बिहार सरकार शिक्षकों के साथ शत्रु की तरह पेश आ रही है। कोरोना वायरस को लेकर उठाये गए एतिहात कदमों मे सरकार की मंशा साफ नही है।आनन-फानन में सभी स्कूल-काॅलेज बंद कर दिये गए,लेकिन शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए उन्हें खुला रखा गया है।सभी मूल्यांकन केन्द्र खुले रखे गए हैं।यह शिक्षकों के प्रति सरकारी असंवेदनशीलता को ही नहीं दर्शाता है बल्कि घोर शत्रुता को वयाँ करता है|नीतीश कुमार और उनकी सरकार सभी लोकतांत्रिक व्यवस्था को ताक पर रखकर काम कर रही है
अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संगठन (AIFUCTO) के राष्ट्रीय महासचिव और दरभंगा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्याशी डाॅ अरुण कुमार ने आज यहाँ प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर सरकार के इस शिक्षक विरोधी रवैये की आलोचना करते हुए कहा है कि शिक्षकों की मुकम्मल हडताल से घबराकर और बौखलाहट मे सरकार ऊल-जलूल फैसले करती जा रही है|उसकी मंशा साफ तौर पर शिक्षकों का मनोबल तोड़ने और हडताल को कुचलने का है बिहार सरकार को अपना अहंकार त्यागकर शिक्षक प्रतिनिधियों से अविलंब वार्ता प्रारंभ करनी चाहिए और समस्या समाधान की दिशा में जरुरी पहल करनी चाहिए|साथ ही सूबे की शिक्षा- व्यवस्था को पटरी पर लाने का हरसंभव कोशिश करनी चाहिए।
डाॅ कुमार ने आंदोलनकारी हडताली शिक्षकों से अपनी चट्टानी एकता बनाये रखने और संघर्ष को जारी रखने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है उनकी जीत सुनिश्चित है| सरकार शिक्षक हडताल को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर कोई कदम न उठाये नहीं तो इसका बहुत बड़ा खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा|
डाॅ अरुण कुमार,
महासचिव,अखिल भारतीय विश्व विद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संगठन (AIFUCTO)