डीएमसीएच प्रशासन ब्लैक फंगस मरीज़ों की चिकित्सा को ले तैयार
संभावित मरीजों के उपचार को ले आंख विभाग में पांच बेड सुरक्षित
मामले को ले डीएमसी प्राचार्य विभागाध्यक्षों से करेंगे बैठक
प्रोटोकॉल के अनुसार मरीजों का किया जायेगा इलाज
ब्लैक फंगस की दो सौ वायल दवा डीएमसीएच पहुंची
दरभंगा, 26 मई कोरोना काल में ब्लैक फंगस नामक रोग धीरे- धीरे पांव पसार रहा है। इसे लेकर डीएमसीएच प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। संभावित मरीजों के लिये आंख विभाग में तत्काल पांच बेड सुरक्षित रखवा दिया गया है। इसके मद्देनजर प्राचार्य डॉ केएन मिश्रा ने बुधवार को न्यूरो, आंख, ईएनटी, मेडिसीन, दंत, एनेस्थिसिया विभागों के अध्यक्ष के साथ बैठक की। बैठक में ब्लैक फंगस के संभावित मरीजों के आगमन पर प्रोटोकॉल के अनुरूप उपचार को लेकर विचार किया गया। उधर स्वास्थ्य विभाग की ओर से ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर लगाम के लिए सरकार ने डीएमसीएच को दो सौ शीशियां भेजी हैं। साथ ही ब्लैक फंगस के मरीजों के त्वरित इलाज को लेकर एम्स पटना एवं इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना (आईजीआइएमएस) को सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाया गया है। दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ब्लैक फंगस के मरीजों को एंफोटेरिसिन- बी इंजेक्शन देने की अनुमति दे दी है। यह इंजेक्शन कालाजार के मरीजों को बीमारी से निदान के लिए दिया जाता है।
बेगूसराय से आये बुजुर्ग महिला मरीज को पटना भेजा
डीएमसीएच के आपातकालीन विभाग में रविवार को पहली बार ब्लैक फंगस से ग्रसित 70 साल की महिला मरीज आयी। उसे चिकित्सकों ने बेहतर उपचार को लेकर पटना रेफर कर दिया। महिला को तत्काल कोरोना नहीं है। इस संबंध में पुत्र देवेश ने कहा कि उसकी मां को कोरोना हो गया था। चिकित्सकीय परामर्श से दवा चलने के बाद वह ठीक हो गयी है। लेकिन पिछले 10 दिन से उसकी नांक व मुंह से खून निकलता है। तत्काल उपचार के लिये बेगूसराय के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां जांच के बाद चिकित्सकों ने ब्लैक फंगस होने की बात बतायी। उसके बाद मुजफ्फरपुर अस्पताल भेज दिया। वहां से उपचार के बाद डॉक्टरों ने डीएमसीएच रेफर कर दिया। वहां से भी पटना रेफर कर दिया गया। अब मां को पटना लेकर जा रहे हैं।
गंभीर मरीजों के इलाज में अस्पताल कारगर नहीं
डीएमसीएच फिलहाल ब्लैक फंगस के गंभीर रोगियों के उपचार में कारगर नहीं है। यहां वैसे मरीजों का उपचार किया जा सकेगा, जिसे कोई गंभीर समस्या न हो। जिनको आपरेशन की नौबत न हो। यानी प्रथम दृष्टया मरीज प्रथम स्टेज में हो, दवा से ठीक होने वाले हों तो वैसे मरीजों को यहां इलाज कराने की बात कही जा रही है। इसे लेकर अस्पताल की ओर से प्रोटोकॉल बनाया जायेगा। उस अनुरूप संबंधित मरीजों को यहां इलाज की सुविधा मिल सकेगी। बताया गया कि बेगूसराय से पहला केस आने पर चिकित्सकों ने तुरंत रेफर कर दिया। पांच मिनट में कागज तैयार कर उसे भेज दिया।
ब्लैक फंगस व उसके लक्षण
चिकित्सकों के अनुसार ब्लैक फंगस वातावरण में मौजूद है।नखासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है। यह स्वस्थ और मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों पर यह अटैक नहीं कर पाता है व जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें यह अपना शिकार बनाता है। दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ केएन मिश्रा के अनुसार इस बीमारी में मरीजों को नाक में दिक्कत, बुखार, सांस लेने में दिक्कत, कफ या खंखार में खून आना, सीने में दर्द, धुंधला दिखाई पड़ना, सिरदर्द, चेहरे के एक हिस्से में दर्द महसूस हो या वो सूज जाए, चेहरा सुन्न पड़ रहा हो, चेहरे का रंग बदल रहा हो, पलकें सूजने लगी हों, दांत हिलने की शिकायत रहती है। इस स्थिति में चिकित्सक ब्लैक फंगस की संभावना व्यक्त करते हैं। कहा कि यह नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। दूसरे चरण में यह आंख को प्रभावित करता है और तीसरे चरण में यह दिमाग पर हमला करता है| चार से छह हफ्ते तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं| गंभीर मामलों में तीन- तीन महीने तक इलाज चलता है।