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मधुबनी के 13 बच्चों को जांच के लिए भेजा गया “इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना” *ajit kumar singh की रिपोर्ट

मधुबनी के 13 बच्चों को जांच के लिए भेजा गया “इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना”

•आरबीएसके के टीम ने बच्चों को किया था चिन्हित
•अब तक जिले के कई नौनिहालों को मिल चुकी है नई जिंदगी

मधुबनी मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय पार्ट-2 में शामिल बाल हृदय योजना , जन्मजात दिल में छेद से ग्रसित तथा अन्य बीमारियों से ग्रसित जिले के 13 बच्चों को आरबीएसके के टीम द्वारा चिन्हित कर जांच के लिए गुरुवार देर रात “इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना” भेजा गया इस योजना के तहत मधुबनी जिले के अब तक कई बच्चों की इस योजना के तहत सर्जरी की जा चुकी है। पिछले सप्ताह भी दिल में छेद से ग्रसित 4 बच्चे को ऑपरेशन के लिए सत्य साईं हॉस्पिटल अहमदाबाद भेजा गया था। सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है।आरबीएसके की टीम गांव-गांव व स्कूलों पर पहुंचकर बच्चों की स्क्रिनिंग करती है। इसी दौरान उस बच्चे को चिन्हित कर इलाज के लिए रेफर किया जाता है।

45 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज :
आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. कमलेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बच्चों में 45 तरह की बीमारियों की जांच कर उसका समुचित इलाज किया जाता है। इन सभी बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटकर इसे 4 डी का नाम दिया गया है। इसके तहत जिन बीमारियों का इलाज होता है उनमें दांत सड़ना, हकलापन, बहरापन, किसी अंग में सून्नापन, गूंगापन,मध्यकर्णशोथ, आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां, दंत क्षय, ऐंठन विकार, न्यूरल ट्यूब की खराबी, डाउनसिंड्रोम, फटा होठ एवं तालू/सिर्फ़ फटा तालू, मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कुल्हा, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग, असामयिक दृष्टिपटल विकार आदि शामिल है।

बच्चों को हेल्थ कार्ड भी दिया जाता है:
आरबीएसके कार्यक्रम में 0 शून्य से 18 (अठारह) वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती। ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि प्रति 6 महीने पर जबकि स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।

एंबुलेंस की सुविधा नि:शुल्क:

सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कि बाल हृदय योजना के तहत बच्चों को नि:शुल्क एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करायी जाती है। आरबीएसके कार्यक्रम मुख्य रूप से बच्चों की बीमारी दूर करने का कार्यक्रम है। इसके तहत कई बीमारी का इलाज किया जा रहा है। टीम के सदस्य ऐसे गांव में पीड़ित परिवार से जाकर मिलते हैं। उन्हें सरकारी कार्यक्रम की जानकारी देते हैं। इसके बाद बच्चों का इलाज होता है। व बार- बारी से बच्चों को ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद बुलाया जाएगा!

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