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छात्र सेना  ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अध्यक्ष सह छात्रसंघ परिषद सदस्य प्रशांत राय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा अॉनलाइन परीक्षा लेने के प्रस्ताव को खारिज करने का स्वागत करते हुए इसे छात्रों के हित मे एक सराहनीय कदम बताया।

    रिपोर्ट गुड्डू कुमार ठाकुर

छात्र सेना  ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अध्यक्ष सह छात्रसंघ परिषद सदस्य प्रशांत राय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा अॉनलाइन परीक्षा लेने के प्रस्ताव को खारिज करने का स्वागत करते हुए इसे छात्रों के हित मे एक सराहनीय कदम बताया।
प्रशांत ने बताया की कोरोना वाइरस जैसे महामारी के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन के बीच लनामिवि के कुलपति के द्वारा यह प्रस्ताव भेजना सही निर्णय नही था, जिसका की छात्र सेना, विश्वविद्यालय के हजारों छात्र-छात्रा व कई सारे संगठनों ने भी मेल व कई अन्य माध्यमों से पुरजोर विरोध भी किया।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गठित समिति ने यह माना है कि हमारे देश में विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन परीक्षा लेने हेतु कोई सक्षम तंत्र विकसित नहीं है ,साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के पास उचित शक्ति का इंटरनेट,स्मार्टफोन एवं आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध नहीं है। इसके अतिरिक्त इस मोड़ से होने वाली परीक्षा में परीक्षा दे रहे छात्रों की पहचान भी कठिन होगी।छात्र सेना इस वैकल्पिक परीक्षा एवं अन्य शैक्षिक सुझाव हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति के सदस्यों को एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष महोदय एवं अन्य पदाधिकारियों को इस सकारात्मक निर्णय के लिए हृदय से धन्यवाद करती है।उन्होंने यह भी कहा की विश्वविद्यालय के द्वारा बैठक कर यह प्रस्ताव भेजना भी भविष्य के लिए एक बेहतर फैसला होगा।
श्री प्रशांत ने कहा की विश्वविद्यालय के द्वारा देशव्यापी लॉकडॉन होने के बाद सभी अंगीभूत कॉलेजों को यह निर्देश दिया गया था कि वह अपने छात्रों के लिए ऑनलाइन वीडियो क्लासेस शुरू करें जिसके बाद कुछ कॉलेजों ने वीडियो डालना भी शुरू कर दिया गया वहीं कई कॉलेजों और लाखों की सैलरी पाने वाले प्रोफेसरों ने अभी तक क्लास लेना उचित भी नहीं समझा ।
वहीं दूसरी ओर उन्होेंने बताया की सम्बद्ध महाविद्यालय के छात्रों से विश्वविद्यालय समान नामांकन एवं परीक्षा शुल्क आदि लेती है लेकिन उनलोगों के लिए किसी भी प्रकार की पढ़ाई की सुविधा नहीं दी जा रही है।वहाँ छात्रों को पढ़ाने से अधिक डिग्री बांटने पर ध्यान दिया जा रहा है ।उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण गैर सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले 90 प्रतिशत परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे है इसको देखते हुए विश्वविद्यालय से जुड़े तमाम हॉस्टल के फीस को माफ किया जाए,साथ ही छात्रों को अगले कक्षा में नामांकन एवं परीक्षा फीस में लगने वाली राशि को माफ किया जाए जिससे इस विपदा की घड़ी में छात्रों के माता पिता को थोड़ी राहत मिल सकें।
आगे उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऑनलाइन क्लास देने का प्रयास इस पिछड़े क्षेत्र में कर रही है जो की सराहनीय प्रयास है लेकिन यह क्षेत्र आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े क्षेत्रों में आता है, जिस कारण यहां के 50 प्रतिशत छात्रों के पास स्मार्टफोन नहीं है। विश्वविद्यालय उन सभी छात्रों को स्मार्टफोन /टैब उपलब्ध करवाए जिससे वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें और अच्छे से परीक्षा दे सकें ।ज्ञापन के माध्यम से कुलपति का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि पूर्व में आये पीजी तृतीय सेमेस्टर के छात्रों के रिजल्ट में भारी धांधली की गई थी जिसमें सी एम साइंस कॉलेज के केमिस्ट्री के छात्रों के साथ साथ विभिन्न कॉलेजों के छात्रों का रिजल्ट एक साजिश के तहत खराब कर दिया गया ।स्पेक्ट्रोस्कोपी पेपर में छात्रों को साजिश के तहत पीजी विभाग को ऊपर दिखाने के लिए 0.5 , 1.5 व 2 अंको से प्रमोट कर दिया गया है । बायो आर्गेनिक पेपर में 40 अंक के सवाल सिलेबस से बाहर पूछे गए थे इसके ऊपर जांच कमिटी गठित की जाए, कि किस आधार पर विभागाध्यक्षों द्वारा मुख्य परीक्षा के सवाल आंतरिक परीक्षा में दे दिए गए थे ।साथ ही सभी केमिस्ट्री के कॉपी का पुनर्मूल्यांकन किया जाए ।वहीं छात्र नेता अनुज कुमार ने कहा है कि अगर इन मांगों पर जल्द कारवाई नहीं कि जाती है छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर फैसला नहीं लिया जाता है तो छात्र सेना आगे की रणनीति पर विचार करेगी ।
प्रशांत राय

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