फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर हुई बैठक
दरभंगा जिलाधिकारी राजीव रौशन के निर्देशानुसार उप विकास आयुक्त चित्रगुप्त कुमार की अध्यक्षता में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर बैठक हुई।
बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. दिलीप कुमार एवं संजीव कुमार कार्यक्रम प्रबंधक पिरामल ने बताया कि दरभंगा जिले में 10 अगस्त 2024 से प्रारंभ होकर 14 दिनों तक फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिसके अन्तर्गत 02 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्तियों को 03 प्रकार की दवायें खिलाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि फाइलेरिया शरीर को अपंग और कुरूप करने वाली बीमारी है। लिम्फेटिक फाइलेरिया को आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है, यह संक्रमण वुचरेरिया ब्रैनक्राफ्टी नामक परजीवी के काटने से होता है। इस बीमारी का संक्रमण आमतौर पर बचपन में ही हो जाता है।
लिम्फेटिक फाइलेरिया एक वाहक जनित रोग है जो क्यूलैक्स प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है ।
संक्रमित मादा मच्छर परजीवी के डिम्बाणु को मनुष्य के शरीर में छोड़ देते हैं, यह लसिका तंत्र में जाकर बस जाता है।
उन्होंने कहा कि इसमें एक प्रकार का कीड़ा के लार्वा शरीर में रहने के कारण होता है,जिसे क्यूलैक्स नामक मादा मच्छर के संक्रमित व्यक्ति के काटने के उपरान्त स्वस्थ व्यक्ति को काटने पर हो जाता है, इस बीमारी का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच मच्छर के माध्यम से होता है। यदि साल में एक बार इसकी दवा खा ली जाए, तो एक वर्ष तक यह बीमारी नहीं होती है और यदि दूसरे वर्ष भी एक बार यह दवा खा ली जाए, तो आदमी हमेशा के लिए फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित हो जाता है।
उन्होंने कहा कि 02 वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धात्री महिला एवं गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को छोड़कर शेष सभी लोगों को फाइलेरिया बीमारी के विरुद्ध लड़ने हेतु क्षमता विकसित करने एवं फाइलेरिया से बचाव के लिए तीन प्रकार की दवा घर-घर पहुंचाई जाएगी, जिसमें डी.ई.सी, एल्बेंडाजोल सहित एक और आइवरमेक्टिन टेबलेट दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एक बार फाईलेरिया हो जाने पर उससे छुटकारा नहीं पाया जा सकता है, फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित व्यक्ति का अंग एक बोझ की तरह हो जाता है और वह घर के अंदर ही रहने लगता है, बाहर की दुनिया से उसका संपर्क धीरे-धीरे कट जाता है। इसलिए साल में एक बार एम.डी.ए. का सेवन सभी लोगों के लिए आवश्यक है।
उप विकास आयुक्त ने कहा कि इसकी तैयारी हेतु कार्य योजना बना लेने को कहा, साथ ही शहरी क्षेत्र में ज्यादा केस मिल रहा, को लेकर स्वास्थ्य विभाग के टीम नगर निगम से समन्वय कर इस क्षेत्र में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी को अपने-अपने कार्य योजना पर कार्य करने की जरूरत है। साथ ही दवा खिलाने वाली टीम को अच्छी तरह से ब्रिफिंग कर दी जाए तथा कोई व्यक्ति छूटे नहीं, न ही किसी को भूखे पेट दवाई खिलाई जाए, उसका ध्यान रखा जाए।
साथ ही सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी इस कार्यक्रम से सम्बद्ध किया जाए तथा अभियान के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अलर्ट रखा जाए।
उक्त बैठक में सिविल सर्जन डॉ.अरुण कुमार, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार मिश्रा,जिला कृषि पदाधिकारी विपिन बिहारी सिन्हा,डीपीओ आईसीडीएस एवं अन्य संबंधित पदाधिकारीगण उपस्थित थे।