15 सालों से फाइलेरिया का बोझ उठा रहे हैं सुनील
• अपने शरीर पर 7 किलो अतिरिक्त भार लेकर जीने को हैं विवश
• मृत समान जीवन बना देता है फाइलेरिया

शहर से 35 किलोमीटर दूर बासोपट्टी प्रखंड के एक छोटे से गांव के रहने वाले सुनील (काल्पनिक नाम) का जीवन आज बिल्कुल बदल चुका है. जिन रास्तों पर चलना उनके लिए कभी आसान होता था, आज वही रास्ते सिर्फ़ लंबे नहीं हुए, बल्कि उनपर चलना उनके लिए दर्द भरा हो चुका है. सुनील अपने पैरों में अपने शरीर के भार से 7 किलोग्राम अतिरिक्त भार लेकर चलने को मजबूर हैं, क्योंकि वह हाथीपांव यानी फाइलेरिया से ग्रसित हो चुके हैं.
‘‘आज से 15 साल पहले मुझे फाइलेरिया हुआ था. शुरुआती दौर में हमें पता नहीं चला. बाद में धीरे-धीरे पैर फूलने लगा. जब डॉक्टरों से दिखाया तो पता चला मुझे फाइलेरिया हो गया है. धीरे-धीरे मेरे पैर का आकार भी बढ़ता चला गया. आज मेरे पैर में 7 किलोग्राम अतिरिक्त भार बढ़ गया है. पुराने दिनों को याद कर सोचता हूँ, काश मेरा पैर पहले की तरह होता. लेकिन अब यह मुमकिन नहीं है. डॉक्टर कह चुके हैं कि इसका कोई ईलाज नहीं है’’. यह कहते हुए सुनील की आवाज काफ़ी भारी हो जाती है एवं दर्द की एक लकीर आँखों पर बन जाती है. यह एक ऐसी लकीर है जो वक़्त के साथ मिट भी नहीं हो सकती. हाथीपांव यानी फाइलेरिया विश्व में दिव्यंगता फ़ैलाने वाली दूसरी सबसे भयंकर रोग है, जिसका कोई ईलाज अभी तक संभव नहीं है.
लोगों के सामने कई बार बना मजाक का जरिया:
सुनील बताते हैं उन्होंने अपने जीवन के 40 साल व्यतीत किया है. परंतु पिछले 15 सालों से वह इस अतिरिक्त भार के साथ जीने को मजबूर हैं. उन्हें अपने इस भारी पैर को लेकर लोगों के सामने जाने पर भी शर्मिंदगी महसूस होती है. लोग भी कई बार उनका मजाक उड़ाते हैं. वह कहते हैं, उनसे मिलने वाले प्रत्येक व्यक्ति की नजर उनके पैरों पर ही होती है. वह कई बार आवश्यक काम के लिए निकलते हैं, लेकिन समय से पहुंच नहीं पाते. वह कहते हैं- काश उस समय उनके यहां भी प्रतिवर्ष फाइलेरिया की दवा खिलाने की प्रथा होती तो आज वह इस तरह का जीवन जीने को वह मजबूर नहीं होते.
फाइलेरिया लोगों को मृत समान बना देती है. जागरूकता से फाइलेरिया से बचा जा सकता है. सरकार साल में एक बार मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन(एमडीए) कार्यक्रम आयोजित करती है। इसके तहत आशा द्वारा घर-घर जाकर दवा खिलाई जाती है। यह दवा साल में एक बार ही खानी होती है। यह दवा दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सबको खिलाई जाती है। यदि पांच साल तक लगातार प्रतिवर्ष एक बार दवा खाने का क्रम जारी रखा जाए तो आजीवन फाइलेरिया से मुक्ति मिल सकती है।
फाइलेरिया से बचाव कैसे करें
फाइलेरिया से बचाव के वही उपाय हैं, जो किसी भी मच्छरजनित रोग के होते हैं। यह मच्छर से ही फैलता है, लिहाजा मच्छरों के पनपने को रोककर इससे बचा जा सकता है। घर के आसपास सफाई रखें, ताकि बारिश में पानी जमा न हो सके। फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है और यह ठहरे हुए गंदे पानी में ही पनपता है। आसपास जलभराव न होने दें। ऐसे कपड़े पहनें, जिससे पूरा बदन ढका रहे। बारिश के मौसम में बासी खाना न खाएं। बाहर के खाने से परहेज करें। मच्छरदानी का प्रयोग करें।
यदि आप हाथी पांव से पीड़ित है, आपको यह करना चाहिए:
• अपने पैर को साधारण साबुन व साफ पानी से रोज धोएं
• एक मुलायम और साफ कपड़े से अपने पैर को साफ़ करें
• पैर की सफाई करते समय ब्रश का प्रयोग न करें, इसे पैरों पर घाव हो सकते हैं।
• जितना हो सके अपने पैर को आरामदायक स्थिति में उठाए रखें
• जितना हो सके व्यायाम करें, पैदल चलना अच्छा व्यायाम है
Darbhanga News24 – दरभंगा न्यूज24 Online News Portal