मणिशृंखला अंतर्गत ‘सियाराममणि’ लोकार्पित
मणि शृंखला अंतर्गत महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा रचित भक्तिमय कविता संग्रह ‘ सियाराममणि’ का विमोचन शुक्रवार को किया गया। शहर के शुभंकरपुर स्थित श्मशान काली मंदिर में विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू की अध्यक्षता में आयोजित लोकार्पण समारोह में पत्रकार विष्णु कुमार झा, महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा, विद्यापति सेवा संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा, अशोक कुमार चौधरी, गायक दीपक कुमार झा, संतोष कुमार झा, नीलम झा, पूनम झा, वंदना झा आदि ने मिलकर किया। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक गंधर्व कुमार झा द्वारा सस्वर वेद ध्वनि की प्रस्तुति से हुआ। तदुपरांत जया ने गणेश वंदना प्रस्तुत किया। दीपक कुमार झा ने मणिशृंखला की पुस्तकों से अनेक रचनाओं की धमाकेदार प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में अपना विचार रखते हुए डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि राममय वर्ष में मिथिला के पाहुन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और जनक नन्दिनी जानकी पर केंद्रित भक्ति भाव से परिपूर्ण कविता संग्रह ‘सियाराममणि’ का लोकार्पण होना अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मणिकांत झा के रचना संसार में मिथिला के लोक भाव के सभी रंगों का समाहित होना इनकी विशिष्टता है। खासकर मैथिली के विलुप्त होते शब्दों को व्यवहार में लाने की कला में लेखक माहिर हैं। यह उनकी विभिन्न रचनाओं में स्वत: मुखर होकर सामने आता रहा है। यह मैथिली साहित्य के उज्जवल भविष्य के लिए शुभ संकेत है।
प्रो जितेन्द्र नारायण ने मैथिली का मिथिला से विलुप्त होने पर चिंता जाहिर करते हुए इसे बचाकर रखने में मणिकांत झा की पुस्तकों को कारगर बताया.
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पत्रकार विष्णु कुमार झा ने कहा कि ‘सियराममणि’ का प्रकाशन समयोचित है। इसके प्रकाशन से मैथिली साहित्य की श्रीवृद्धि होने के साथ-साथ यह जगत जननी जानकी के प्राकट्य स्थली पुनौरा धाम के अपेक्षित विकास के प्रति लोगों को जागरूक करने में भी सहायक होगा। अशोक कुमार चौधरी ने मणि शृंखला के पल्लवित व पुष्पित होने की कामना करते हुए मणि शृंखला की पुस्तकों को मिथिला के लोकाचार को संरक्षित एवं संवर्धित करने में सहायक बताया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मणि कांत झा ने ‘सियाराममणि’ कविता संग्रह से अनेक रचनाओं का सस्वर पाठ किया।
प्रवीण कुमार झा ने मणिशृंखला की रचनाओं को मैथिली साहित्य के लिए अत्यंत लाभकारी बताते कहा कि यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि आज अपने परिणय दिवसोत्सव की स्वर्ण जयंती मना रहे पांच युगल दंपति अलग-अलग पांच जगहों पर इस लोकार्पण समारोह के साक्षी बन रहे हैं। अतिथियों का स्वागत करते हुए महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि मिथिला की परंपरा, संस्कृति, लोकाचार एवं पर्व त्योहार के महत्व को मणिकांत झा आम लोगों के समक्ष बखूबी रखते आ रहे हैं. इस कड़ी में ‘सियाराममणि’ एक और जीवंत उदाहरण है। कार्यक्रम में रंजीत झा, प्रकाश झा, संतोष कुमार झा, नीलम झा, पूनम झा, कंचना झा, वंदना झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।