दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (डीसीई) में सी-डैक कोलकाता द्वारा 3डी प्रिंटिंग और एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के लिए फिनिशिंग स्कूल की स्थापना

दरभंगा सी-डैक कोलकाता ने बंगाल और बिहार के इंजीनियरिंग छात्रों के लिए 3डी प्रिंटिंग और एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग पर फिनिशिंग स्कूल प्रोग्राम लॉन्च किया। यह कार्यक्रम सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक), कोलकाता के सहयोग से शुरू किया गया है। यह पहल बिहार और पश्चिम बंगाल के इंजीनियरिंग छात्रों को अत्याधुनिक तकनीकी कौशल से लैस करने और उन्हें उद्योग की मांगों के अनुसार तैयार करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य तकनीकी शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटना है। फिनिशिंग स्कूल 16,000 इंजीनियरिंग स्नातकों और अंतिम वर्ष के छात्रों को प्रशिक्षित करेगा। इसके अलावा, 4,000 छात्रों के लिए विशेष बूट कैंप का आयोजन किया जाएगा। इस पहल के तहत डीसीई में एक उन्नत प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी, जो स्टार्टअप्स, छोटे और मध्यम उद्योगों (एसएमई) और बड़े उद्योगों को प्रोटोटाइप बनाने, तकनीकी दस्तावेज तैयार करने, लागत विश्लेषण और सामग्री विनिर्देशों में सहायता प्रदान करेगी।
डीसीई के प्राचार्य प्रोफेसर संदीप तिवारी ने इस उपलब्धि पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “यह फिनिशिंग स्कूल डीसीई के छात्रों, शोधकर्ताओं और फैकल्टी सदस्यों के लिए एक वरदान साबित होगा। हमारे छात्र इस कार्यक्रम के माध्यम से अत्याधुनिक 3डी प्रिंटिंग तकनीकों में दक्षता प्राप्त करेंगे, जिससे उन्हें स्टार्टअप्स और अन्य उद्योगों में अपना करियर बनाने में मदद मिलेगी। यह पहल डीसीई की तकनीकी क्षेत्र में प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगी।”
सी-डैक कोलकाता के निदेशक, डॉ. च ए एस मूर्ति ने इस अवसर पर कहा, “यह कार्यक्रम नई पीढ़ी के इंजीनियरों को अत्याधुनिक कौशल से सुसज्जित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह छात्रों को स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करेगा और नवाचार को बढ़ावा देगा।” मुख्य अन्वेषक श्री असित कुमार सिंह ने इस कार्यक्रम के उद्योग और शिक्षा के बीच तालमेल बढ़ाने में योगदान को रेखांकित किया।
यह फिनिशिंग स्कूल स्टार्टअप्स के लिए भी एक बड़ा सहयोगी साबित होगा। छात्रों को न केवल उद्योग की मांगों के अनुसार तैयार किया जाएगा, बल्कि उन्हें अपने स्वयं के स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाएगा। उन्नत प्रयोगशालाओं की स्थापना से छात्र प्रोटोटाइप निर्माण और नए उत्पाद विकसित करने में सक्षम होंगे।
कार्यक्रम का एक अन्य प्रमुख पहलू यह है कि यह 3डी प्रिंटिंग तकनीक के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और उनसे प्रेरित उत्पादों के निर्माण और विपणन को भी बढ़ावा देगा। सी-डैक, उद्योग जगत और प्लेसमेंट सेल के साथ साझेदारी करके छात्रों के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करेगा।
डीसीई के छात्रों, शोधकर्ताओं और फैकल्टी सदस्यों को यह फिनिशिंग स्कूल अनुसंधान और विकास के नए अवसर प्रदान करेगा। छात्र नवीनतम तकनीकों का प्रयोग कर नए-नए उत्पाद बनाने में सक्षम होंगे, जो उन्हें उद्योग जगत में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा। साथ ही, फैकल्टी सदस्य अपने अनुसंधान को उद्योग की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल सकेंगे।
डीसीई, दरभंगा ने इस पहल के माध्यम से न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह कार्यक्रम तकनीकी शिक्षा को एक नई दिशा देगा और छात्रों को रोजगारपरक कौशल प्रदान करेगा।
इस फिनिशिंग स्कूल के शुभारंभ से डीसीई, दरभंगा तकनीकी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर रहा है, जो छात्रों, शोधकर्ताओं और उद्योग जगत के लिए समान रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।
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