कालाजार उन्मूलन: जिले में द्वितीय चक्र का छिड़काव सम्पन्न, जांच में 4 मरीज मिले
•सितंबर 21 तक कुल मरीजों की संख्या 14
•21 प्रखंडों के करीब 82 गांव में किया गया छिड़काव
•केयर इंडिया के द्वारा नौ प्रखंडों में विशेष अभियान चलाकर आर- 39 किट से की गयी जांच
मधुबनी जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर सिंथेटिक पायराथाइड का छिड़काव 15 जुलाई से अगले 66 दिनों तक चिह्नित करीब 82 गाँव में छिड़काव किया गया। जिस की समय अवधि 6 अक्टूबर को समाप्त हो गई। टीम द्वारा छिड़काव के साथ साथ डोर टू डोर संभावित मरीजों को भी जांच की गयी। कालाजार नियंत्रणार्थ सर्च अभियान के दौरान खोजे गए संभावित कालाजार मरीजों की जॉच व उपचार में कोई कठिनाई नहीं हो इसलिए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकरी डॉ विनोद कुमार झा के मार्गदर्शन में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह तथा केयर इंडिया के डीपीओ धीरज कुमार सिंह द्वारा रणनीति बनाकर सभी कालाजार तकनीकी पर्यवेक्षकों और कालाजार ब्लॉक कोऑर्डिनेटरों को कालाजार जांच का प्रशिक्षण दिया गया। ताकि गांव में ही जांच की जा सके। ज़िला से कालाजार शून्य करने की दिशा में अनेक तरह की पहल सर्च अभियान में दर्जनों कालाजार और पीकेडीएल के संभावित मरीजों की जांच की गई। जिसमें 2 कालाजार तथा 2 पीकेडीएल के संभावित मरीजों की पुष्टि हुईं। कालाजार मरीजों का उपचार कर दिया गया जबकि पीकेडीएल मरीजों का उपचार चल रहा है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकरी विनोद कुमार झा ने बताया कि मधुबनी ज़िला से कालाजार शून्य करने की दिशा में और भी अनेक तरह की पहल की जा रही है। जिसके तहत विद्यालयों, गावो में जागरूकता कार्यक्रम, गांव स्तर पर चिकित्सकों, आशा की सहभागिता से खोज कार्यक्रम आदि हैं। डॉ. झा ने बताया कि कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस) किया जाता है।
हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध :
डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है। कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है। हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं।
ऐसे फैलता है कालाजार:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार एक संक्रमण बीमारी है जो परजीवी लिस्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है। यह एक वेक्टर जनित रोग भी है। इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। बालू मक्खी यही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है। इस रोग से ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार यानि काला बुखार पड़ा
नौ प्रखंडों में विशेष अभियान चलाकर आर 39 किट से की गयी जांच:
केयर इंडिया के डीपीओ धीरज कुमार ने बताया केयर इंडिया के कालाजार ब्लॉक कोऑर्डिनेटर व मलेरिया कार्यालय के द्वारा संयुक्त रूप से नौ प्रखंडों ( बेनीपट्टी, बिस्फी, रहिका, लदनिया, खुटौना, लौकही, बासोपट्टी और झंझारपुर, जयनगर) में विशेष अभियान चलाकर 2,955 घरों के 22,595 परिवारों की आर 39 किट से जांच की गई | जिसके तहत कालाजार के 91 संभावित मरीज की पहचान की गयी | जिसमें वीएल के 02 , पीकेडीएल के संभावित 06 तथा पीकेडीएल के 2 संक्रमित मरीज की पुष्टि हुई है |
कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का मानक प्राप्त :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने बताया जिले में लगातार छिड़काव के कारण कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का जो मानक है उसे प्राप्त किया जा चुका है। मरीजों की संख्या शून्य करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिले में वर्ष 2009 में 730 मरीज, 2010 में 630, वर्ष 2011 में 538, वर्ष 2012 में 415, वर्ष 2013 में 321, वर्ष 2014 में 256, वर्ष 2015 में 187, मरीज 2016 में 108, मरीज, 2017 में 85 मरीज, 2018 में 50, 2019 में 31,और 2020 में 28, वहीं वर्ष 2021 में सितंबर तक 14 मरीज मिले हैं।
सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :
कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।