सिविल सर्जन व अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने एल्बेंडाजोल टेबलेट खाकर की फाइलेरिया दवा सेवन अभियान की शुरुआत
फाइलेरिया की जागरूकता को ले प्रचार रथ को किया रवाना
14 दिन तक संचालित इस अभियान में लगभग 87 लाख व्यक्तियों को दी जाएगी दवा
कोरोना संक्रमित मरीज़ भी लेंगे फाइलेरिया की दवा- डीभीडीओ डॉ. जयप्रकाश
अभियान के तहत 86.99 लाख लोगों को खिलायी जाएगी दवा
घर- घर जाकर आशा खिलाएगी डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा
दरभंगा. 28 सितम्बर. सिविल सर्जन डॉक्टर संजीव कुमार सिन्हा व अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने एल्बेंडाजोल टेबलेट खाकर फाइलेरिया दवा सेवन अभियान की शुरुआत की. इसके उपरांत सिविल सर्जन डॉ. सिन्हा एवं डीभीडीओ डॉ. जयप्रकाश महतो ने संयुक्त रुप से आमलोगों में फाइलेरिया के जागरूकता को लेकर प्रचार रथ को रवाना किया. यह प्रचार रथ पूरे अभियान के दौरान शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को फाइलेरिया बीमारी के रोकथाम, चिकित्सा व अन्य महत्वपूर्ण बातों को लेकर जागृति पैदा करेगी. रथ में इस रोग से संबंधित जानकारियां अंकित की गई हैं. सिविल सर्जन डॉ. सिन्हा ने आमलोगों से फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए डीईसी दवा कर्मियों के सामने ही खाने की अपील की. कहा कि जो फाइलेरिया रोग से ग्रसित हैं, वह यह दवा जरूर ग्रहण करें. साथ ही सभी परिवार के सदस्यों को भी यह दवा लेनी चाहिए ताकि, फाइलेरिया रोग से हम बचाव कर सकें. विदित हो कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देश से फाइलेरिया की रोकथाम को लेकर दवा सेवन अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान 28 सितम्बर से 11 अक्टूबर तक चलाया जाएगा. 14 दिनों तक संचालित इस कार्यक्रम में आशा 18 प्रखण्डों व शहरी क्षेत्रों के सभी गांवों में घर घर जाकर दो साल से अधिक बच्चों को फाइलेरिया की दवा डीईसी एवं एल्बेंडाजोल अपने सामने खिलाएगी. इस अभियान के तहत 86.99 लाख लोगों को दवा खिलायी जाएगी. आशा रोज़ाना 50 घरों में जाकर यह दवा खिलाएंगी. इस कार्य मे करीब 34 सौ आशा व अन्य वालंटियर को लगाया गया है. डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की खुराक को फाइलेरिया की रोकथाम के लिए प्रभावी माना गया है. यह दवा कोरोना संक्रमित मरीज़ भी ले सकते है.
दो साल से कम व गम्भीर रोगियों को नहीं दी जाएगी दवा
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. जयप्रकाश महतो ने बताया फाइलेरिया से प्रभावित लोगों की पहचान करने के साथ उन्हें डीईसी व अल्बेंडाजोल का सेवन कराया जाना है. बच्चों व बड़ों को उनकी उम्र के अनुसार दवा दी जायेगी. उन्होंने कहा कि दो साल से कम उम्र के बच्चे व गम्भीर रोग से ग्रसित मरीज़ों को यह दवा नहीं खिलायी जाएगी. दो से पांच साल के बच्चों को डीईसी की एक, छह से 14 तक को दो एवं 15 साल से अधिक उम्र के लोगों को तीन टेबलेट खिलानी है. साथ ही सभी को एल्बेंडाजोल की एक टेबलेट चबाकर खानी है. डॉ. महतो ने बताया दवा लोगों को कर्मियों के सामने खानी है. खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है. उन्होंने बताया लिंफेटिक फाइलेरियासिस या हाथीपाव रोग की पहचान होने पर तुरंत इलाज होना चाहिए. मच्छर के काटने से क्यूलेक्स परजीवी शरीर में चला जाता है और लंबे समय के बाद संक्रमण का पता चलता है.
किसी प्रकार की समस्या होने पर सुपरवाइजर से करें सम्पर्क
डॉ. महतो ने कहा फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी खुराक जरूरी है. डीईसी खुराक फाइलेरिया परजीवी को मारने का काम करते हैं. दवा खाने के बाद फाइलेरिया के कीटाणु मरने लगते हैं. रोगी को हल्का बुखार, सिरदर्द या उल्टी की शिकायत होती है. इससे घबराना नहीं चाहिए. ये कुछ समय बाद स्वत: समाप्त हो जाते हैं. खुराक खाने से कोई परेशानी या एलर्जी हो तो स्वास्थ्य केंद्र संपर्क करें. डॉ. महतो के अनुसार पूर्व के अभियान में किसी तरह का साइड इफेक्ट का मामला सामने नहीं आया है. अगर किसी प्रकार की समस्या हो तो टीम के सुपरवाइजर से सम्पर्क कर सकते हैं. या 104 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है. उनको तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध करा दी जाएगी.
फाइलेरिया के लक्षण:
पैरों व हाथों में सूजन व दर्द होने पर फाइलेरिया की जांच अवश्य करायी जानी चाहिए. पुरुषों के अंडकोष में लगातार दर्द के साथ सूजन रहना फाइलेरिया के लक्षण होते हैं. फाइलेरिया संक्रमण व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है.
आसपास साफ- सफाई ज़रूरी
डॉ. महतो ने बताया फाइलेरिया रोग मच्छर के काटने से होता है. इसलिए घर व आसपास की जगहों की अच्छी तरह साफ सफाई करें. घर व बाहर जलजमाव नहीं होने दें. समय समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें. पूरी अस्तीन वाले कपड़े पहनें. कमरे में नमी नहीं हो और उसे अच्छी तरह सूखा रखें. सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल अवश्य करें.
पैरों को साबुन से करें साफ
हाथीपांव पीड़ित लोगों को फाइलेरिया की दवा का सेवन के साथ पैरों की देखभाल अच्छी तरह करना चाहिए. ऐसे लोग अपने पैरों की साबुन से रोजाना सफाई करें. इसके बाद मुलायम कपड़े से पोंछ लें. ध्यान रखें कि पैरों की सफाई के लिए खुरदरे वस्तु जैसे ब्रश या खपड़ा आदि का इस्तेमाल नहीं करें. इससे पैरों पर जख्म बन सकता है. पैर को आरामदायक स्थिति में रखें. ऐसे लोगों के लिए पैदल चलना लाभदायक है.
इन्हें नहीं दी जायेगी दवा:
• गर्भवती महिलाएं
• दो साल से कम उम्र के बच्चे
• गंभीर रोगों से ग्रसित लोग