आभासी मंच पर सजा मिथिलाक्षर दिवस समारोह संपन्न
लगातार 18 दिनों तक चले कार्यक्रम में भाषा, संस्कृति व लिपि के प्रति जागरूकता संग पारंपरिक गीत-संगीत की बही रसधार
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समापन समारोह में सृष्टि के कलाकारों ने जमाया रंग
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के सातवें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विगत 24 अक्टूबर से सोशल मीडिया के आभासी मंच पर सजे 18 दिवसीय मिथिलाक्षर दिवस समारोह का रविवार की देर शाम समापन हो गया। समापन समारोह का विधिवत शुभारंभ गंधर्व कुमार झा
द्वारा प्रस्तुत वेद-ध्वनि के बीच मिथिला-मैथिली आंदोलन के शीर्षस्थ स्तंभ डाॅ बैद्यनाथ चौधरी बैजू, वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा एवं मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के वरिष्ठ संरक्षक प्रवीन कुमार झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। जबकि मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, रीजनल सेकेंडरी स्कूल, मधुबनी के निदेशक डाॅ रामशृंगार पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार विष्णु कुमार झा एवं साक्षरता अभियान के संस्थापक पं अजय नाथ झा शास्त्री सहित अनेक बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी एवं अभियानी इस कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े रहे।
सात वर्षीय मिथिलाक्षर अभियानी जया द्वारा प्रस्तुत भगवती गीत एवं सृष्टि फाउंडेशन की छात्रा प्रियांशी मिश्रा द्वारा ओडिशी नृत्य शैली में कवि कोकिल विद्यापति रचित गोसाउनि गीत ‘जय जय भैरवी …’ पर प्रस्तुत भावपूर्ण नृत्य के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में सृष्टि फाउंडेशन के निदेशक एवं प्रख्यात ओडिशी नर्तक जय प्रकाश पाठक ने शिव तांडव नृत्य एवं सत्यम झा ने मैथिली पुत्र प्रदीप की कालजयी रचना ‘जगदंब अहीं अवलंब हमर…’ पर अपनी प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, श्रुति सिंह, सुबोध दास, मनीषा कुमारी एवं ऋषिकेश कुमार द्वारा प्रस्तुत मिथिला की लोक आस्था और गौरवशाली परंपराओं पर आधारित जट-जटिन, झिझिया, छठ, सामा-चकेवा एवं विहुली नृत्य लोगों के विशेष आकर्षण के केंद्र में रहे।
कार्यक्रम में अपना उद्गार व्यक्त करते हुए अतिथियों ने मिथिला की धरोहर लिपि मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान द्वारा किए जा रहे कार्यो की सराहना करते हुए आम लोगों से अपनी मातृलिपि को दैनिक प्रयोग में लाने का आह्वान किया। वक्ताओं ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफाॅर्म पर मिथिलाक्षर की पाठशाला सजाकर लाखों लोगों को अपनी मातृलिपि में साक्षर बना चुके इस अभियान से जुड़े लोगों ने कोरोना महामारी के संकट काल में भी लगातार 18 दिनों तक वर्चुअल मोड में कार्यक्रम आयोजित कर देश-विदेश के मैथिलीभाषी लोगों के बीच भाषा, संस्कृति एवं लिपि के प्रति ममत्व का अलख जगाने का सराहनीय कार्य किया है।
मणिकांत झा के कुशल संचालन में आयोजित समापन समारोह देर रात तक चला। जिसमें शास्त्रीय गायन क्षेत्र की उत्कृष्ट गायिका सुष्मिता झा, मैथिली मंच के स्थापित गायक केदारनाथ कुमर, दीपक कुमार झा, श्वेता कुमारी एवं नीरज कुमार झा आदि ने मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के आभासी मंच से ऑनलाइन जुड़कर पारंपरिक लोकगीतों की अनेक आकर्षक प्रस्तुतियां दी।
अभियान के संस्थापक पं अजय नाथ झा शास्त्री ने धन्यवाद ज्ञापन किया जबकि अतिथियों का स्वागत प्रवीण कुमार झा ने किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में जगत रंजन झा, शंभू नाथ मिश्र, उग्रनाथ झा, कृष्ण कांत झा, आशीष मिश्र, अनिल मिश्र, राघव मिश्र, ब्रह्मानंद झा, वंशीधर झा, हरे कृष्ण झा, धर्मेंद्र कुमार झा, सुधीर मिश्र, साकेत झा, ज्ञानेंद्र भास्कर, ललित ठाकुर, विवेक चंद्र मिश्र, इंद्रदेव चौधरी आदि की उल्लेखनीय सहभागिता रही।