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पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता डा सुनील कुमार चौधरी ने पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित भारतीय सड़क कान्ग्रेस में सड़क एवं पुल पर शोध पत्र प्रस्तुत कर बिहार का परचम लहराया

भारतीय सड़क कान्ग्रेस में डा सुनील ने लहराया बिहार का परचम

मधुबनी जिला के खिरहर गाँव निवासी पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता डा सुनील कुमार चौधरी ने पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित भारतीय सड़क कान्ग्रेस में सड़क एवं पुल पर शोध पत्र प्रस्तुत कर बिहार का परचम लहराया

रिपोर्ट राजु सिंह अजित कुमार सिंह

।डा चौधरी के शोध पत्र का शीर्षक था- “एन इनोवेटिव एण्ड कौस्ट इफेक्टिव एप्रोच आफ अर्थक्वेक रेसिस्ट डिजाइन ऑफ ब्रीज एण्ड रोड”। आपदा रोधी समाज निर्माण के लिए कृतसंकल्पित तथा विज्ञान एवं तकनीक के विभिन्न पहलुओं को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने को कटिबद्ध डा चौधरी ने अर्थक्वेक रेसिस्टेन्ट ब्रीज डिजाइन एवं अर्थक्वेक रेजिलिएन्ट सड़क के निर्माण एवं प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की ।आपदा रोधी समाज निर्माण आन्दोलन के पर्याय बन चुके डा चौधरी ने पुल के भूकंप रोधी छमता बढ़ाने के विभिन्न पहलुओं पर बड़े ही सहज-सरल एवं रोचक ढंग से प्रकाश डाला।वे भारतीय सड़क कान्ग्रेस मे सड़क एवं पुल पर एक साथ शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले विश्व, भारत, बिहार एवं पथ निर्माण विभाग के पहले अभियंता हैं।भारतीय सड़क कान्ग्रेस में पहली बार बिहार का कोई अभियंता सड़क एवं पुल को आपदा रोधी बनाने पर शोध पत्र प्रस्तुत किया है ।प्रस्तुतीकरण की शुरुआत करते हुए उन्होने विश्व के विभिन्न भागों में भूकंप के कारण ब्रीज फेल्योर के बारे में विस्तार से चर्चा की ।उन्होने अर्थक्वेक प्रूफ,अर्थक्वेक रेसिस्टेन्ट एवं अर्थक्वेक रेजिलिएन्ट स्ट्रक्चर के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि अर्थक्वेक रेसिस्टेन्ट ब्रीज डिजाइन एवं अर्थक्वेक रेजिलिएन्ट सड़क निर्माण एवं प्रबंधन न केवल सस्ता है बल्कि ड्यूरेबल एवं पर्यावरण के अनुकूल भी है ।उन्होने पुल निर्माण में स्मार्ट मैटिरियल के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया ।उन्होने अर्थक्वेक से क्षतिग्रस्त पुलों के एडवान्स कम्पोजिट मैटिरियल से रेट्रो फिटिन्ग तकनीक पर भी प्रकाश डाला।्उहोने बताया कि भारत एक बहुआपदा प्रवण देश है जो भूकम्प, बाढ एवं सुखाड़ की मार झेलता रहा है । डा चौधरी ने बताया कि जूट का प्रयोग कर न कवल सड़क के भार वहन छमता को बढाया जा सकता है बल्कि सड़क के क्रस्ट की मुटाई को भी कम किया जा सकता है ।उन्होने जूट जियोटेक्सटाइल के साथ भेटिभर ग्रास का उपयोग कर कटाव निरोधी कार्य एवं स्लोप प्रोटेक्शन करने के सस्ता एवं पर्यावरण के अनुकूल तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर बड़े ही सहज-सरल एवं रोचक ढंग से प्रकाश डाला ।डा चौधरी ने बताया कि सडक निर्माण मे प्लास्टिक का उपयोग कर न केवल अर्थक्वेक रेजिलिएन्ट एवं सस्ता सड़क निर्माण किया जा सकता है बल्कि पर्यावरण के हो रहे नुकसान को भी कम किया जा सकता है ।उन्होने बताया कि अगर डिजास्टर रेजिलिएन्ट सडक का निर्माण एवं प्रबंधन करना है तो जुट एवं प्लास्टिक के प्रयोग चो बढ़ावा देना होगा ।आपदा रोधी समाज निर्माण के लिए कृतसंकल्पित तथा विज्ञान एवं तकनीक के विभिन्न पहलुओं को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने को कटिबद्ध डा चौधरी ने बताया कि जूट एवं प्लास्टिक के प्रयोग से न केवल डिजास्टर रेजिलिएन्ट सड़क का निर्माण होगा बल्कि संरचना की लाइफ भी दुगुनी हो जाएगी ।डॉ चौधरी ने भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए इन्टिग्रेटेड एप्रोच अपनाने की जरूरत बताई । इसके लिए समाज में लोगो को जागरूक करना होगा। प्राकृतिक आपदा के समय इन्फ्रास्टक्चर भारी संख्या में क्षति ग्रस्त हो जाते हैं एवं जान माल की काफ़ी क्षति होती है जिससे लोगों को भारी कष्ट उठाना पड़ता है।ऐसे में पारम्परिक निर्माण एवं प्रबंधन में बदलाव की जरूरत है ।डा चौधरी ने पुल एवं सड़क निर्माण कार्य में अभिकल्प एवं मटेरियल के विशिष्टयो एवं प्रबंधन नीतियों में बदलाव की जरूरत की जोरदार वकालत की एवं इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत बताई ।उन्होने डिजास्टर रेजिलिएन्ट निर्माण एवं प्रबंधन में बायोइन्जिनियरिन्ग की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होने बताया कि ऐसे पौधों को लगाने की जरूरत है जो कार्बन डाई ऑक्साइड का शोषण कर सके। उन्होने बताया कि भूकम्परोधी पुल एवं भूकंप रेजिलिएन्ट सड़क निर्माण एवं प्रबंधन पर समाज के हर तबके को जागरूक करने के अभियान को एक आन्दोलन का रूप देकर पूरा देश में फैलाने की जरूरत है । डा चौधरी अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी एवं सामाजिक संगठनों से जुड़कर भूकंप एवं उससे निपटने के लिए डिजास्टर रेजिलिएन्ट एवं कौस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम करते रहे हैं ।डा चौधरी को 26 अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है एवं 107 शोध पत्र विभिन्न प्रतिष्ठित जर्नल एवं कान्फ्रेस में प्रकाशित हो चुका है ।डा चौधरी बिहार राज्य अभियंत्रण सेवा संघ के पूर्व सचिव भी रह चुके हैं ।उन्होने निम्नलिखित पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त की-
“हम लोग है ऐसे दीवाने तकनीक बदलकर मानेंगे ।
मंजिल को पाने निकले है मंजिल को पाकर मानेंगे।”
अन्त मे उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।

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