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लोक शिकायत निवारण के मामलों के निष्पादन की हुई समीक्षा

लोक शिकायत निवारण के मामलों के निष्पादन की हुई समीक्षा


दरभंगा, जिलाधिकारी कार्यालय प्रकक्ष में जिलाधिकारी दरभंगा  राजीव रौशन की अध्यक्षता में जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय तथा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण कार्यालय, दरभंगा सदर, बिरौल एवं बेनीपुर में 45 दिनों एवं 60 दिनों से अधिक के लंबित मामलों की स्थिति की समीक्षा की गयी। वैसे लोक प्राधिकार जिनके यहाँ 45 दिनों से अधिक के लंबित दो से अधिक मामले तथा 60 दिनों से अधिक के एक भी मामले लंबित है, को गंभीरता से लिया गया तथा लंबित मामले को जल्द से जल्द निष्पादन करने के सख्त निर्देश दिए गए।
45 कार्य दिवस से अधिक के लंबित मामलों में दो से अधिक मामले वाले लोक प्राधिकार में अनुमंडल पदाधिकारी बिरौल, सहायक विद्युत अभियंता, विद्युत आपूर्ति, अवर प्रमंडल, नॉर्थ ग्रामीण, प्रखंड विकास पदाधिकारी कुशेश्वरस्थान, प्रखंड विकास पदाधिकारी बिरौल, प्रखंड विकास पदाधिकारी कुशेश्वरस्थान पूर्वी, प्रखंड विकास पदाधिकारी अलीनगर, अधीक्षक डीएमसीएच दरभंगा,जिला कृषि पदाधिकारी दरभंगा, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं सिविल सर्जन दरभंगा शामिल हैं।
60 कार्य दिवस से अधिक लंबित मामले लोक प्राधिकार में जिला कृषि पदाधिकारी, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, जाले, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद-सह-अपर समाहर्ता दरभंगा, सिविल सर्जन दरभंगा, जिला पंचायत राज पदाधिकारी दरभंगा, अंचलाधिकारी कुशेश्वरस्थान, कुशेश्वरस्थान पूर्वी, थानाध्यक्ष कुशेश्वरस्थान शामिल हैं।
जिन लोक प्राधिकार पर पूर्व में सुनवाई के दौरान जुर्माना अधिरोपित किए गए हैं और अभी तक उनके द्वारा जुर्माना राशि जमा नहीं कराई गई है, उन्हें सख्त चेतावनी देते हुए जल्द से जल्द जुर्माना राशि जमा कराते हुए चालान की प्रति उपलब्ध कराने के निर्देश दिया गया।
बैठक में बताया गया कि कुल 83 लोक प्राधिकार के विरुद्ध कुल 10 हजार 500 रुपये जुर्माना अधिरोपित है।
बैठक में अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी बिरौल, मो.नदीम उल हसन एवं अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी बेनीपुर मनोज कुमार पवन ने बताया कि कई लोक प्राधिकार लगातार सुनवाई में स्वयं अनुपस्थित रहते हैं तथा मामले से जुड़े प्रतिनिधि को नहीं भेजकर अन्य कर्मी को भेज देते हैं जिन्हें परिवाद के तथ्यों की जानकारी नहीं रहती है, जिससे सुनवाई में काफी कठिनाई होती है,थाना से संबंधित अधिकतर मामलों में भी यही शिकायत रहती है।
जिलाधिकारी ने इसके लिए गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन सुनवाई करने की सुविधा प्रदान करने के निर्देश दिए,साथ ही आईटी प्रबंधक को यह सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।
बैठक में बताया गया कि ग्राम पंचायतों या अन्य कार्यकारी एजेंसी द्वारा रैयती भूमि पर सड़क का निर्माण बिना अनापत्ति प्राप्त किए बनवा दिया जाता है। ऐसे अनेक मामले सुनवाई में आ रहे हैं, निर्माण कार्य हो जाने के उपरांत इनमें निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
जिलाधिकारी ने अपर समाहर्ता को निर्देश दिए कि ग्राम पंचायत सहित सभी कार्यकारी एजेंसी को यह पत्र जारी किया जाए कि अंचलाधिकारी से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए, रैयती भूमि के मामले में रैयत से बिना सहमति प्राप्त किए यदि कोई निर्माण कार्य किया जाता है तो उसके मुआवजा के लिए दावा किए जाने पर मुआवजा देने की उनकी व्यक्तिगत जिम्मेवारी होगी। इसलिए निर्माण कार्य के पूर्व संबंधित अंचलाधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना एवं रैयती भूमि के मामले में संबंधित रैयत से सहमति/ अनापत्ति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
बैठक में अपर समाहर्ता-सह-अपर जिला दंडाधिकारी राजेश झा राजा, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी-सह-अपर समाहर्ता अनिल कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी सदर स्पर्श गुप्ता, पुलिस उपाधीक्षक (यातायात) बिरजू पासवान, उप निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता, विशेष कार्य पदाधिकारी सत्यम सहाय, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी डॉ रश्मि वर्मा, सहायक नोडल आईटी सेल पूजा चौधरी एवं संबंधित पदाधिकारी गण उपस्थित थे।

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