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मधुबनी जिले में आरईसी फाउंडेशन, एनएचएम व परमाणु ऊर्जा विभाग के द्वारा कैंसर जागरूकता एवं स्क्रीनिंग अभियान चलाया जा रहा. # ajit kumar singh छोटू की रिपोर्ट

टेलीमेडिसीन के माध्यम से ब्लड कैंसर से संक्रमित मरीजों का हुआ उपचार

•स्वास्थ क्षेत्र क्षेत्र में उभरती हुई विद्या है टेलीमेडिसीन
•जिले में आरईसी फाउंडेशन, एनएचएम व परमाणु ऊर्जा विभाग के द्वारा स्क्रीनिंग व जागरूकता अभियान

मधुबनी जिले में आरईसी फाउंडेशन, एनएचएम व परमाणु ऊर्जा विभाग के द्वारा कैंसर जागरूकता एवं स्क्रीनिंग अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें संभावित कैंसर के मरीज को चिह्नित कर उचित परामर्श के लिए सीनियर डॉक्टरों से बात करायी जाती है। उसके बाद निर्धारित तिथि पर उपचार के लिए बुलाया जाता है। इसी क्रम में शनिवार को कैंसर जागरूकता सप्ताह अभियान के तहत चिह्नित किए गए ब्लड कैंसर मरीज का टेलीमेडिसिन (जूम कॉल) के माध्यम से टाटा मेमोरियल सेंटर की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अभिलिप्सा के द्वारा मुजफ्फरपुर स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के सीनियर डॉक्टर से संबंध स्थापित कर मरीज का उपचार किया गया। जिससे मरीज के आने जाने की परेशानी तथा खर्च में बचत हुई। डॉ अभिलिप्सा ने बताया टेलीमेडिसिन स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की एक उभरती हुई विद्या है। जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी के साथ चिकित्‍सा विज्ञान की सहक्रियात्‍मक संकेन्‍द्रण से ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्‍वास्‍थ्‍य के विभिन्न क्षेत्र जैसे- शिक्षा, प्रशिक्षण और प्रबंधन के अनेक अनुप्रयोगों के अलावा स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल प्रदायगी की चुनौतियों को पूरा करने की अपार संभाव्‍यता निहित है। यह उतना ही प्रभावी है जितना एक टेलीफोन के ज़रिये चिकित्‍सा संबंधी किसी समस्‍या पर रोगी और स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ आपस में बात करते हैं। मरीज के उपचार के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में पता चलने पर कैंसर को आसानी से हरा सकते हैं। पिछले कुछ सालों में कैंसर को हराने के लिए अत्याधुनिक उपचार पद्धति विकसित हो चुकी है, जिसके कारण अब कैंसर को मात देना संभव है। नियमित उपचार और उचित खानपान से कैंसर पर विजय पाई जा सकती है। लक्षण दिखाई देते ही तुरंत जांच करवानी चाहिए। इसमें अधिक समय बीत जाने पर कैंसर दूसरे और तीसरे चरण में प्रवेश कर जाता है।

सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन उपलब्ध:
डॉ. अभिलिप्सा ने कहा कि कैंसर के प्रति कई गलत धारणाएं फैली हैं। कैंसर से बचा जा सकता है। वह लाइलाज नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि लक्षण दिखाई देते ही लोगों को सामने आना चाहिए। स्वप्रेरित होकर जांच करवानी चाहिए। कैंसर को रोक नहीं सकते, लेकिन उसका उपचार कर मरीज को बचा सकते हैं। अब सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन उपलब्ध है। अन्य स्वरूप के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग की जा सकती है। हमें कैंसर है या नहीं इसकी जानकारी जांच के बाद ही मिलती है। इसलिए जांच के लिए आगे आना चाहिए। जांच के लिए सबसे अच्छा तरीका स्क्रीनिंग ही है। कैंसर के मामले में 75 फीसदी मरीज तीसरे व चौथे चरण में उपचार के लिए आते हैं। इनमें से 80 फीसदी से अधिक मरीजों की मृत्यु हो जाती है। इसके कारण यह भ्रम पैदा हो चुका है कि कैंसर का मरीज बच नहीं सकता, जबकि यह गलत है। जितना जल्दी उपचार के लिए जाएंगे, उतना जल्दी लाभ होगा। ब्रेस्ट कैंसर हो या अन्य कैंसर सभी की स्क्रीनिंग की जा सकती है। कहा कि जिस परिवार में कैंसर का मरीज होता है, वह परिवार कई तरह की समस्याओं से लड़ता है। शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान होता है। समाज में कैंसर को लेकर फैली भ्रांतियां भी उस परिवार को और कमजोर करने का काम करती हैं। कैंसर के मरीज को उपचार के दौरान कई तरह के साइड इफेक्ट से लड़ना पड़ता है। कैंसर के मरीजों व उनके परिजनों का मनोबल बढ़ाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर्स व नर्सेस आदि मदद करते हैं।

खानपान से बच सकते कैंसर से –

डॉ. अभिलिप्सा ने बताया कि कैंसर से बचना हो तो खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। धूम्रपान, शराब के अधिक सेवन व फास्ट फूड से नुकसान होता है। खानपान से तैयार होनेवाले एंटी ऑक्सीडेंट रोकने में मदद मिलती है। कैंसर का उपचार चल रहा हो तो शरीर को प्रोटीन की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। आहार में फायबरयुक्त सामग्री, फल आदि का समावेश होना चाहिए। प्राकृतिक आहार शरीर के लिए लाभदायी होता है। शक्कर का उपयोग और शराब का सेवन कम करना चाहिए। हल्दी, लहसुन, अलसी, अदरक, मेथी, दालचीनी, लाल मिर्च, चक्र फूल आदि में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसलिए इनका सेवन करते रहना चाहिए। किचन में उपलब्ध रहने वाली यह सामग्री काफी लाभदायी है।

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