गया । प्रशिक्षण में एक्ट से संबंधित जानकारी दी गई।
पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया पीसीपीएनडीटी एक्टप गर्भ में लड़की की पहचान करने के खिलाफ बनाया गया कानून है। पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने का प्रावधान है।
घटता लिंगानुपात चिंता का विषय:
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ एसएस झा ने बताया घटता लिंगानुपात पर चिंता का विषय है| बिना जनजागृति व आपसी सहयोग बिना घटते लिंगानुपात पर काबू नहीं पाया जा सकता है। कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक बुराई ही नहीं एक अभिशाप भी है । इसकी रोकथाम के लिए आमजन में जागरूकता लानी होगी तभी जाकर घटते लिंगानुपात में लिंग भेद को रोका जा सकता है। जिले में घटता लिंगानुपात आने वाले समय में एक चुनौती से कम नहीं होगा| जिसकी रोकथाम के लिए सभी को बालक व बालिकाओं में पीढ़ियों से बरती जा रही भेदभाव की नीति को बदलना होगा|
बालिकाएं किसी भी क्षेत्र में बालकों से पीछे नहीं:
सीडीओ डॉ. आरके सिंह ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा आज बालिकाएं किसी भी क्षेत्र में बालकों से पीछे नहीं हैं । कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए सभी को आगे आकर जागरूकता लानी होगी तभी जाकर गिरते लिंगानुपात पर काबू पाया जा सकता है।

बालिकाओं के लिए सरकार चला रही कई योजनाएं:
आईसीडीएस डीपीओ डॉ रश्मि वर्मा ने बताया सरकार द्वारा बालिकाओं के बेहतर पोषण तथा संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं । सरकार द्वारा बच्ची के जन्म होने 2000 रुपए,एक वर्ष का होने पर और आधार पंजीयन कराने पर 1000 रुपए,बच्ची के दो वर्ष होने व पूर्ण टीकाकरण होने पर 2000 रुपए, वर्ग 1 से 2 प्रतिवर्ष पोशाक के लिए 600 रुपये, वर्ग 3 से 5 प्रतिवर्ष पोशाक के लिए 700 रुपये,वर्ग 6 से 8 प्रतिवर्ष पोशाक के लिए 1000 रुपये, वर्ग 9 से 12 प्रतिवर्ष पोशाक के लिए 1500 रुपये,सैनेटरी नैपकिन के लिए 300 रुपए,12 क्लास पास करने पर 25000 रुपए,स्नातक डिग्री हासिल करने पर 50000 रुपए दिए जायेंगे । वहीं सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए सुकन्या समृद्धि योजना की भी शुरुआत की गई है।
पीएनडीटी एक्ट के तहत क़ानूनी प्रावधान –
•गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण हत्या या के लिए लिंग परीक्षण करना गुनाह है।
•भ्रूण परीक्षण के लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है। इसके तहत 3 से 5 साल तक की जेल व 10 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
•गर्भवती स्त्री का जबर्दस्ती गर्भपात करवाना अपराध है। ऐसा करने पर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
•धारा 313 के तहत गर्भवती महिला की मर्जी के बिना गर्भपात करवाने वाले को आजीवन कारावास या जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकता है।
•धारा 314 के तहत गर्भपात करने के मकसद से किये गए कार्यों से अगर महिला की मौत हो जाती है तो दस साल की कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
•आईपीसी की धारा 315 के तहत शिशु को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के बाद उसकी मृत्यु मकसद से किया गया कार्य अपराध होता है, ऐसा करने वाले को दस साल की सजा या जुर्माना दोनों हो सकता है।

मौके पर आईसीडीएस डीपीओ डॉ रश्मि वर्मा, यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा, केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी तथा अल्ट्रासाउंड संचालक एवं चिकित्सा पदाधिकारी उपस्थित थे।

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