पर्व-त्योहारों के अवसर पर विशेष रूप से नदियों और जल श्रोतों में मूर्तियों, पूजा सामग्री और धार्मिक प्रसाद की अन्य वस्तुओं के विसर्जन को लेकर जारी किया गया निर्देश।
दरभंगा जिला अधिकारी, राजीव रौशन ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण प्रिंसिपल बेंच, नई दिल्ली द्वारा पारित आदेश, महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के धारा – 5 अन्तर्गत प्राप्त निर्देश एवं जिला गंगा समिति को गंगा नदी (संरक्षण, सुरक्षा एवं प्रबंधन) प्राधिकार आदेश 2016 के पैरा 55 (1) में प्रदत्त शक्तियों के अधीन पर्व-त्योहारों के अवसर पर विशेष रूप से नदियों और अन्य जल श्रोतों में मूर्तियों, पूजा सामग्री और धार्मिक प्रसाद की अन्य वस्तुओं के विसर्जन से संबंधित निम्लिखित निर्देश जारी किये गये है :-
● *मूर्तियों के निर्माण (विसर्जन के लिए) में सिंथेटिक सामग्री/गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री, पी.ओ.पी, पकी हुई मिट्टी, रेज़िन फाइबर और थर्मोकोल आदि का उपयोग, मूर्तियों की पेंटिंग के लिए जहरीले और गैर-बायोडिग्रेडेबल रासायनिक रंगों/सिंथेटिक पेंट का उपयोग सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है।*
● *गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में और उनके किनारों पर कोई मूर्ति विसर्जन नहीं किया जाएगा।*
● नदी के किनारों और घाटों में मूर्तियों के किसी भी तरह के विसर्जन को रोकने के लिए नगर निगम प्रशासन द्वारा बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जाएगी।
● नगरपालिका क्षेत्र या गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारों निर्दिष्ट मूर्ति-विसर्जन स्थलों के लिए तल पर हटाने योग्य सिंथेटिक लाइनर के साथ अस्थायी तालाबों का निर्माण करके पर्याप्त व्यवस्था किया जाएगा।
● फूल, माला और सजावट की सामग्री/वस्त्र/धातु की वस्तुओं के संग्रह के लिए निर्दिष्ट मूर्ति-विसर्जन स्थलों पर पर्याप्त संख्या में अलग-अलग डिब्बे/कंटेनर उपलब्ध कराया जाएगा।
● कुशल निपटान सुनिश्चित करने के लिए बायोडिग्रेडेबल और नॉन-बायोडिग्रेडेबल पूजा कचरे और अन्य सामग्रियों के उचित पृथक्करण के लिए सभी पूजा पंडालों में तीन डब्बा प्रणाली प्रदान किया जाए।
● फूल, माला आदि जैसी बायोडिग्रेडेबल पूजा सामग्री को खाद बनाया जाना चाहिए, जबकि गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री जैसे सजावट की सामग्री (कागज, प्लास्टिक और कपड़ों से बनी) और धातु की वस्तुओं आदि को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पुनर्चक्रित किया जाना चाहिए।
● *किसी भी पूजा सामग्री का सीधे नदी में विसर्जित नहीं किया जाए।*
● नदी के किनारे उपयुक्त स्थानों पर समर्पित घाट विकसित किया जाए, जहाँ मूर्ति विसर्जन, पूजा सहित विभिन्न धार्मिक समारोह/अनुष्ठान किए जा सकें, इन घाटों पर उक्त उद्देश्यों के लिए सभी व्यवस्थाएँ किया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी की जानी चाहिए कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना धार्मिक गतिविधियों के आयोजन का उचित प्रबंधन किया गया है।
● पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना पूजा और विसर्जन करने के लिए जनता और पूजा समितियों का मार्ग-दर्शन करने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों, नगर निकाय के अधिकारियों, पुलिस, गैर-सरकारी संगठनों आदि की एक समन्वय समिति स्थापित की किया जाए।
● मूर्ति विसर्जन के पश्चात 48 घंटे के भीतर, नगरपालिका क्षेत्र/पंचायत/नदी तट पर सभी निर्धारित मूर्ति विसर्जन स्थलों पर बची हुई सामग्री को स्थानीय निकायों द्वारा सी.पी.सी.बी. के दिशा-निर्देशों के अनुसार निपटान हेतु एकत्रित किया जाना चाहिए।
● *समाचार पत्रों तथा सूचना प्रसार के अन्य माध्यमों से पूजा समितियों, मेला अधिकारियों, आम जनता को निर्धारित मूर्ति विसर्जन स्थलों की सूचना दिया जाएगा।*
● व्यापक जन-जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से नदियों एवं जल निकायों में मूर्ति व धार्मिक सामग्री विसर्जन के दुष्प्रभावों के संबंध में स्कूली बच्चों, आम जनता एवं पूजा समितियों को शिक्षित किया जाएगा।
● त्योहारों के दौरान मूर्ति विसर्जन के संबंध में “क्या करें और क्या न करें”, इस संबंध में नगरपालिका क्षेत्र में एवं पूजा पंडालों के निकट विभिन्न स्थानों पर पर्याप्त संख्या में होर्डिंग बोर्ड/बैनर लगाए जाए। इसी प्रकार नदियों/जल निकायों में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध/नदियों एवं जल निकायों में मूर्ति विसर्जन के दुष्प्रभावों से संबंधित होर्डिंग बोर्ड/बैनर निर्धारित मूर्ति विसर्जन स्थलों एवं गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के महत्वपूर्ण घाटों पर लगाए जाए।
● नदी के किनारे उचित दूरी (किनारे से 100 मीटर) पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं, जिसमें किसी भी धार्मिक सामग्री को नदी में विसर्जित नहीं करने का उल्लेख हो और इसका उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के बारे में आम जनता को जागरूक किया जाए।
● *यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उससे 50,000 रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में वसूला जा सकता है, जिसे बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करना होगा।*
जिला अधिकारी, दरभंगा द्वारा नगर आयुक्त, दरभंगा नगर निगम, अनुमण्डल पदाधिकारी, सदर, बेनीपुर एवं बिरौल, अनुमण्डल पुलिस पदाधिकारी सदर – 1 एवं सदर – 2, बेनीपुर तथा बिरौल, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी दरभंगा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, दरभंगा, सभी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, सभी अंचलाधिकारी, सभी नगर कार्यपालक पदाधिकारी, दरभंगा को उपरोक्त आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया।
इसके साथ ही उक्त आदेश का अनुपालन प्रतिवेदन प्रत्येक महीने की अंतिम तिथि से पूर्व जिला पदाधिकारीको उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करेंगे, ताकि प्रत्येक महीने राज्य गंगा समिति, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन एवं माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण को ससमय उपलब्ध करवाया जा सके।
जिला परियोजना पदाधिकारी, जिला गंगा समिति, दरभंगा को निर्देश दिया गया कि प्रत्येक महीने समेकित अनुपालन प्रतिवेदन जिला पदाधिकारी के माध्यम से राज्य गंगा समिति, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन एवं माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण को भेजना सुनिश्चित करेंगे।