माहवारी स्वच्छता दिवस विशेष
•शिक्षा के साथ जागरूकता से बदलें पुरानी सोच,रहें बीमारियों से दूर
•स्वच्छता के अभाव में हो सकती है परेशानी
• जिले में 57.4% महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीके का उपयोग करती है
मधुबनी/27 मई मासिक धर्म में स्वच्छता की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसकी अनदेखी और कमी कई प्रकार की बीमारियों और दूसरी समस्याओं की वजह बन सकती हैं।मासिक धर्म कोई अपराध नहीं, बल्कि एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। घर और समाज में यदि इसपर खुलकर बात की जाए तो इस दौरान स्वच्छता के महत्व को भी समझा जा सकता है। जिसके लिए हमें एक माहौल बनाना होगा और पुरानी परंपरागत सोच को बदलना होगा। यह स्वच्छता महिलाओं को न केवल स्वस्थ रखेगी बल्कि, उन्हें आगे बढ़ने का विश्वास भी देगी.
क्यों 28 तारीख को मनाया जाता है यह दिवस
28 मई को पूरी दुनिया में मासिक स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसे 2014 से मनाने की शुरुआत की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता रखने के लिए जागरूक करना था। इसे मनाने की तारीख 28 इसलिए चुनी गई, क्योंकि आमतौर पर महिलाओं में मासिक धर्म की अवधि 28 दिनों की होती है.
क्या है मासिक धर्म:
मासिक धर्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। महिलाओं में हर महीने होने वाली यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मासिक धर्म के दौरान, महिला के गर्भाशय से रक्त और अन्य तरल पदार्थ स्रावित होती है। हर महीने 3-5 दिन तक जारी रहने वाली यह प्रक्रिया (10-15 वर्ष) से शुरू होकर रजोनिवृत्ति (40-50 वर्ष) तक चलती है।
57.4% महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीके का उपयोग करती है:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के आंकड़ों के अनुसार मधुबनी जिले में 15 से 24 वर्ष की आयु की 57.4% महिलाएं ही अपने मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीके का उपयोग करती है. वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के आंकड़ों के अनुसार 15 से 24 वर्ष के 26.4% महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीके का उपयोग करती थी। अर्थात इन 5 वर्षों में महिलाओं में स्वच्छता को लेकर जागरूकता आई है।
शिक्षा से पुरानी सोच को बदलने का प्रयास:
पहले के जमाने में इस विषय पर कोई भी खुलकर बात नहीं करता था और न ही चाहता था कि इतना बेबाकी से इस विषय पर दूसरे उनसे खुलें। महिलाओं को अपने शरीर की एक प्राकृतिक क्रिया के बारे में समय से पहले बताया ही नहीं जाता था तो उनके मानसिक रूप से तैयार होने और स्वच्छता बनाए रखने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उल्टा उस स्थिति में उन्हें कई चीजें करने से मना भी किया जाता था. लेकिन उन्हें यह झेलना पड़ता था। हालांकि आज फिर भी इन तथ्यों पर काफी हद तक लगाम लग चुकी है. लेकिन आज भी ग्रामीण परिवेश की महिलाएं मासिक धर्म को लेकर भ्रांति में जी रही हैं। उनमें न तो जागरूकता है और न ही उन्हें इससे होने वाली बीमारियों के बारे में पता है।
स्वच्छता के अभाव से होने वाली परेशानियां:
मासिक धर्म में स्वच्छता नहीं होने के कारण देश की महिलाओं की जान भी जा रही है। हम सर्वाइकल कैंसर में पहले नंबर पर हैं. इसलिए मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता न रखने पर बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। यह संक्रमण कभी-कभी यूट्रस तक भी पहुंच जाता है। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है। मासिक धर्म के समय सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करें। इन्हें भी हर छह घंटे में बदलें। गीला रहने पर त्वचा में संक्रमण हो सकता है। इस्तेमाल किए गए पैड को सही तरीके से फेंकना भी बहुत जरूरी है, नहीं तो आसपास के वातावरण में भी बीमारियां फैल सकती हैं। प्रयोग किए गए पैड्स कागज में लपेटकर कूड़ेदान में डालें। ध्यान रखें कि माहवारी कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक साधारण शारीरिक प्रक्रिया है। अगर कोई समस्या है तो डॉक्टर की सलाह लेने में देर न करें।
शिक्षा से ही दूर होगा अंधेरा;
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया शिक्षा से ही समझ और जागरूकता आती है। इससे उन्हें अपने हक के बारे में पता चलेगा। लड़कियों को कम से कम यह तो पता लगे कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, शर्मनाक नहीं। हम उन्हें डरा देते हैं और वह समझती हैं कि शायद उन्होंने ही कुछ गलत किया है। शिक्षा से ही अंधेरा दूर होगा। सूचना से ही जागरूकता आएगी।