मिथिला के लाल ने किया 70 वर्षीय मरीज के घुटने का सफल प्रत्यारोपण
अक्सर यह कहते सुना जाता हैं कि घुटने की शल्य चिकित्सा कम उम्र के मरीजों में सफल होता है और अधिक उम्र के मरीजों मेँ इसका प्रत्यारोपण सफल पूर्वक नहीं हों सकता है। लेकिन मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद के वरिष्ठ आर्थोपेडियाट्रिक्स डा आशुतोष झा इस मिथक को लगातार दूर कर रहे हैं ।
हाल ही में उन्होंने मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा की धर्मपत्नी प्रमिला झा का 70 साल की उम्र में घुटने का पूर्ण रूप से सफल प्रत्यारोपण और सिर्फ एक पखवाड़े में उन्हें अपने पैर पर खड़ा कर कीर्तिमान स्थापित किया है। बता दें कि बीते महीने की 16 तारीख को गाजियाबाद के मणिपाल हॉस्पिटल में शल्य चिकित्सा कर उनके घुटने का प्रत्यारोपण किया गया और पाँच मई को वह दिल्ली से दरभंगा सकुशल आ गई। अपने पैर पर स्वतंत्र रूप से खड़े होकर जहांँ प्रमिला झा काफी खुश हैं वहीं परिजनों ने राहत की सांस ली है। प्रमिला झा ने बताया कि डा आशुतोष झा की सफल चिकित्सा ने जहाँ उनके भीतर आत्मविश्वास का संचार किया है। वहीं उन्हे इधर-उधर की दर्द निवारक गोलियोंऔर उसके साइड इफेक्ट से मुक्ति मिल गई है।
पं कमलाकांत झा ने बताया कि बेतिया निवासी डा आशुतोष झा का ननिहाल हरिहरपुर निकासी हैं गाजियाबाद स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक हैं। समाज सेवा और मानव सेवा के लिए पूरी तरह समर्पित होकर वे अभी तक सैकड़ों सफल रिप्लेसमेंट कर चुके हैं। उनका मानना है कि घुटने के ऑपरेशन का उम्र से कोई मतलब नहीं है। यदि स्वास्थ्य संबंधी बांकी फैक्टर जैसे शुगर, बीपी, हीमोग्लोबिन आदि के स्तर ठीक रहें तो किसी भी उम्र में घुटने का प्रत्यारोपण सफलता पूर्वक किया जा सकता है । डा आशुतोष झा इससे पहले भी 80 की उम्र तक के मरीजों के घुटने की शल्य चिकित्सा और सफल प्रत्यारोपण कर चुके हैं। सफल प्रत्यारोपण के बाद अस्पताल से बिदा होने से पहले पं कमलाकांत झा ने मिथिला की गौरवशाली परंपरा अनुरूप पाग एवं चादर भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान डा आशुतोष झा के पड़ोस में रहने वाली इस चिकित्सा के सूत्रधार रहे पं झा के दामाद संजय कुमार झा एवं पुत्री संजना झा भी उपस्थित रहे।