ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सकों को दिया गया कोरोना का प्रशिक्षण
पी.एच.सी. से समन्वय बनाकर ग्रामीण चिकित्सक करें काम : डी.एम.

दरभंगा बील एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा कोविड-19 के रोकथाम एवं ईलाज के लिए दरभंगा जिला के ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायियों (आर.एम.पी) के लिए ऑनलाईन प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्यशाला है। कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसलिए जमीनी स्तर के हेल्थ केयर को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीण चिकित्सा प्रक्टिशनरों का चिकित्सा क्षेत्र में खास योगदान हुआ करता है। इसके लिए दरभंगा के ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षित करना आवश्यक है। उनके द्वारा कोरोना के मरीज को सही समय पर सही सलाह देना आवश्यक है। मरीज को देखने के समय इसे इतना भयानक नहीं बताया जाए। अधिकतर कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में ठीक हो जाते है, ऐसा देखा जा रहा है कि जिनका ऑक्सिजन लेवल-98 से 95 हो जाता है, तो लोग भयभीत हो जाते हैं और हॉस्पिटल की ओर रूख करते हैं। चिकित्सक द्वारा पूर्जा पर मरीज को भेंडीलेटर और रेमडीसिविर लेने का सलाह दी जाती है। लोगों में यह एक धारणा बन गयी है कि रेमडीसिविर कोरोना की जादुई दवा है। उन्होंने ग्रामीण चिकित्सकों से कहा कि मरीजों को ऐसी सुझाव न दे। मरीज भेंडीलेटर की आवश्यकता तभी पड़ती है, जब एस पी ओ टू -95 % के नीचे आ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। उस समय ऑक्सीजन (वेंडिलेटर)का सुझाव देना चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि ऑक्सीजन का कहीं भी भंडारण नहीं किया जाना चाहिए, यदि इसका भंडारण किया जाएगा, तो जिन लोगों को आवश्यकता है, उनके लिए कमी हो जाएगी। उन्होंने चिकित्सकों को कहा कि जिस परिस्थिति के लिए, जिस दवा की आवश्यकता है, वहीं दिया जाए और मरीज को भयभीत नहीं होने की सलाह दी जाए।
विभाग ने जारी की ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल:
कोरोना के विभिन्न स्टेज के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्रीटमेन्ट प्रॉटोकॉल जारी किया गया है, जो जिला प्रशासन के फेसबुक पर उपलब्ध है, इसकी पूरी जानकारी अच्छी तरह से ले ली जाए। सभी मरीज को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में रेफर न करें। उनकी रिपोर्ट करें और टेस्टिंग करावें। साथ ही कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मास्क के प्रयोग, सामाजिक दूरी का अनुपालन के लिए लोगों को जागरूक करें और टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित करें। यदि किसी को टीका के संबंध में कोई संशय है, तो उसे दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रति जागरूकता के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे आई.ई.सी. को पहले खुद समझे, इसके बाद लोगों को समझायें। सरकार द्वारा आई.ई.सी. के माध्यम से कोरोना के लिए आवश्यक सलाह दी जा रही है, जिसे फॉलो करना चाहिए।
केयर इण्डिया ने दिया जानकारी:
केयर इण्डिया के तकनीकी निदेशक डॉ. श्रीधर श्रीकांतिया द्वारा कोविड-19 संक्रमण से संबंधित अद्यतन जानकारी एवं सरकार द्वारा कोविड 19 संक्रमण के रोकथाम के लिए जारी गाईडलाईन के संबंध में जानकारी दी गयी।
दूसरी लहर पहली लहर से अलग:
उन्होंने ग्रामीण चिकित्सकों को बताया कि कोरोना का संक्रमण कैसे फैलता है और कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से किस तरह अलग है। यह कैसे प्रकट होता है, इसके कौन-कौन से लक्षण हैं। कोरोना मरीजों की आपतकालीन चिकित्सीय देखभाल कब की जानी है। माइल्ड कोरोना केस में देखभाल करने के लिए घरेलू उपचार के संबंध में भी बताया गया। साथ ही माईल्ड, मॉडरेट एवं सिभियर कोरोना के मामलें से सबों को अवगत कराया गया और सिभियर मामलें में समय पर रेफर करने का महत्व समझाया गया। उन्होंने ग्रामीण चिकित्सक व्यवसायियों को करोना (कोविड-19) के संबंध में गहन जानकारी दी तथा इसके उपचार के विभिन्न चरणों एवं आवश्यक दवाओं से अवगत कराया।
पैनिक होने जरूरत नहीं:
ग्रामीण चिकित्सकों को कहा कि कोरोना पॉजिटिव होने के मामले में मरीज को भयभीत(पैनिक) होने की कोई आवश्यकता नहीं है। अधिकतर मामले होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं। कुछ मामले ही गंभीर प्रकृति में परिणत होते हैं जिनके लिए भेंडीलेटर और हार्ड एंटीबायोटिक की आवश्यकता होती है। 90 से 95% मामले घरेलू देखभाल व उपचार से ही ठीक हो जाते है। मौके पर सिविल सर्जन, दरभंगा डॉ. संजीव कुमार सिन्हा द्वारा कार्यक्रम में प्रशिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया।
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