मधुबनी  फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 28 सितंबर से सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जो 14 दिनों तक चलेगा। संवाददाता अजित कुमार सिंह

मरीज को मृत समान बना देता है फाइलेरिया

– जागरूकता से बचा जा सकता है फाइलेरिया से

– डीईसी एवं एल्बेंडाजोल खाने से सेहत पर नहीं पड़ता कोई प्रभाव

मधुबनी
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 28 सितंबर से सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जो 14 दिनों तक चलेगा। इसके तहत घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा लोगों को डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की दवा की खुराक साल में एक बार खिलाई जाती है। इसलिए लोग दवा की सालाना खुराक जरूर लें।फाइलेरिया एक लाइलाज़ बीमारी है। इसका कोई ईलाज नहीं है, बल्कि समय रहते इसका सही उपचार किया जाए तो काफी हद तक इससे बचा जा सकता हैं. फाइलेरिया व्यक्ति को मृत सम्मान बना देता है।हालांकि शुरुआती दौर में समय रहते इसे रोका भी जा सकता है। लेकिन हाथीपाँव होने के बाद से इसे खत्म नहीं किया जा सकता हैं.

जागरूकता से बचा जा सकता है फाइलेरिया से:
जागरूकता के अभाव में तथा समाज में फैली कुछ भ्रांतियों के कारण कुछ लोग फाइलेरिया की दवा खाने से कतराते हैं। पीसीआई के जिला समन्वयक चंदन कुमार ने बताया गांव में लोगों ने खिलाई जाने वाली डीईसी व एल्बेंडाजोल की गोली खाने से इनकार कर देते हैं या फिर रात में खा लेंगे कह कर दवा रख लेते हैं और नहीं खाते हैं। उन्होने बताया लोगों का कहना है कि दवा खाने से फाइलेरिया बीमारी ठीक नहीं होती हैं बल्कि पेट दर्द, सर दर्द सहित कई अन्य बीमारियों के होने का डर बना रहता है, जो केवल एक भ्रांति है। फाइलेरिया दवा का सेवन पूर्णता सुरक्षित है एवं इसके सेवन करने से ही फाइलेरिया से बचा जा सकता है।

डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा खाने से सेहत पर नहीं पड़ता है कोई प्रभाव:
डीएमओ डॉ. एसएस झा ने बताया दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। कुछ लोगों को दवा खाने से चक्कर आदि आने लगते हैं या कोई और समस्या होती है। इसका मतलब है कि उस व्यक्ति में माक्रोफाइलेरिया के जीवाणु है। उन्हें दवा से परहेज नहीं करना चाहिए। यदि कोई समस्या होती है तो नजदीकी अस्पताल से संपर्क कर लें। संबंधित को तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने बताया अगर दो साल की उम्र पूरी करने के बाद पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन किया जाए तो व्यक्ति इस बीमारी से प्रतिरक्षित हो जाता है।

ऐसे खानी है दवा:

डीएमओ डॉ. एस एस झा ने बताया लाइलाज़ बीमारियों की श्रेणी में शामिल फाइलेरिया से ग्रसित लोगों को भयानक हाथी पांव जैसी बीमारी से बचाव के लिए डी.ई.सी/एल्बेंडाजोल की गोली 2 वर्ष से ऊपर के लोगों को खाना है. जिसमें एल्बेंडाजोल कि गोली को चबाकर खाना है. वहीं 2 वर्ष से 5 वर्ष के बच्चों को डीईसी की एक गोली, जबकिं 5 वर्ष से 14 वर्ष के लोगों को 2 गोली व उससे ऊपर उम्र के लोगों को 3 गोली खाना है. इसके साथ ही सभी लक्षित वर्ग को एल्बेंडाजोल की एक दवा चबाकर खानी है. सबसे खास बात यह हैं कि एमडीए अभियान में लगे टीम के सामने ही डीईसी व एल्बेंडाजोल की गोली खानी हैं. 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं व गंभीर रूप से ग्रसित व्यक्तियों को इस दवा का सेवन नहीं करना है. इस तरह की लाइलाज़ बीमारी से बचना हैं तो दवा खाना ही पड़ेगा क्योंकि अभी तक इसका स्थायी उपचार संभव नहीं हैं.

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