राजनन्दन लालदास के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने शोक जताया

कोलकाता से प्रकाशित मैथिली पत्रिका करणामृत के संपादक राजनंदन लाल दास के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने सोमवार को शोक जताया। शोक संवेदना व्यक्त करते हुए संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके निधन को मैथिली पत्रकारिता के एक युग का अवसान बताया। स्व लाल दास के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को अनुकरणीय बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी लेखनी ने हमेशा ही मिथिला एवं मैथिली जगत के विकास को एक नई दिशा दी। उनके निधन से मिथिला एवं मैथिली जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि मैथिली पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे अपनी कृतियों में सदैव अमर बने रहेंगे। डॉ बुचरू पासवान ने कहा कि अपनी लेखनी से

उन्होंने जीवन पर्यंत मैथिली के पत्रकारिता एवं साहित्य जगत को उर्वरक बनाए रखने के साथ ही मिथिला के बौद्धिक विकास को एक नई गति प्रदान की। प्रो जीव कांत मिश्र ने कहा कि पत्रकारिता के रास्ते मैथिल समाज में उन्होंने जो चेतना जगाई, वह हमेशा स्मरणीय बना रहेगा। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि संत स्वभाव के राजनंदन बाबू जीवन पर्यंत मैथिली भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए समर्पित रहे। मिथिला एवं मैथिली के विकास के प्रति उनकी तत्परता और जुझारूपन हमेशा अनुकरणीय बना रहेगा।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने उन्हें मैथिली पत्रकारिता का युगपुरुष बताते कहा कि मिथिला एवं मैथिली के विकास के प्रति उनके अभियान, ज्ञान और योगदान से मैथिली साहित्य हमेशा पल्लवित और पुष्पित होता रहेगा। डॉ महेंद्र नारायण राम ने कहा कि वे एक ऐसे महामानव थे जिन्होंने अपने जीवन का एक एक पल न सिर्फ सार्थक किया, बल्कि उनके सद्प्रयास से मैथिली साहित्य ने हमेशा ही एक नई ऊर्जा प्राप्त की। उनके प्रति शोक संवेदना व्यक्त करने वाले अन्य लोगों में हरिश्चंद्र हरित, डॉ गणेश कांत झा, विनोद कुमार झा, प्रो विजयकांत झा, हीरा कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढा भाई, प्रो चंद्र मोहन झा पड़वा, डॉ उदय कांत मिश्र, आशीष चौधरी, चंदन सिंह, चौधरी फूल कुमार राय, दुर्गानंद झा, श्याम किशोर राम आदि शामिल थे।
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