जहरीली शराब आम लोगों की जिंदगी के लिए नासूर बन गया है। यह शर्मनाक भी है कि शराबबंदी वाले राज्य में लगातार लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं। शराबबंदी अच्छे नियत से की गई थी, लेकिन नियति समय पर उसकी समीक्षा किए बैगर इस बंदी को जारी रखने से प्रदेश की जनता और प्रदेश के राजस्व को हानि हुआ। नतीजा सबके सामने है। रोज लोग शराब ही पीकर मर रहे हैं और शराबबंदी से विकास के हजार करोड़ रुपये का घटा हुआ। सो अलग। और शराब धड़ल्ले से बिक रही है और इसी के आधार पर ड्रग्स का भी कारोबार पनप गया है।
आज हम एक बार फिर से शराबबंदी में जहरीली शराब से मौत की घटना के पीड़ित लोगों से मुलाकात को पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया गए, जहां दर्जनों लोग काल के गाल में समा गए। हमने सबों के परिजनों से मुलाकात की और 10 परिवार को पार्टी की ओर से तत्काल 10 – 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद भी की। हम सरकार से मांग करते हैं कि राज्य सरकार द्वारा बिहार में जहरीली शराब पीकर मरने वालों के आश्रितों को जो 4 लाख रुपये का मुआवजा की बात हुई है, वह अविलंब मिले। साथ ही हम यह भी आग्रह करेंगे कि 2016 के बाद से जो लोग जहरीली शराब से मरे हैं, डर व अन्य कारणों से जिनका नाम रिकार्ड में नहीं आया। उनके परिजनों के लिए भी सरकार को सोचना चाहिए।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि लोग महंगी शराब पीकर नहीं मर रहे हैं। सस्ती और जहरीली शराब पीकर लोगों की जान जा रही है। इसलिए मुख्यमंत्री जी, शराब पर 70% टैक्स लगा दीजिए और यह सुनिश्चित कर दीजिए कि शराब गाँव और पंचायत में उपलब्ध ना हो। साथ ही 25 वर्ष से कम उम्र के लोगों को शराब ना मिले, इसके लिए आधार कार्ड की सहायता ली जा सकती है। हम प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों और सरकार से आग्रह करेंगे कि वे इस पर विचार करें। पप्पू यादव