जानकी नवमी पर मैथिली दिवस समारोह का आयोजन करेगा विद्यापति सेवा संस्थान
धरती की पुत्री मां जानकी का प्राकट्य दिवस समारोह विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आगामी 17 मई को धूमधाम के साथ मनाया जायेगा। संस्थान के प्रधान कार्यालय परिसर में प्रातः काल माता जानकी की प्रतिमा की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद मैथिली दिवस समारोह का भव्य आयोजन होगा। यह निर्णय सोमवार की देर शाम मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया।
मौके पर महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संस्थान कई दशकों से जानकी नवमी का आयोजन करता आ रहा है। जबकि बीते एक दशक से अधिक समय से मूर्ति पूजा भी की जा रही है। जानकी नवमी का विस्तार-अभियान निरंतर प्रगति कर रहा है। आज राष्ट्रीय स्तर पर हजारों स्थान पर जानकी नवमी समारोहपूर्वक मनाने का क्रम शुरू हो चुका है। वहीं अमेरिका, जर्मनी, कैलिफोर्निया, रूस आदि देशों में भी मिथिलावासी जानकी नवमी का आयोजन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि संस्थान के जानकी नवमी समारोह में संस्थान के संरक्षक द्वय क्रमशः ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो लक्ष्मी निवास पांडेय की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी। डा बैजू ने जानकी अभियान में जुटी सभी संस्थाओं को साधुवाद देते हुए मिथिला के हर घर में जानकी पूजन सुनिश्चित करने का आह्वान किया ताकि इस मिथिला में नारी सशक्तिकरण का अभियान और ज्यादा विस्तार ले सके।
मौके पर मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि विद्यापति सेवा संस्थान के हर-घर जानकी पूजन महाभियान को मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिलों का भरपूर सहयोग व समर्थन मिल रहा है। इसके सुखद परिणाम के रूप में देश-विदेश में शिवधनुर्धारिणी जानकी नवमी समारोह की धूम के रूप में सामने है।
इस अवसर पर आयोजित होने वाले जानकी-सम्मेलन की संयोजिका एक बार फिर डा सुषमा झा को सर्वसम्मति से बनाया गया। उन्होंने मां जानकी के प्राकट्य दिवस पर जानकी सम्मेलन के आयोजन को काफी उपयोगी बताया और सभी माता-बहनों को इसमें शामिल होने के लिए जनसंपर्क अभियान चलाये जाने पर बल दिया। नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले जानकी सम्मान पर अगली बैठक में चर्चा करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में प्रवीण कुमार झा, दुर्गा नन्द झा, डा गणेश कांत झा, आशीष चौधरी, वैद्य गणपति झा, नवल किशोर झा, रामाज्ञा झा, चंद्रमोहन झा, हरि किशोर चौधरी, शंभु नाथ मिश्र आदि ने भी अपने विचार रखे। सभी ने एकस्वर में संस्थान के इस आयोजन से समग्र समाज को जोड़ने के प्रति संकल्प लिया।
*अमर जी की तीसरी पुण्यतिथि पर संस्थान परिवार ने दी श्रद्धांजलि*
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इससे पहले मैथिली साहित्य के शीर्ष पुरूष रहे चंद्रनाथ मिश्रअमर जी की तीसरी पुण्यतिथि पर उपस्थित लोगों ने दिवंगत पुण्यात्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि प्रदान की। संस्थान की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि अमर जी बहुविधा में रचनाशील होने के साथ-साथ अनुशासन एवं समय के काफी पाबंद थे। उन्होंने कहा कि मैथिली साहित्य जगत के महा मनीषी एवं विद्यापति सेवा संस्थान के आजीवन अध्यक्ष रहे पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर अपनी कृतियों में सदा अमर रहेंगे। विद्यापति सेवा संस्थान के प्रधान कार्यालय में आयोजित शोक सभा उन्होंने कहा कि जनक-जानकी की भाषा मैथिली की समृद्धि के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने अमरजी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें सरल व्यक्तित्व, विलक्षण कृतित्व एवं सामाजिक प्रवृत्ति का निष्णात विद्वान बताया।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा झा ने अमरजी को विभिन्न विधाओं में पारंगत प्रबुद्ध साहित्यकार होने के साथ-साथ एक कुशल रंगकर्मी बताते कहा कि अपनी कृतियों में वे सदा अमर रहेंगे। दुर्गा नन्द झा ने कहा कि अमरजी एकमात्र ऐसे साहित्यकार हुए, जिनके पास मिथिला, मैथिली व मैथिल के विकास के चिंतन की समग्र सामग्री उपलब्ध थी। आशीष चौधरी ने उनके कृतित्व पर आधारित शोध कार्य को बढ़ावा देने को उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया।
शंभु नाथ मिश्र ने अमर जी को मैथिली साहित्य के विकास की दिव्य दृष्टि से संपन्न कालजयी साहित्यकार बताते हुए मैथिली साहित्य के भंडार को भरने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।