जीविका महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है। विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम, तकनीकी ज्ञान और आसान दरों पर ऋण मुहैया करवा कर उन्हें रोजगार से जोड़ा जा रहा है। इससे न केवल महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं, बल्कि समाज में अपनी पहचान भी बना रही हैं।
सूबे की आधी आबादी घूँघट प्रथा का परित्याग कर पुरुष प्रधान समाज को हर मोर्चे पर चुनौती देने लगी है ये कहना था जीविका की डीपीएम डा0 ऋचा गार्गी का प्रखंड सभागार केवटी में आयोजित किए जा रहे 25 जीविका दीदियों के रानी मिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन समारोह के दौरान। प्रखंड सभागार केवटी में 25 जीविका दीदियों को शौचालय निर्माण व मरम्मती के लिए रानी मिस्त्रीयों का 5 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन जीविका एवं यूनिसेफ बिहार के सहयोगी संस्था वाडस फाउंडेशन के द्वारा शुरू किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन प्रखण्ड विकास पदाधिकारी रुखसारडीपीएम ऋचा गार्गी व बीपीएम मंतोष कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रजव्वालित कर किया। प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ने कहा रानी मिस्त्री बनने से महिलाएं शौचालय निर्माण में माहिर हो रही हैं, जिससे उन्हें रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। यह पहल महिलाओं को सशक्त बना रही है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित कर रही है। मंतोष कुमार ने कहा प्रशिक्षण मिलने के बाद ये दीदियां प्रखंड में टॉयलेट बनाएंगी और खराब टॉयलेट की मरम्मत करेंगी. इससे सार्वजनिक स्थलों पर चलने वाले टॉयलेट को बनाने में खर्च कम आयेगा और दीदियों को रोजगार भी मिलेगा. इसके अलावा जीविका दीदी को सफाई का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा रानी मिस्त्री दीदियां अब निजी स्तर पर भी टॉयलेट बनायेंगी. अगर कोई व्यक्ति दीदी से संपर्क करता है तो वह राज मिस्त्री की तरह टॉयलेट बनायेंगी और इसके बदले मेहनताना लेंगी.. जीविका दीदियों की इस नयी पहल से रोजगार का नया सृजन हुआ है. सबसे बड़़ी बात है कि दीदियां अब पुरुषों की तरह हम काम करने को तैयार हैं. उद्यम व व्यवसाय के अलावा हर क्षेत्र में वह प्रशिक्षण लेकर रोजगार का नया सृजन कर रही हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रम में पटना से आये वाडस फाउंडेशन के सचिव शशि भूषण पाण्डेय, प्रोग्राम मैनेजर वाडस फाउंडेशन अश्विनी कुमार, भरत भूषण तिवारी, सुबलाल, सुबोध कुमार एवं अजय कुंवर उपस्थित रहे।