सीपीआर क्या,क्यों और कैसे जानकारी से मेदांता पटना के टीम द्वारा अवगत कराया गया
दरभंगा, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में मेदांता हॉस्पिटल पटना के डॉ. अजय कुमार सिन्हा व डॉ सैयद फैज अहमद द्वारा समाहरणालय के सभी पदाधिकारी एवं कर्मी गण को सीपीआर ट्रेनिंग प्रोग्राम का प्रशिक्षण दीया गया।
प्रशिक्षण में सर्वप्रथम डॉ. अजय कुमार सिन्हा द्वारा बताया गया किसी व्यक्ति के आकस्मिक कारणों से जैसे की सड़क दुर्घटना, हार्टअटैक, पानी में डूब जाना, बिजली का झटका लगना इत्यादि के परिणाम स्वरुप हृदय की धड़कन बंद होने या अनियंत्रित होने से बेहोशी या मरणासन्न अवस्था में पहुंचने पर ह्रदय एवं श्वसन प्रक्रिया को पुनः स्थापित करने की आपातकालीन प्रक्रिया को सीपीआर (Cardiopulmonary resuscitation) कहते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अचानक हृदय की धड़कन बंद होने पर मस्तिष्क एवं शरीर के विभिन्न अंगों को जीवित रखने वाला रक्त प्रवाह बंद हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और पहले मस्तिक और फिर सारे अंग मृत हो जाते हैं। ऐसे में यदि मरीज को सीपीआर दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है, यह प्रक्रिया अस्पताल के बाहर दुर्घटना स्थल पर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को समतल एवं सख्त धरातल पर लिटा दें, उसके तुरंत बाद ग्रीवा धमनी को अपनी अंगुली से जांच लें, यह सुनिश्चित करें कि वह सांस ले रहा है या नहीं, अगर बेहोश व्यक्ति की नब्ज नहीं चल रही हो तो और सांस नहीं ले रहा हो सीपीआर शुरू करें।
पेशेंट को सीधा लिटा दें इस दौरान शरीर के सारे अंग सीधे होने चाहिए, अपने दोनों हाथों की हथेलियों को एक दूसरे के ऊपर रखते हुए सीने को दबाए। चेस्ट पर दो से ढाई इंच से ज्यादा प्रेशर नहीं डालना है। छाती पर दबाव का दर 100 से 120 प्रति मिनट होनी चाहिए। श्वसन मार्ग से अवरोध को हटाए, कृत्रिम सांस दें।
उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम का आयोजित करने का उद्देश्य यह है कि आम जन-जीवन में जो हम किसी व्यक्ति को कॉर्डिस हर्ट अटैक आता है उससे हम कैसे उनको बचाए।
इस अवसर पर विशेष कार्य पदाधिकारी सत्यम सहाय, जिला एवं सूचना विज्ञान पदाधिकारी राजीव कुमार झा एवं पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे, वही मेदांता हॉस्पिटल की ओर से अश्वनी कुमार झा थे।