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लाॅकडाउन के दौरान मणिशृंखला अंतर्गत मणिकांत झा की लिखी तीन पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

लाॅकडाउन के दौरान मणिशृंखला अंतर्गत मणिकांत झा की लिखी तीन पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

महात्मा गाँधी शिक्षण संस्थान के सभागार में मंगलवार को आयोजित लोकार्पण समारोह में मैथिली मंच के कलाकारों ने मणिकांत झा की रचनाओं पर दी संगीतमय प्रस्तुति।

रिपोर्ट अविनाश कुमार

मैथिली के चर्चित साहित्यकार, आकाशवाणी के दरभंगा संवाददाता एवं भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन मणिकांत झा द्वारा मणिशृँखला अंतर्गत मैथिली में रचित महेशमणि, अनुप्रासमणि एवं लॉकडाउनमणि का लोकार्पण मंगलवार को महात्मा गाँधी शिक्षण संस्थान के सभागार में किया गया।
लोकार्पण समारोह का विधिवत शुभारंभ करते हुए प्रसिद्ध भागवताचार्य राजीव कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संकट काल में जब पूरी दुनिया में त्राहिमाम की स्थिति बनी थी, ऐसे लाॅकडाउन के समय में कवि एवं साहित्यकार मणिकांत झा की लेखनी महेशवाणी और नचारी की रचना कर सृष्टि के संहारकर्ता देवाधिदेव को रिझाने के लिए महेशवाणी और नचारी गीत की रचना के साथ ही अपनी अन्य रचनाओं के माध्यम से मैथिली साहित्य को समृद्धशाली बनाने में लगे थे यह ना सिर्फ सराहनीय है, बल्कि अनुकरणीय भी।
सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक डाॅ बासुकीनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित लोकार्पण समारोह में प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ओम प्रकाश ने कहा कि कोरोना काल में मणिकांत झा द्वारा रचित महेशवाणी और नचारी गीत भावना से इतने ओतप्रोत हैं कि मैथिली मंच के गायक कलाकारों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। संकटकाल में करीब पाँच दर्जन से अधिक गायक गायिकाओं द्वारा इन गीतों पर दी गई प्रस्तुति और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर इसका स्वाभाविक प्रसारण इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं।
मैथिली साहित्यकार हीरेन्द्र कुमार झा ने मणिशृंखला अंतर्गत 28वे पुस्तक के रूप में प्रकाशित ‘अनुप्रासमणि’ को मैथिली साहित्य के लिए अनुपम उपहार बताया वहीं कोरोना जागरूकता गीत संग्रह ‘लॉकडाउनमणि’ को आम लोगों के लिए काफी उपयोगी बताया।
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए अधिवक्ता मृदुला सिंह ने मणिकांत झा द्वारा मैथिली में रचित महेशवाणी एवं नचारी संग्रह ‘महेशमणि’ को मिथिला में शिव पूजा की संस्कृति का संवाहक बताया। कार्यक्रम में डॉ रमेश झा, डाॅ नवीन वर्मा, नीलम झा, प्रो जीवकांत मिश्र आदि ने भी अपने विचार रखे।
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ बासुकीनाथ झा ने कहा की सावन से ठीक पहले महेशमणि के प्रकाशन से देवघर की पैदल कांवर-यात्रा करने वाले मिथिला के लाखों कावड़ियों सहित आम मिथिलावासी को एक अनुपम उपहार मिल गया है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि मणिकांत रचित महेशवाणी एवं नचारी की गूंज जल्दी ही मिथिला के गांव-गांव में स्थापित शिवालयों में गुंजेगी।
इससे पहले अतिथियों का स्वागत महात्मा गाँधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा एवं विद्यापति सेवा संस्थान के सचिव प्रो जीवकांत मिश्र ने मिथिला की गौरवशाली परंपरा अनुरूप पाग, अंगवस्त्र एवं नीलम झा द्वारा बनाए गये मिथिला पेंटिंग की कलाकारी युक्त मास्क भेंट कर किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो विजय कांत झा ने किया।
मणिशृंखला की पुस्तकों के रचनाकार मणिकांत झा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में आकाशवाणी दरभंगा के कलाकार दीपक कुमार झा, ममता ठाकुर एवं डॉ सुषमा झा आदि ने उनकी रचित अनेक रचनाओं पर संगीतमय प्रस्तुतियां दी। वहीं, तबला पर गौरीकांत झा की संगति को लोगों ने खूब सराहा ।
लोकार्पण समारोह में मणिकांत झा एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती नीलम झा के परिणय दिवस उत्सव का 34वां सालगिरह भी मनाया गया। कार्यक्रम में गौरीकांत झा, गंधर्व झा, प्रवीण कुमार झा, नीतीश सौरभ, जगत रंजन झा, संतोष कुमार झा, राजीव कुमार झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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