विश्व स्तनपान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर चिकित्सा कर्मियों को दी जानकारी
बच्चे के जन्म से पूर्व मां के स्तन में रहता दूध- डॉ अशोक कुमार
स्तनपान को ले समाज के फैले भ्रांतियों को दूर करना जरूरी
दरभंगा. रोटरी मिड डाउन दरभंगा एवं आर बी कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को आर बी कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग के सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह का प्रथम दिन नर्सिंग स्टूडेंट्स और डॉक्टर- नसों को स्तनपान से संबंधित जानकारी देने के लिये कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मौके पर आयोजित सभा का संचालन करते हुए सचिव डॉ सलीम अहमद ने सभी को स्तनपान के लिए प्रेरित एवं शिक्षित करने के लिए आह्वान किया. आईएपी अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ने कहा कि स्तनपान संबंधित कई मिथक समाज में प्रचलित हैं, जिन्हें वैज्ञानिक तरीके से माता- पिता और परिवार के लोगों को समझाना हमारा कर्तव्य बनता है. उन्होने कहा कि स्तन में दूध बच्चे के जन्म के पूर्व से मौजूद रहता है और सिर्फ बार- बार स्तनपान करना ही इसको जारी रखने और बढ़ाने का उपाय है. डॉ अमृता मिश्रा ने कहा कि महिलाएं स्तन में दूध आने को महसूस कर सकती हैं. डॉ उत्सव राज ने तकनीकी सत्र का संचालन किया, जिस दौरान डॉ कमोद झा ने वीडियो के द्वारा स्तन में दूध सुख जाने की स्थिति में सप्लीमेंट्री सकिंग टेक्निक से पुनः दूध पैदा करना, जन्म के तुरंत बाद बच्चे को ब्रेस्ट क्रॉल द्वारा कुछ मिनट में ही स्तनपान शुरू कराना, दूध पिलाने समय बच्चे को सही ढंग से पकड़ना और उसे स्तन से चिपकाना, लैच आन द्वारा सही ढंग से स्तन से लगाने आदि की जानकारी दी.
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के कानून के बारे में दी जानकारी
डॉ ओम प्रकाश ने पावर पॉइंट द्वारा स्तनपान के हित में भारत में स्थापित कानूनों के बारे में बताया. आईएमएस एक्ट 1992 अमेंडेड 2003 द्वारा जन्म से दो साल तक के बच्चों के आहार के बारे में किसी भी तरह का विज्ञापन प्रतिबंधित है. इस कानून के तहत दंडात्मक प्रावधान है, जिसमें जेल और जुर्माना दोनों की व्यवस्था है. उन्होंने कहा इस कानून के द्वारा किसी भी स्वास्थ्य कर्मी द्वारा दुग्ध बनाने वाली कंपनी से किसी भी तरह का संबंध रखना अपराध करार दिया गया है. उन्होंने महिलाओं को अपने हक के प्रति जागरूक रहने के लिए कहा. बताया कि भारत दो शिशुओं तक प्रसव के बाद छह महीने तक पूर्ण वेतन के साथ मातृत्व अवकाश का प्रावधान है. दूसरे के बाद हर शिशु के जन्म में तीन महीने का मातृत्व अवकाश देय है. साथ ही 50 से ज्यादा क्षमता वाले संस्थाओं में क्रैच की व्यवस्था होना आवश्यक जिसमें मां चार बार जाकर बच्चों को दूध पिला सकती है. छह महीने के बाद भी ज्यादा बीमार पड़ने पर एक माह की छुट्टी और दी जा सकती है. अगर संभावना बने और मां चाहे तो उसे घर से भी कार्य करने की सुविधा देना नियोक्ता का कर्तव्य बनता है. इस कानून में स्तनपान करने वाली महिलाओं को नौकरी से निकलने पर रोक भी है. मौके पर डॉक्टर संजीव कुमार, डॉ अरविंद कुमार, डॉ विनोद कुमार सिंह, डॉ अमरेश कुमार साहू, गुड़िया रानी, मनोज कुमार, डॉ अमिताभ सिन्हा, डॉ संजय कुमार, अजीजुर रहमान, शाहिद अख्तर, हसन परवेज़ गोपी किशन शाहिद आदि मौजूद थे.