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पटना  हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आवाज बुलंद करना परिवर्तन की शुरुआत मानी जाती है।

शोषण और हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट हुई महिलाएं, समान अधिकार को लेकर बुलंद की आवाजें
• स्लोगन, गीत और नारों में दिखा महिला सुरक्षा की माँग
• महिला नेत्रियों के नाम पर भी सड़क और चौराहों के नामकरण की उठी मांग
• हर प्रकार के हिंसा के विरुद्ध पटना में 3 हजार महिलाओं ने क्या मार्च
पटना  हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आवाज बुलंद करना परिवर्तन की शुरुआत मानी जाती है।

दरभंगा न्यूज़ 24 लाइव संवाददाता, अजीत कुमार सिंह।

कुछ ऐसे ही सोच के साथ उमड़ते सौ करोड़ अभियान बिहार द्वारा “हिंसा हमें मंजूर नहीं” के नारे के साथ पटना महिला अधिकार मार्च आयोजित की गई। मार्च में अलग-अलग जिलों, गांवों एवं कस्बों से आयेग हुए लगभग 3000 प्रतिभागियों, जिनमें महिलाएँ, पुरुष, ट्रांसजेंडर, छात्र-छात्राएँ, सामाजिक कार्यकर्त्ता, कलाप्रेमी, मीडियाकर्मी, शिक्षक एवं विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ 4 जिलों से आये पंचायत प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। मार्च जे पी गोलम्बर गाँधी मैदान से कारगिल चौराहा होते हुए गाँधी मूर्ति, गाँधी मैदान पहुंचकर एक सभा में परिणत हो गई। प्रतिभागियों के हाथों में स्लोगन, गीत और बैनर थे, जिनपर समाज में व्याप्त शोषण, असमानता एवं हिंसा को समाप्त करने की अपील थी।
उमड़ते सौ करोड़ अभियान बिहार के समन्वयक रजनी ने बताया कि उमड़ते सौ करोड़ एक अंतर्राष्ट्रीय अभियान है जो हिंसा और हर प्रकार के शोषण के विरुद्ध एकजुट होकर प्रतिरोध करता है। जिन-जिन जगहों पर हमसे अधिकार छिना जा रहा है हम उसके विरुद्ध खड़े हो रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सभी सड़कों और चौराहों का नामाकरण सिर्फ पुरुषों के नाम पर क्यों है ? क्या इस देश के निर्माण में महिलाओं की कोई भूमिका नहीं है? सावित्री बाई फुले, फातमा, कादम्बिनी गांगुली और ऐसी सैकड़ो महिलाओं ने समाज को नई दिशा दी है तो फिर उनके नाम पर ये सड़के और मैदान क्यों नहीं है? महिलाओं का योगदान इतिहास में और वर्तमान दोनों समय में बराबर रहा है । हमें सविधान ने समानता का अधिकार दिया है । बिहार में सैकड़ो ऐसी महिलाये हुई हैं जिन्होंने अतुलनीय कार्य किया है। उनके नाम पर भी ये सड़के, ये चौराहे और ये मैदान होनी चाहिए। हम साझे तौर पर आज यह मांग करते हैं ।
सामाजिक कार्यकर्त्री शाहीना प्रवीण ने कहा कि सभी वर्गों-समूहों में समान नागरिक सुरक्षा, समानता होने से ही संतुलित विकास संभव है। आज महिलाओं ने बड़े ही सशक्त रूप से बदलाव की कमान थामी है और हम सब एकजुट होकर हर प्रकार के भेदभाव एवं हिंसा को समाप्त करेंगे।
पद्मश्री सुधा वर्गीज ने कहा कि इन दिनों महिलाओं के विरुद्ध बढ़ रही हिंसा अत्यंत चिंताजनक है, इससे समाज में भय एवं आशंका का माहौल बनता है। महिला हिंसा समाज में इस कदर स्वीकृत हो गया है कि आम जन के विमर्श का मुद्दा ही नहीं है। और जबतक कोई भी मसला आम जन के विमर्श में नहीं आता है उसके समाधान राज, सरकार और समाज कोई नहीं करता है. यह अभियान महिला हिंसा के समाधान की ऐसी ही कवायद करती है.
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता सत्यनारायण मदन ने कहा कि वर्तमान समय में हमारे समाज में सामाजिक समरसता एवं सहिष्णुता में बहुत कमी आई है, यह हमारे सर्वांगीण विकास की राह में एक बड़ा अवरोध है। इस अभियान के अंतर्गत हम सभी समान अधिकार, समान अवसर सुनिश्चित कराने के लिए एकजुट हैं। यह प्रेम और सौहार्द का सन्देश देने का समय है और यह अभियान इसकी पुरजोर कोशिश कर रहा है।
कार्यक्रम का सञ्चालन रेशमा प्रसाद ने किया। मौके पर उपस्थित होकर लोकगायक भैया अजीत ने गीत गाकर महिलाओं को सन्देश दिया। वही इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल के छात्राओं ने नाटक के माध्यम से महिला हिंसा के विरुद्ध सन्देश दिया। मौके पर देवप्रिया दत्त, शाहीना प्रवीण, कीर्ति, बेबी कुमारी, सहाना मिश्रा मंजू डुंगदुंग, उन्नति, दीपा शरण, भैया अजित, अशोक कुमार, धर्मेन्द्र कुमार इत्यादि उपस्थित रहे।

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