बगल में है रेड ज़ोन फिर भी लोगों को कोरोना महामारी का खौफ नहीं, कहते है मास्क लगाने में शर्म लगता है।
प्रखंड में स्थित दोनवारी हाट पर बेपरवाह 90 फीसदी लोग बैगैर मास्क लगाए अपनी जिंदगी को दाव पर लगा सब्जी बेचते व खरीदते है। इस हाट पर लॉक डाउन व सोशल डिस्टेंसिग का सरेआम माखौल उड़ाई जाती है। खतरा आंगन तक दस्तक दे चुका है क्यू की लगभग एक किलोमीटर दूरी पर खुटौना में तीन कोरोना संक्रमित का एक साथ पॉजिटिव पाए जाने से 3 किलोमीटर का क्षेत्र सिल कर दिया गया है। ऐसे में यहां के लोग कितना एलर्ट है जब लोगो से हमने जानने कि कोशिश किया तो लोगों ने ऐसे अटपटे जवाब दिया कि आप भी सुन के हस पड़ेंगे या गुस्सा आयेगी। एक महिला ने कही मास्क लगाने में लाज लगती है तो कुछ ने हस्तें हुए कहा मास्क घर पर ही भूल गए है। एक ने ऐसा कहा कि मास्क लगाने से क्या होता है। तो वहीं कुछ लोगों के सामने कैमरा का लेंस पहुंचा तो जेब से मास्क निकाल लगाने लगा। अब सवाल उठता है कि कोरोना से बचाव या उपचार के लिए सरकार व प्रशासन विभिन्न माध्यमों से लोगो को जागरूक करने का जो काम कर रही है उसका लोगों में रती भर असर नहीं होता दिख रहा है। सरकार अथक प्रयास कर व पूरी मेशेनरी को इस्तेमाल कर कोरोना का चेन तोड़ने में लगी तो वहीं ना समझ जनता कोरोना चेन को जोड़ने में लगी हुई है। सभी लोगों को पता है कि इस लाईलाज बीमारी कोरोना से बचने का अभी तक एक ही उपाय है कि मास्क लगाकर अतिआवश्यक कार्य पड़ने पर ही घर से बाहर निकलना है। साथ ही भीड़ – भाड़ वाले इलाके में एक दूसरे से कम से कम दो मीटर कि शारीरिक दूरी बना कर रहना है। लेकिन उक्त हाट पर आने वाले लोगों को ना ही अपने जान का फिक्र है और ना ही परिवार का ऐसे में सिर्फ प्रशासन के सिर पर ठीकरा फोरना कतय जायज नहीं है। जब तक लोग अपनी जिम्मेवारी का बखूबी तौर पर निर्वहन करना सुनिश्चित नहीं करेंगे तब तक इस कोरोना महामारी को संभवतः हराना मुश्किल ही होगा। कोविड -19 वैश्विक महामारी का यह पारी अभी ख़तम होने वाला नहीं है जब तक पुख्ता तौर पर इस बीमारी का दवा का इजात नहीं हो जाए। अगर जिंदगी प्यारी है तो लॉक डाउन के नियमों का पालन करे और खुद कि सुरक्षा खुद करें।