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अम्बलिंकिंग फाउंडेशन, जयपुर तथा रामनारायण विकास सेवा समिति, दरभंगा द्वारा शाहूजी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित ।

अम्बलिंकिंग फाउंडेशन, जयपुर तथा रामनारायण विकास सेवा समिति, दरभंगा द्वारा शाहूजी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

“आधुनिक भारत के निर्माण में छत्रपति शाहूजी महाराज का योगदान” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार का हुआ आयोजन

जननायक शाहूजी महाराज सच्चे प्रजातंत्रवादी तथा समाजसुधारक ऐतिहासिक शख्सियत- प्रो कमलानंद

शाहूजी महाराज ने सत्ता का उपयोग जनकल्याणार्थ कर शिक्षा और संसाधनों का किया जनतांत्रिकरण- डा राजकुमार

सामाजिक न्याय के पुरोधा शाहूजी महाराज दलितों व पिछड़ों के मसीहा- डा उमेश राय
कोल्हापुर रियासत के महाराज छत्रपति शाहूजी सत्ता को सामाजिक परिवर्तन का जरिया मानते हुए समाज में स्वतंत्रता, समानता तथा प्रजातंत्र की स्थापना में अपना सराहनीय योगदान किया। उन्होंने बाल- विवाह तथा छुआछूत की प्रथा पर रोक लगाते हुए अंतरजातीय विवाह तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रारंभ किया। उन्होंने सत्ता का उपयोग जनकल्याणार्थ कर शिक्षा और संसाधनों का जनतांत्रिकरण किया। उक्त बातें दयाल सिंह महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डा राजकुमार ने अम्बलिंकिंग फाउंडेशन,जयपुर तथा रामनारायण विकास सेवा समिति, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में “आधुनिक भारत के निर्माण में छत्रपति शाहूजी महाराज का योगदान” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार में मुख्य अतिथि के रूप में कहा। उन्होंने कहा कि शाहूजी मानते थे कि शिक्षा द्वारा ही समाज में बुनियादी बदलाव तथा प्रजातंत्र की स्थापना संभव है। उन्हें स्वतंत्रता, समानता तथा प्रजातंत्र का जनक कहा जाता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में दरभंगा के सामाजिक चिंतन व विचारक डा उमेश राय ने कहा कि सामाजिक न्याय के पुरोधा शाहू जी महाराज दलितों व पिछड़ों के मसीहा थे, जिन्होंने सामाजिक न्याय की स्थापना की। उन्होंने समाज के सबसे अंतिम पंक्ति में स्थित व्यक्ति को भी आगे लाने का प्रयास किया। अपने राज्य में छुआछूत तथा जाति व्यवस्था को तोड़कर सामाजिक समानता लाने का सार्थक प्रयास किया।
अध्यक्षीय संबोधन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय,यूपी के हिन्दी-प्राध्यापक प्रो कमलानंद झा ने कहा कि जननायक शाहूजी महाराज सच्चे प्रजातंत्रवादी तथा समाजसुधारक के रूप में ऐतिहासिक शख्सियत हैं, जिन्होंने तन,मन और धन से समाज के दबे-कुचले लोगों के उत्थान के लिए अनुकरणीय कार्य किया। उनकी सोच अति उदात्त व समावेशी थी जो मानव-मानव के बीच हर तरह के विभेद के सख्त खिलाफ थी। उन्होंने देश का पहला दलित छात्रावास बनाने का ऐतिहासिक कार्य किया तथा 1902 में ही अपने राज्य में आरक्षण व्यवस्था लागू किया था। महाराज ने दलितों के लिये मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की।हमारे इतिहास में ऐसे शासक विरले ही हैं।
सम्मानित वक्ता के रूप में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय,नई दिल्ली के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा जयप्रकाश नारायण ने कहा कि शाहूजी महाराज के जन कल्याणकारी कार्यों को अबतक इतिहास में समुचित स्थान नहीं दिया गया है।हमें इनके जीवन पर आधारित शोधपरक ग्रंथों को प्रकाशित कर समाज के सामने लाना चाहिए। वेबीनार में वाराणसी से संघ प्रिया, कोटा, राजस्थान से डा भूपेंद्र कुमार राठौर,मारवाड़ी कॉलेज से डा अवधेश प्रसाद यादव,सी एम साइंस कॉलेज से डा दिनेश प्रसाद साह, संस्कृत विश्वविद्यालय से डा दीनानाथ साह, राम शंकर झा, महात्मा गांधी कॉलेज से प्रो विनोद साहू,डा अनीता गुप्ता, संजय कुमार,अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापक रामबुझावन यादव, राजकुमार गणेशन,रामसुंदर यादव,नजराना परवीन,विजय कुमार पंडित,अजय कुमार, अनीता रानी,ममता कुमारी,बंदना, रागिनी,भूषण, विपिन,विकास कुमार गिरी,संगीता,संजीव, रामसुंदर,मो फिरोज सहित 80 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा रामनारायण विकास सेवा समिति के अध्यक्ष रविशंकर भगत ने विशिष्ट वक्ता के रूप में कहा कि शाहूजी महाराज ने सामाजिक बदलाव लाकर सामाजिक न्याय की स्थापना का प्रयास किया। उन्होंने शिक्षा के विकास में अनेक सार्थक,सराहनीय एवं अनुकरणीय कार्य किए। उनके प्रशंसनीय कार्य को अपनाकर ही आज हम समाज में शांति और सद्भाव की स्थापना कर सकते हैं।
विषय प्रवर्तन करते हुए जाकिर हुसैन दिल्ली महाविद्यालय,दिल्ली की हिंदी प्राध्यापिका डा राजकुमारी ने कहा कि शाहूजी महाराज के शासनकाल में अनेक जनोपयोगी कार्य किए गए जो सामाजिक क्रांति के द्योतक हैं। उन्होंने अपने जीवन में अनुभूत जाति व्यवस्था के दर्द को दूर कर, शिक्षा के विकास हेतु अनेक विद्यालयों की स्थापना की तथा छात्रावास भी बनवाया। उन्होंने पिछड़ों के लिए 50% आरक्षण की व्यवस्था की,जिनका उद्देश्य सबको संसाधन तथा शिक्षा का समान अवसर प्राप्त हो सके।
सी एम कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया के संयोजन एवं संचालन में आयोजित वेबीनार में अतिथियों का स्वागत करते हुए मारवाड़ी महाविद्यालय,दरभंगा के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में शाहूजी महाराज का अत्यंत ही सराहनीय योगदान रहा है,जिन्होंने छुआछूत की प्रथा को दूर कर सामाजिक सुधार लाने का प्रयास किया।उन्हें आरक्षण का जनक भी कहा जाता है, जिन्होंने अपने रियासत में जातिगत जनगणना करवाया था। शाहूजी महाराज ने अपने रियासत को प्लेग जैसी महामारी से बचाया था,जिसका अनुकरण आज के शासन-प्रशासन को करना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अम्बलिंकिंग फाउंडेशन के ट्रस्टी डा महेंद्र कुमार आनंद ने कहा कि हमें शाहूजी महाराज के व्यक्तित्व कृतित्व पर अध्ययन-अध्यापन तथा शोध कार्य करना चाहिए, क्योंकि जो अपना इतिहास नहीं जानता है, वह नया इतिहास भी नहीं बना सकता है।

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