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आप भी जाने कैसे बनाए जाते है सस्ता,पर्यावरण के अनुकूल एवं भूकंपरोधी मकान:डा सुनील अजित कुमार सिंह की रिपोर्ट

आप भी जाने कैसे बनाए जाते है सस्ता,पर्यावरण के अनुकूल एवं भूकंपरोधी मकान:डा सुनील

भूकंप के आने की सटीक रूप से भविष्यवाणी करना असंभव है, और इसके आने से होने वाला जन धन का नुकसान भी हमारे नियंत्रण से परे होता है। परंतु इस नुकसान को सीमित करना हमारे नियंत्रण में है। भूकंपरोधी एवं पर्यावरण के अनुकूल घर और इमारत बना कर हम काफी हद तक जन धन के नुकसान को कम कर सकते हैं। बिहार के विभिन्न
इलाको में भी कभी-कभी भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। इसके चलते यहां पर इस सोच को बल मिल रहा है कि इस इलाके में भी इमारतें तैयार करने से पहले उन्हें भूकंपरोधी बनाना ज़रूरी है।ये बातें आपदा रोधी समाज निर्माण को कृतसंकल्पित मधुबनी जिला के खिरहर गाँव निवासी एवं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता डा सुनील कुमार चौधरी ने दरभंगा जिला के सिंहवारा प्रखंड मे समाज के विभिन्न वर्गों के बड़े जनसमूह एवं राजमिस्त्री को संबोधित करते हुए कही।उन्होने स्वरचित गीत के माध्यम से बड़े ही सहज-सरल एवं रोचक ढंग से भूकंप रोधी,पर्यावरण के अनुकूल भवन निर्माण के तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बताया कि भारवाहक दीवार वाले भवनों के निर्माण में पीलर में चार छड देने की जरूरत नहीं है। अपितु एक छड देकर छड के खर्च में तीन चौथाई की कमी की जा सकती है।

 

भूकंप रोधी ,पर्यावरण के अनुकूल एवं सस्ता भवन निर्माण के लिए उन्होने फाल जी ईट,भवन के सभी कोनो पर एक छड वाला पीलर,जोन के हिसाब से मशाला एवं भूकंप रोधी बैन्ड के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया उन्होने बतायी।उनके निगरानी में चल रहे भूकंप रोधी,पर्यावरण के एवं सस्ता भवन निर्माण के स्थल पर ले जाकर लोगों को नींव से लेकर छत तक भवन के विभिन्न अवयवों के निर्माण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बीम एवं पीलर में चूड़ी एवं झूमका के सही प्रयोग से भूकंप रोधी भवन निर्माण में होने वाले फायदे के बारे में भी बताया। ज्ञातव्य हो कि डा चौधरी “डिजास्टर रेजिलिएन्स फोरम ” के माध्यम से विभिन्न तरह के आपदा एवं जलवायु परिवर्तन के खतरों एवं उसके प्रबंधन की जानकारी समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम करते रहे हैं । विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय कान्फ्रेस एवं प्रतिष्ठित जर्नल मे डा चौधरी के 206 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं तथा उन्हें 26 अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। अन्त मे डा चौधरी ने इन पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त की:-
बिहार के हम अभियंता, आसमां है हद हमारी,
जानते हैं चान्द सूरज, ज़िद हमारी, जद हमारी ।
हम वही जिसने कि पर्यावरण प्रबंधन का ग्यान साधा,
हम वही जिसके लिए दिन रात की उपजी न बाधा ।
इन उजालो का यही पैगाम ले आये हैं हम,
भूकंप रोधी ,सस्ता मगर पर्यावरण अनुकूल घर बनायेंगे हम।

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