ठंड और प्रदूषण के कारण और घातक हो सकता है कोरोना:डा सुनील
सदिर्यों
में कोरोना के परिणाम और भी घातक हो सकते हैं, क्योंकि सर्दियों में प्रदूषण भी बढ़ जाता है और कम ऊंचाई में धूल के कण जमा हो जाते हैं। इससे कोरोना संक्रमण भी ज्यादा सक्रिय होगा। ये बातें आपदा रोधी एवं पर्यावरण के अनुकूल समाज निर्माण को कृतसंकल्पित मधुबनी जिला के खिरहर गाँव निवासी एवं पथ निर्माण विभाग , बिहार के कार्यपालक अभियंता डा सुनील कुमार चौधरी ने जिले के विभिन्न हिस्सों मे जनसमूहो को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होने बताया कि वायरस का असर वातावरण और जींस के अनुसार रहता है। हमारे यहां देखे तो अभी तक के मौसम में कोरोना का उतना भयानक असर नहीं दिखा है, जितना अन्य देशों में देखने को मिला, लेकिन अब सदिर्यों की शुरुआत होने चुकी है। ऐसे में ज्यादा सावधानी की जरूरत है।
सर्दियों में ठंडी हवा चलने से वायरस का ठहराव हवा में ज्यादा देर तक होगा। वही हवाओं में वायरस के कण ज्यादा देर तक तैरेंगे और ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में लेंगे। इससे नुकसान होने की आशंका भी ज्यादा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड में सांस की बीमारी ज्यादा हो जाती है। सांस की नलिकाओं की मैंब्रेन ठंडी हवा के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती है, इसलिए इस मौसम में अस्थमा के मरीजों की एलर्जी बढ़ जाती है। कई मरीजों में सांस का अटैक तक देखा गया है। ऐसे में वातावरण में धूल के कण सांस के मरीजों के लिए खतरनाक होते हैं। वहीं सर्दियों में कोरोना वायरस का संक्रमण भी और तेजी से होगा। इससे सभी के लिए खतरा ज्यादा रहेगा। इससे भी विशेषकर सांस के मरीजों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत रहेगी। वातावरण में प्रदूषण का स्तर अक्टूबर से दिसंबर के बीच बढ़ जाता है। कोरोना काल में यह घातक साबित हो सकता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि इन दिनों कोरोना वायरस तेजी से सक्रिय हो सकता है। इसलिए ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो इस दौरान हवा में पाटिर्कुलेट मैटर (ठोस कणों व तरल गुणों का मिश्रण) 2.5 का स्तर 28.80 से लेकर 32.20 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहता है, जो अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा है।
सर्दियों में लोग खिड़की व दरवाजे बंद रखते हैं। ऐसा नहीं करें, क्योंकि हवाओं में संक्रमण देर तक तैरते हैं। घर में ताजी हवा आने दें इसके लिए वेंटीलेशन का ख्याल रखें। धुआं भी वायरस के लिए खतरनाक है। इस वजह से सर्दियों में घरों के अंदर आग ना जलाएं और बंद कमरे में आकर सामने बैठने से परहेज करें। सर्दियों में मास्क सबसे ज्यादा जरूरी है। सर्दियों में मास्क सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि अभी तक तो चल गया, क्योंकि मौसम ने भी साथ दिया। लेकिन सर्दियों में हवा की ठंडक और प्रदूषण वायरस के बढ़ने में मददगार होंगे।उन्होने मास्क, सैनेटाइजेसन एवं दो गज दूरी के महत्व को स्वरचित कविता के माध्यम से बड़े ही सहज-सरल एवं रोचक ढंग से समझाया।
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